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Rajasthan Panchayati Raj Niyam 1996 (Adhyay 9 Sthavar Sampattiyan) | राजस्थान पंचायती राज नियम 1996 (अध्याय 9 स्थावर संपत्तियांँ)

Rajasthan Panchayati Raj Niyam 1996

Rajasthan Panchayati Raj Niyam 1996

(Adhyay 9 Sthavar Sampattiyan)

राजस्थान पंचायती राज नियम 1996

अध्याय 9 
स्थावर संपत्तियांँ 
136. पंचायत की संपत्तियां – *[(1) पंचायत सर्किल के भीतर कॉमन भूमियां और सार्वजनिक मार्ग उनके खडंजो, पत्थरो और अन्य सामग्री सहित के साथ ही आबादी क्षेत्र के भीतर आने वाली सभी सरकारी भूमियां पंचायत मे निहित होगी और उसकी होगी । पंचायत सर्किल के भीतर की अन्य सभी सरकारी भूमियो का प्रबंधं पंचायत द्वारा ऐसी शर्तों ओर र्निबंधनों के अध्यधीन रहते हुये किया जायेगा जो राज्य सरकार द्वारा समय समय पर अधिरोपित किया जाये,]* 
(2) राज्य सरकार ऐसी शर्तों और निर्बधनों के अध्यधीन रहते हुए जिन्हें अधिरोपित करना वह ठीक समझे, राज्य सरकार की किन्हीं भी भूमि में संपत्तियों संकर्मो, सामग्रियों और वस्तुओं को पंचायत में निहित कर सकेगी।
(3) उप-धारा (1) और (2) में उल्लिखित सभी संपत्तियाँ पंचायत के निर्देश, प्रबंध और नियंत्रण के अधीन होंगी और उसके द्वारा इस अधिनियम के प्रयोजनों के लिए न्यासी के रूप में धारित की जायेगी।
(4) राज्य सरकार या पंचायत समिति द्वारा प्रबंधित के सिवाय सभी ऐसी मण्डियों और मेलों प्रबंध और विनियम जो पंचायत में निहित की गयी या पंचायत में निहित की जा रही भूमियों पर आयोजित किये जायें, उसके द्वारा किया जायेगा।
(5) विक्रय आगमों या ऐसी संपत्तियों अथवा उसकी प्राकृतिक उपज से होने वाली आय और ऐसी भूमियों पर आयोजित की जाने वाली मंडियों या मेलों के संबंध में उद्गृहित या अधिरोपित कोई भी शोध्य पंचायत निधि के भाग होंगे और पंचायत द्वारा पंचायती राज अधिनियम के उद्देश्यों की प्राप्ति में उपयोजित किये जायेंगे।
(6) राज्य सरकार पंचायत में निहित कोई भी ऐसी संपत्ति पुनगृहित कर सकेगी :-
(i) यदि जांच पर यह पाया जाये कि पंचायत ने संपत्ति का प्रबंध किया या निहित किये जाने के समय अधिरोपित निर्बंधनों और शर्तों का उल्लघन करते हुए उपयोग किया है, या
(ii) यदि वह राज्य सरकार द्वारा लोकहित में ऐसे निर्बधनों पर अन्यथा अपेक्षित हो, जिन्हें राज्य सरकार अवधारित करे।
137. स्थावर संपत्तियों का रजिस्टर – पंचायती राज संस्थाएं उनमें निहित या उनके निर्वर्तनाधीन रखे गये सभी भवनों और अन्य स्थावर संपत्तियों का रजिस्टर प्रपत्र 20 में रखेंगी।
138. संपत्तियों का अनुरक्षण – नियम 136 में निर्दिष्ट सभी संपत्तियों को सही स्थिति में रखना पंचायती राज संस्था का कर्तव्य होगा और वह उनकी आवश्यक मरम्मत या पुताई की, आवश्यकसमझे जाने पर, व्यवस्था करेगा। सभी विद्यालय भवनों को सुरक्षित व खतरे से मुक्त करवाने के लिए विशेष प्रयास किये जायेंगे।
139. संपत्तियों का निरीक्षण – (1) सभी अध्यक्ष ऐसी संपत्तियों की सुरक्षा व उचित अनुरक्षण सुनिश्चित करने के लिए वर्ष में एक बार संपत्तियों का निरीक्षण करेंगे।
(2) विकास अधिकारी मुख्य कार्यपालक अधिकारी क्रमश: पंचायत/ पंचायत समिति के निरीक्षण के दौरान वर्ष में एक बार रजिस्टर और संपत्तियों का निरीक्षण करेगा।
 
आबादी भूमि 
 
140. आबादी भूमि – ‘‘आबादी भूमि’’ से किसी पंचायत सर्किल के बसे हुए क्षेत्रों के भीतर पड़ने वाली ऐसी नजूल भूमि अभिप्रेत है जो राज्य सरकार के किसी आदेश के द्वारा या अधीन किसी पंचायत में निहित हो या निहित की गई हो या उसके निर्वर्तनाधीन रखी गई हो।
141. भूमि का विक्रय – भूमि का विक्रय किसी पंचायत द्वारा भूमि के सभी विक्रय साधारणतया नीलाम के माध्यम से किये जायेंगे जब तक ऐसा न करने के लिए विशेष कारण न हो। पंचायत ऐसी भूमियों का अग्रिम रूप से नियत किये गये नीलामी कार्यक्रम के माध्यम से विक्रय करने का विनिश्चय कर सकेगी।
142. योजना का तैयार किया जाना – (1) जब कभी आबादी के विकास के लिए भूमि किसी पंचायत को अंतरित की जाये तो वह ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज्य विभाग में पदस्थापित नगर आयोजन के अधिकारी द्वारा, जो सहायक नगर आयोजनाकार से नीचे की रैक का न हो, ग्रामीण क्षेत्र के लिए एक विकास योजना तैयार करायेगी। उसे विभाग के वरिष्ठ नगर आयोजनाकार द्वारा अनुमोदित किया जायेगा। ऐसे ग्रामीण क्षेत्र का भावी विकास अनुमोदित विकास योजना के अनुसार किया जायेगा।
(2) आवासन, वाणिज्यिक क्षेत्रों और अन्य परियोजनाओं के लिए स्कीमें अनुमोदित विकास योजना के अनुसार तैयार की जायेंगी।
ऐसी स्कीमों का क्रियान्वयन अनुमोदित प्लान के अनुसार ही किया जायेगा: परन्तु उन ग्रामीण क्षेत्रों के लिए जहाँ विकास योजना अनुमोदित नहीं की गयी हैं, निवासीय और वाणिज्यिक क्षेत्रों के योजनाबद्ध विकास के लिए परियोजनाएं, स्कीमें ग्राम योजनाकार द्वारा तैयार अनुमोदित की जायंेगी जो ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज विभाग में पदस्थापित सहायक नगर आयोजनाकार से नीचे की रैंक का न हो।
(3) राज्य सरकार ऐसी परियोजनाओं/स्कीमों के क्रियान्वयन के लिए, यदि आवश्यक हो तो नियामानुसार निजी भूमियों को अर्जित कर सकेगी।
(4) अनुमोदित विकास परियोजनाओं/स्कीमों में भूखण्डों का निर्वर्तन राज्य सरकार के निर्देशों के अनुसार, नीलाम और आवंटन द्वारा किया जायेगा।
(5) राज्य सरकार द्वारा ऐसी परियोजनाओं/ स्कीमों के क्रियान्वयन के लिए राज्य सरकार द्वारा प्राधिकृत पंचायत/ समिति/ जिला परिषद् वित्तीय संस्थाओं से नियमानुसार उधार लेने के लिए पात्र होंगी।
ग्रामीण विकास की नई योजनाओं मे भू-खण्ड का निष्पादन
 
ग्रामीण विकास एंव पंचायती राज विभाग ने अपने पत्र कंमाक एफ. (19) एन .एस../पी.सी./ आर.डी.पी./92/821 दिनांक 12.7.96 द्वारा ग्रामीण विकास कि नई योजनाओ मे भूखण्ड के निष्पादन हेतु दिशा निर्देश जारी किये है । ग्रामीण विकास की एवं पंचायती राज विभाग द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों मे आधारभूत सुविधाओं का विस्तार करने विकसित आवासीय एवं अन्य भू-खण्ड मुहैया कराने पंचायतो कि वित्तीय स्थ्तिि सुधारने एवं रोजगार उपलब्ध कराने कि दृष्टि से ग्रामीण विेकास की निम्नंाकित नई विकास योजनाएं प्रारम्भ की हैः-
1 ग्रामीण उत्थान केन्द्रों का एकीकृत विकास
2 प्रधान सडको पर सेवा सुविधाओं
3 ग्रामीण आवास हेतु सेवा एंव सुविधा योजना
4 उप गृह ग्रामों का विकास
5 आदर्श ग्राम योजनाए
6 अन्य योजनाएं
इन योजनाओं मे प्रस्तावित आवासीय वाणिज्यिक भू-खण्ड निर्मित दुकाने एवं कियोस्क तथा सामुदयिक सुविधाए हेतु आरक्षित भूमि कर निष्पादन निम्न दिशा-निर्देशों के अनुसार किया जायेगा –
प्रोजेक्ट मोनिटिरिंग कमेटी – परियोजना मे हो रहे विकास कार्यो की प्रगति रख -रखाव संस्थागत ऋण एवं उसकी अदायगी के प्रबन्ध आदि की मोनिटरिंग के लिए एक मोनिटरिग समिति गठित की जावेगी जिसमें निम्न सदस्य होगें
1 मुख्य कार्यकारी अधिकारी (संबंधित जिला परिषद) – अध्यक्ष
2 उप-नगर नियोजक या अन्य मनोनीत अधिकारी ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज विभाग, राज. जयपुर – सदस्य
3 अधिशाषी अभियन्ता या उसका प्रतिनिधि सार्वजनिक निर्माण विभाग (संबंधित क्षेत्र) – सदस्य
4. आवासीय अभियन्ता राजस्थान पुल निर्माण निगम – सदस्य
5 तहसीलदार (संबंधित क्षेत्र) – सदस्य
6 सरपंच ग्राम पंचायत – सदस्य
7 विकास अधिकारी पंचायत समिति – सदस्य सचिव
भू -खण्डों की बिक्री हेतु आरक्षित दर राज्य सरकार द्वारा स्वीकृती की जाएगी ।
143. आबादी क्षेत्र में भूखण्डों का नीलाम किया जाना – (1) पंचायत आबादी क्षेत्र के भीतर इधर-उधर स्थित भूखण्डों सहित भूखण्डों की एक सूची, सार्वजनिक मार्गो, सड़कों, नालियों और अन्य सार्वजनिक प्रयोजनों के लिए अपेक्षित स्थान का ध्यान रखते हुए तैयार करेगी।
(2) पंचायत इधर-उधर स्थित किसी भी भूखण्ड के नीलाम का विनिश्चय करते समय जहाँ तक संभव हो निर्माण रेखा को बनाये रखने का प्रयत्न करेगी।
(3) निवासीय प्रयोजनों के लिए 100 वर्ग गज या अधिक के और वाणिज्यिक प्रयोजनों के लिए 200 वर्ग फुट तक से किसी भी क्षेत्र को इधर-उधर स्थित भूखण्ड के रूप में नीलाम किया जायेगा।
144.  भूमि पट्टी का आवंटन – (1) पंचायत 100 वर्ग गज तक की कोई भूमि पट्टी निवासी प्रयोजनों के लिए और 200 वर्ग फुट तक की भूमि वाणिज्यिक प्रयोजनों के लिए विद्यमान बाजार मूल्य पर आवंटित कर सकेगी।
(2) भूमि पट्टी केवल उन्हीं व्यक्तियों को आवंटित की जायेगी जिनका विद्यमान मकान/दुकान ऐसी पट्टी से लगे हुयी है उसके लिए अन्य कोई भी आवेदक नहीं है।
(3) एक से अधिक व्यक्तियों के मकानों/दुकानों से लगी हुई पट्टी होने के मामले में उन्हें नीलाम किया जायेगा।
145.  क्रय के लिए आवेदन – (1) पंचायत से कोई भी आबादी भूमि/छूटा भूखण्ड या भूमि की कोई पट्टी खरीदने का इच्छुक कोई व्यक्ति पंचायत को लिखित आवेदन, उसमें उसका ऐसा विवरण देते हुए करेगा, जो क्रय के लिए प्रस्तावित भूमि की पहचान के लिए पर्याप्त हो।
(2) आवेदक अपने आवेदन के साथ स्थल निरीक्षण के व्ययों के पेटे पच्चीस रुपये की राशि जमा करायेगा।
(3) यदि आवेदन के साथ स्थल नक्शा संलग्न नहीं किया गया हो तो आवेदक नक्शा तैयार करने के लिए भी पच्चीस रुपये जमा करायेगा। ऐसे मामले में सचिव आवेदन की उपस्थिति में स्थल निरीक्षण करने के पश्चात स्थल नक्शा तैयार करेगा।
146. स्थल निरीक्षण – (1) सचिव ऐसे आवेदन को प्रपत्र 21 में रजिस्टर करेगा और एक फाइल खोलेगा।
(2) सचिव ऐसी सभी लंबित फाईलों को स्थल निरीक्षण के लिए तीन पंचों की कोई समिति प्रतिनियुक्त करने के लिए पंचायत की अगामी बैठक में रखेगा।
(3) पंच 15 दिन के भीतर-भीतर स्थल का निरीक्षण करेंगे और निम्नलिखित विषयों पर विचार करके आवेदित विक्रय की वांछनीयता के संबंध में पंचायत को अपनी राय देंगे, अर्थात्ः-
(क) क्या आवेदित विक्रय ग्रामीणों द्वारा आने-जाने के लिए उपर्युक्त   सुविधाओं को प्रभावित करेगा,
(ख) क्या ऐसा विक्रय अन्य व्यक्तियों के सुखाचार संबंधी अधिकारों को प्रभावित करेगा,
(ग) क्या ऐसा विक्रय परिक्षेत्र की सुंदरता व सफाई को प्रभावित करेगा,
(ड़) ऐसे अन्य विषय जो सुसंगत प्रतीत हों।
147.  अनंतिम विनिश्चय – (1) तब पंचायत किसी बैठक में अनंतिम रूप में यह विनिश्चय करेगी कि प्रस्तावित विक्रय किया जाय या नहीं।
(2) यदि वह विक्रय न करने का विनिश्चय करे तो आवेदन अस्वीकार कर दिया जायेगा और यह तथ्य आवेदक को संसूचित कर दिया जायेगा। ऐसे मामले में आवेदक फीस के किसी भी प्रतिदाय का हकदार नहीं होगा।
148. नोटिस का जारी और प्रकाशित किया जाना – (1) यदि पंचायत अनंतिम रूप से यह विनिश्चय करें कि विक्रय किया जाये तो वह उप-नियम (2) में अधिकथित रीति से प्रपत्र 22 में एक नोटिस प्रस्तावित विक्रय के संबंध में इसके प्रकाशन की तारीख से एक मास के भीतर-भीतर आक्षेप आमंत्रित करते हुए प्रकाशित करेगी।
*[परन्तु **[राजस्व अभियान, प्रशासन गॉव के संग अभियान या “भूमि के विक्रय और पट्टा वितरण के लिए राज्य सरकार के आदेश द्वारा आयोजित किसी अन्य अभियान के समय” आक्षेपों की आक्षेप आमन्त्रण की अवधि एक मास के स्थान पर सात दिवस की होगी ।]**
*[राजस्थान पंचायती राज (तृतीय संशोधन) नियम 2010 संख्या एफ 4 (7) संशोधन/ नियम/ विधि / पंरा. / 2010/ 2113 दिनांक 26.11.2010 द्वारा परन्तुक जोडा गया, राज राजपत्र भाग 4(ग) दिनांक 30.11.2010 को प्रकाशित एवं प्रभावी]*  
(2) उप-नियम (1) में निर्दिष्ट दो प्रतियों में नोटिस तैयार किया जायेगा और उसकी एक प्रति विक्रय हेतु प्रस्तावित भूमि पर किसी सहजदृष्य स्थान पर लगायी जायेगी, दूसरी प्रति परिक्षेत्र के कम से कम दो प्रतिष्ठित व्यक्तियों के उसे ऐसे लगाये जाने के प्रमाणस्वरूप हस्ताक्षर अभिप्राप्त करने के पश्चात पंचायत कार्यालय को लौटा दी जायेगी।
149. आक्षेपों का निपटारा – नियम 148 के अधीन जारी सूचना के प्रत्युत्तर में प्राप्त हस्तक्षेप यदि कोर्इ्र हों, पंचायत द्वारा संबंधित पक्षों को सुनवाई का युक्तियुक्त अवसर देने के पश्चात निपटाये जायेंगे।
150.  भूमि का नीलाम किया जाना – (1) यह नियम 148 के अधीन कोई्र भी आक्षेप एक मास के भीतर-भीतर प्राप्त न हो या यदि प्राप्त हुये सभी आक्षेप नियम 149 के अधीन खारिज कर दिये गये हों, तो पंचायत संकल्प द्वारा विक्रय के लिए प्रस्तावित भूमि के, किसी ऐसी तारीख को, जो संकल्प के आदेश की तारीख से एक मास के पूर्व की न हो, और विनिर्दिष्ट किये जाने वाले समय और स्थान पर, नीलाम का आदेश देगी।
(2) तदुपरांत ऐसे नीलाम का, और उप-नियम में विनिर्दिष्ट तारीख, समय और स्थान का एक नोटिस डोंडी पिटवाकर, किसी भी अन्य ध्वनि प्रवर्धक युक्ति द्वारा, उद्घोषित किया जायेगा और नीलाम के नोटिस की एक प्रति स्थल के समीप तथा गांव के बाजार में, सहजदृष्य स्थानों पर और पंचायत के नोटिस बोर्ड पर प्रदर्शित की जायेगी।
151. नीलामी समिति – (1) स्थावर संपत्ति की सभी नीलामी एक नीलामी-समिति द्वारा किये जायेंगे जिसमें-
(i) सरपंच
(ii) उप सरपंच
(iii) सतर्कता समिति का अध्यक्ष
(iv) महिला/अनुसूचित जाति/जन जाति/अन्य पिछड़े वर्ग का एक पंच पंचायत द्वारा मनोनीत होगा यदि पहले से उसका प्रतिनिधित्व ना हो।
(v) भू-राजस्व निरीक्षक या उसकी अनुपस्थिति में पटवारी, जिन्हें पर्याप्त समय पूर्व सूचना दी जायेगी।
तीन सदस्यों में नीलामी समिति की गणपूर्ति होगी।
(2) नीलामी नीलामी के स्थल पर की जावेगी और दिन के अस्त होने के पूर्व नीलामी समाप्त नहीं की जायेगी।
152. बाजार कीमत – (1) यह सुनिश्चित करना नीलामी समिति का कर्तव्य होगा कि बोली लगाने वालों के बीच स्वतंत्र और उचित प्रतियोगिता हो।
(2) नीलामी समिति ऐसी भूमि की विद्यमान बाजार कीमत ध्यान में रखेगी।
(3) अंतिम बोली किसी भी स्थिति में उस सूचक दर से कम नहीं होगी जो क्षेत्र में उप-रजिस्ट्रार द्वारा स्टाम्प शुल्क के प्रयोजनार्थ भूमियों के पिछले विक्रय के आधार पर नियत की गयी हो।
(4) विकास अधिकारी प्रत्येक गांव के लिए ऐसी सूचक दरंे उप-रजिस्ट्रार के कार्यालय से अप्रैल मास में अभिप्राप्त करेगा और संबंधित पंचायतों को सूचित करेगा।
(5) बोलीयां ऐसी सूचक दरों से प्रारम्भ होंगी जा उपनियम (4) के अधीन विकास अधिकारी द्वारा सूचित की जाय और सूचक दरें बाजार कीमत के अनुसार होगी जिनमें नीचे किसी भी विक्रय को पंचायत द्वारा अंतिम रूप नहीं दिया जायेगा।
153. विफल होने पर संदाय और पुनविक्रय – (1) जिस व्यक्ति ने अंतिम, सबसे ऊंची बोली लगा दी हो वह बोली की रकम का 10 प्रतिशत स्थल पर ही तुरंत और 15 प्रतिशत चौबीस घंटों के भीतर-भीतर तथा अतिशेष 60 दिवस के भीतर-भीतर जमा करायेगा।
(2) उप-नियम (1) में उपबंधित संदाय करने में विफल रहने पर भूमि का तत्काल पुनविक्रय किया जायेगाः परंतु बोली की रकम का अतिशेष संदत्त करने में विफल रहने पर कोई पुनर्विक्रय नियम 150 के उप-नियम (2) में उपबंधित रूप से कोई नया नोटिस जारी किये जाने के पश्चात किया जायेगा और मूल विक्रय के समय निक्षिप्त की गयी नीलाम कीमत का 10 प्रतिशत पंचायत में समपहृत हो जायेगा :
परंत यह और कि ऐसे पुनर्विक्रय से प्राप्त कीमत में की कोई भी कमी उस व्यक्ति द्वारा संदेय होगी जो पूर्वाक्त रूप से संदाय करने में विफल रहा है और वह उससे पंचायत शोध्यों के रूप मंे वसूलीय होगी।
154. विक्रय की पुष्टि-(1) सबसे ऊँची बोली की स्वीकृति पंचायत और उप नियम (3) में विहित प्राधिकरियों द्वारा पुष्टि किये जाने के अध्यधीन होगी।
(2) यदि कोई भी आक्षेप प्राप्त नहीं हुआ है तो पंचायत सबसे ऊंची बोली को अपनी आगामी बैठक में मंजूरी देगी जो नीलाम की तारीख के 15 दिन पूर्व आयोजित नहीें की जायेगी।
(3) जहाँ सबसे ऊंची बोली की रकम *[50,000] रुपये से अधिक हो वहॉं पंचायत निम्नलिखित रूप से पूर्व अनुमोदन प्राप्त करेगी- 
(क) अधिकारिता रखने वाली पंचायत समिति से यदि रकम *[2,00,000] रुपये से अधिक न हो, 
(ख) संबंधित जिला परिषद से यदि राशि *[5,00,000] से अधिक न हो,
**[(ग) 5 लाख से 10 लाख तक तक की आबादी भूमि के विक्रय / निलामी की पुष्टि किए जाने हेतु संभागीय आयुक्त को अधिकृत किया है]
[टिप्पणी – पट्टी भूमि के विक्रय या बातचीत द्वारा विक्रय जो 10,000 रुपये से अधिक का हो, की पुष्टि भी पट्टा जारी करने के पूर्व अपेक्षित होगी।] 
(4) उप-नियम (3) में विनिर्दिष्ट प्राधिकारी किसी बोली को पुष्ट करने से इंकार कर सकेगा यदि उसकी राय में बेची जाने वाली भूमि का पूरा मूल्य नहीं आया हो या अधिकथित प्रक्रिया का अनुसरण नहीं किया गया हो, और ऐसे मामलों में सबसे ऊंची बोली लगाने वाले के द्वारा जमा करायी गयी रकम बिना ब्याज के प्रतिहृत कर दी जायेगी।
(5) अतिशेष की 75 प्रतिशत रकम नीलाम की तारीख से दो मास के भीतर-भीतर या बोली की पुष्टि की संसूचना की तारीख से एक मास के भीतर-भीतर जमा करायी जायेगी।
155. कब्जा – पंचायत नीलाम की गई संपत्ति का भौतिक कब्जा तब तक सुपुर्द नहीं करेगी जब तक नियम 154 (2) या 154(3) में उल्लिखित सक्षम प्राधिकारी द्वारा सबसे ऊंची बोली की पुष्टि न कर दी जाये।
156. प्राईवेट बातचीत द्वारा आबादी भूमि का अंतरण – (1) पंचायत किसी भी आबादी भूमि को प्राईवेट बातचीत के द्वारा विक्रय के जरिये निम्नलिखित मामलों में अंतरित कर सकेगी-
(क) जहाँ किसी व्यक्ति का भूमि पर स्वत्व का दावा न्याससंगत है और नीलामी से उचित कीमत प्राप्त नहीं हो सकती हो,
(ख) जहाँं कोई अतिचार हो या अन्य किसी कारण लेखबद्ध किये जाने वाले किसी भी अन्य कारण से पंचायत यह समझती हो कि नीलाम उस भूमि के निवर्तन का कोई सुवधिाजनक ढंग नहीं होगा, और
(ग) जहाँ तक नियम 144 के उप-नियम (1) और (2) के अनसु ार भूमि की कोई पट्टी हो और एक ही आवेदक हो। (2) किसी भी मामले में ऐसी आबादी भूमि उप-रजिस्ट्रार द्वारा नियत और विकास अधिकारी द्वारा गांव की विद्यमान बाजार कीमत के रूप में संसूचित कीमत से नीचे के किसी दर पर अंतरित नहीं की जायेगी।
(3) किसी बाजार या वाणिज्यिक क्षेत्र में ऐसी बाजार कीमत निवासीय क्षेत्रों के लिए नियत कीमत की दुगुनी से कम नहीं होगी।
157.  पुराने गृहों को विनियमितिकरण – *[(1)जहाँ व्यक्तियों के कब्जे से आबादी भूमि में पुराने गृह हों और वे पंचायत से कोई पट्टा जारी करवाना चाहते हों तो वह निम्न अनुसार राशि जमा कराये जाने के पश्चात **[प्रारूप 23क] मेें पंचायत द्वारा पट्टा जारी किया जा सकेगाः- 
(i) 300 वर्गगज तक के क्षेत्रफल के लिए 300 वर्गगज अधिकतम क्षेत्रफल के अध्यधीन रहते हुए 25 प्रतिशत संनिर्मित क्षेत्रफल को सम्मिलित करते हुए संनिर्मित क्षेत्रफल
(क) इन नियमों के प्रारम्भ की तारीख से पूर्व, 50 वर्ष से अधिक पूर्व से संनिर्मित पुराने मकानों हेतु 100 रुपये  
*[(ख) 31 दिसम्बर 2016 के ठीक पूर्ववर्ती 70 वर्षो का दौरान बने संनिर्मित पुराने मकानों हेतु 200 रुपये]*
(ii)उपर्युक्त खण्ड (i) में विनिर्दिष्ट क्षेत्रफल  से अधिेक क्षेत्रफल के लिए , ऐसे अधिक क्षेत्रफल पर राजस्थान स्टाम्प नियम 2004 के नियम  के खण्ड (ख) के अधीन गठित जिला स्तरीय समिति द्वारा सिफारिश की नयी बाजार दरों का 25 प्रतिशत ।
**[परन्तु प्रशासन गांव के संग अभियान 2021 की अवधि के दौरान उपर्युक्त   खंड (i) और (ii) के तहत निर्दिष्ट दरों के पचास प्रतिशत के बराबर की दर से शुल्क लिया जाएगा।]
 परन्तु गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वालों को सूची में सम्मिलित परिवार के लिए खण्ड (क) के अन्तर्गत कोई राशि देय नहीं हेागी तथा खण्ड (ख) के अन्तर्गत कुल देय राशि के 10 प्रतिशत देय हेागा।] 
*[(2) ऐसे परिवार जिनके पास कही भी कोई गृह स्थल नही है और जिनके वर्ष 2003 तक झुग्गी -झोपडी / कच्चे -गृह के निर्माण के तौर पर आबादी भूमि पर कब्जा है अधिकतम 300 गज तक कब्जे के मुक्त विनियमितिकरण के हकदार होगें ऐसी भूमि का पट्टा **[प्ररूप 23 ख] में ऐसी महिला को जारी किया जायेगा जो ऐसे परिवाद की मुखिया हो ।]
*[टिप्पणी – ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज विभाग द्वारा जिला परिषद जोधपुर को मार्गदर्शन हेतु जारी किये पत्र क्रमांक एफ.139(3) मार्गदर्शन /विधि/पंरा/2022 / 1134 दिनांक 21 -04 -2022 में  व्यक्ति की परिभाषा हेतु  General Clauses Act की परिभाषा “person” shall include any company or association or body of individuals, whether incorporated or not; का उल्लेख किया है एवं एक व्यक्ति / परिवार को एक से अधिक पट्टे दिए जाने  / नहीं दिए जाने के सम्बन्ध में नियमों में स्पष्ट प्रावधान नहीं होने का उल्लेख किया है।]
158. भूमियों का कमजोर वर्गो को आवंटन – (1) पंचायत, गांव आबादियों में *[300 वर्ग गज] तक की आबादी भूमि अनुसूचित जातियों, स्वच्छकारों, अनुसूचित जनजातियों, पिछड़ा वर्गो के सदस्यों को,गांव कारगारों, श्रम मजदूरी पर आधारित भूमिहिन व्यक्तियों, एकीकृत ग्रामीण विकास कार्यक्रम में चयनित परिवारों, विकलांगों, यायावर जनजातियों, गाडिया लुहारों के पास स्वयं के गृहस्थल/गृह नहीं हैं और ऐसे बाढ़ग्रस्तों को भी जिनमें गृह-स्थल बाढ़ के कारण भावी निवास हेतु अयोग्य हो गये हैं, रियायती दरों पर आवंटित कर सकेगी **[और ऐसी भूमि का पट्टा प्ररूप 23 ग में जारी किया जा सकेगा ।]
*[राज. पंचायती राज (द्वितीय संशोधन) नियम 2008 द्वारा 150 के स्थान पर 300 प्रतिस्थापित।  अधिसूचना संख्या एफ .4(13) पी.आर.डी /विधि /नियम / संशोधन / 07/1301  दिनांक 04.04.2008 एवं राज पत्र भाग 4 दिनांक 10.04.2008 को प्रकाशित एवं प्रभावी,]
*(1क) पंचायत, सरहदी पंचायत समिति क्षेत्रों के भूतपूर्व सैनिको को ग्रामीण आबादी में [300 वर्ग गज] तक आबादी भूमि रियायती दर पर आवंटित कर सकेगी।]
(2) ऐसे आवंटियों से निम्न प्रकार दर से वसूल की जावेगीः-
 (क) 1000 से कम की आबादी वाले गांवों में (1991 की जनगणना) 2/- रुपये प्रति वर्ग मीटर
 (ख) 1001 से 2000 की आबादी वाले गांवों मं (1991 जनगणना) 5/- रुपये प्रति वर्ग मीटर
 (ग) 2000 से अधिक की आबादी वाले गांवों मं (1991 जनगणना) 10/- प्रति वर्ग मीटर
 *[परन्तु यह और कि गरीबी रेखा से नीचें के परिवारो को आबादी भूमि आवंटन की दशा में पंचायत भूमि निःशुल्क आवंटित कर सकेगी और ऐसी भूमि का पट्टा प्ररूप23 ग में जारी किया जा सकेगा]
 *[(2क) पंचायत, घुमक्कड भेड पालको कों 300 वर्गगज तक आबादी भूमि निःशुल्क आवंटित कर सकेगी ।]
 *[(2ख) राज्य सरकार सिंचाई परियोजना के विस्थापितों कों निःशुल्क अधिकतम 300 वर्ग गज के अध्यधीन रहते हुए उनके स्वामित्व वाले गृह स्थलों या गृह के समतुल्य आबादी भूमि आवंटित कर सकेगी ।]
*[“(2) किसी भी परियोजना के विस्थापितों को किसी के द्वारा आवंटित भूमि विभाग/ संस्था/ प्राधिकरण, जो आवंटन के समय पंचायत की आबादी भूमि नहीं थी और यदि ऐसी भूमि सक्षम प्राधिकारी द्वारा पंचायत को हस्तांतरित की गई है, तो पंचायत ऐसे विस्थापितों के पक्ष में ऐसी भूमि का पट्टा जारी कर सकती है।”]*
2022 को प्रकाशित एवं प्रभावी]**
(3) इस प्रकार आवंटित की गई आबादी भूमि अंतरणीय नहीं होगी ऐसे सभी पट्टों पर बड़े अक्षरों में विक्रय के लिए नहीं की मुहर लगायी जायेगी। यदि कोर्इ्र भी आवंटिती ऐसे गृह स्थल/गृह को किसी अन्य व्यक्ति को अंतरित या विक्रीत करे तो आवंटन स्वतः निरस्त हो जायेगा । स्वामित्व उस पर के संनिर्माण या पडी सामग्री के साथ पंचायत में निहित हो जायेगी और अंतरिती को ऐसी आबादी भूमि पर अतिचारी मानते हुए बेदखल कर दिया जायेगा।
*[(3क) इस नियम के तहत आवंटित भूमि का तीस प्रतिशत विधवाओं और तलाकशुदा महिलाओं को आवंटित किया जाएगा।] 
(4) तथापि पंचायत बैठक में किसी संकल्प द्वारा ऐसी भूमि को बातचीत द्वारा अनुकम्पा आधारों पर ऐसे अतिचारी को बाजार कीमत पर आवंटित करने के निश्चय कर सकेगी।
(5) ऐसे आवंटिती को भविष्य में किसी भी पश्चातवर्ती आवंटन से विवर्जित किया जायेगा।
(6) उप-नियम (3) और (4) तथा (5) में अन्तर्विष्ट उपबंध अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों को पंचायत क्षेत्र में निःशुल्क आवंटित किये जाने वाले दुकान-स्थलों के लिए भी लागू होंगे।
(6) बाढ़ग्रस्त व्यक्तियों को अन्य स्थान/स्थानों पर गृहःस्थलों के आवंटन के लिए संबंधित पंचायत ऐसे व्यक्तियों से आवेदन इस परिवचन के साथ आमंत्रित करेगी कि अन्य स्थानों पर गृह-स्थलों के आवंटन की स्थिति में बाढ़ में यह नये गृह-स्थल सामग्री सहित सभी विल्लंगमों से मुक्त रूप में, संबंधित पंचायत में निहित हो सकेंगे।
159. भूमियों का रियायती कीमत पर आवंटन – (1) पंचायत उसमें उपलब्ध आबादी भूमि में से 500 वर्ग गज तक के भूखण्ड पूर्विकता के आधार पर भूतपूर्व सेना के ऐसे कर्मियों को (जो कमीषंड रैंकों के नहेीं हैं) जिनके पास किसी भी आबादी भूमि में स्वयं का मकान नहीं है, नियम 152 के उप-नियम (5) में उल्लिखित बाजार कीमत की 50 प्रतिशत पर आवंटित कर सकेगी :
*[(2) पंचायत
(i) नियम 152 के उप नियम (5) में यथा वर्णित बाजार कीमत के 50 पर प्राथमिक कृषिक सहकारी समिति सोसाइटी / बडी बहुदृदेशीय विपणन सोसाइटी को
(ii) राज्य सरकार द्वारा पुष्टीकरण के अध्यधीन रहते हुए ग्राम सेवा सहकारी समिति सा क्रम विक्रय सहकारी समिति का निःशुल्क गोदामों /कार्यालयों संनिर्माण के लिए पूर्विकता के आधार पर आबादी क्षेत्र में 1500 वर्ग गज तक के भूखंडों का आवंटन भी कर सकेगी]
160. अनुमोदन के अध्यधीन अंतरण और आवंटन – (1) ऐसे सभी अंतरण जिनका मूल्य 10,000 रू से अधिक हो, नियम 154 के उप-नियम (3) में उल्लिखित प्राधिकारी द्वारा पुष्टि किये जाने के अध्यधीन होगें।
161. विक्रय की शक्ति से आबादी भूमि के कतिपय प्रवर्गो का अपवर्जन – (1) यदि किसी आबादी भूमि का स्वामित्व विवादग्रस्त हो तो ऐसी भूमि पंचायत द्वारा विक्रीत नहीं की जायेगी और ज्योंही पंचायत की जानकारी में यह आये कि ऐसा कोई विवाद है त्यों ही उसके विक्रय की कार्यवाहियां सक्षम न्यायालय का ऐसे विवाद पर विनिश्चय होने तक के लिए रोक दी जायेंगी
(2) पंचायत निम्नलिखित विनिर्दिष्ट सीमाओं में न तो किसी आबादी भूमि का विक्रय करेगी न ही पक्का संनिर्माण अनुज्ञात करेगी :- 
(क) रेल्वे लाइन से एक सौ फुट 
(ख) राष्ट्रीय राजमार्ग की मध्य रेखा से एक सौ पचास फुट 
(ग) राज्य राजमार्गो और मुख्य जिला सड़कों की मध्य रेखा से पचहत्तर फुट 
(घ) अन्य जिला सड़को और गांवो की मध्य रेखा से पचास फुट 
(3) पंचायत सर्किल के भीतर चारागाह भूमियों का और आबादी के विस्तार के लिए अकृत्य बंजर भूमियों का आवंटन राजस्थान भू-राजस्व अधिनियम के अधीन बनाये गये नियमों से शासित होगा।
(4) राज्य सरकार द्वारा अपेक्षित कोई भी आबादी भूमि पंचायत द्वारा बिना किसी दाम के दी जायेगी।
(5) राज्य सरकार राजपत्र में अधिसूचना द्वारा, सभी या किन्हीं भी पंचायतों से आबादी भूमि के निर्वर्तन की ष्षक्तियां प्रत्याहत कर सकेगी यदि वह लोकहित में ऐसा करना समीचीन समझे, और उन्हे किसी भी अन्य अधिकारी को प्रदत कर सकेगी।
162. सरकारी संस्थाओं को आबादी भूमि का आवंटन – (1) पंचायत, आबादी क्षेत्र के भीतर 500 वर्ग गज तक की भूमियां, संबंधित जिला परिषद द्वारा पुष्टि किये जाने के अध्यधीन, विद्यालय, औषधालय, आंगनबाडी़ को निःशुल्क आवंटित कर सकेगी।
(2) कोई भी अन्य निःशुल्क या रियायती कीमत पर आवंटन केवल राज्य सरकार के पूर्वानुमोदन से ही किये जायेंगे।
*[टिप्पणी –नियम 162 (2) के तहत सरकारी कार्यालय के भवन हेतु ग्राम पंचायत 500 वर्ग गज तक स्वयं, 1000 वर्ग गज तक पंचायत समिति की अनुमति से एवं 1000 वर्ग गज से अधिक जिला परिषद की अनुमति से  निःशुल्क आवंटन के लिए अधिकृत।]
**[टिप्पणी – ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज विभाग द्वारा जिला परिषद जयपुर  को दिए गए  मार्गदर्शन  पत्र क्रमांक एफ.139(49) जी एस एस/ विधि/ पंरा/ 2021/ 967  दिनांक 02-12 -2021 में विद्युत वितरण निगम लिमिटेड को नियम 162 (2) के तहत सरकारी संस्थान की श्रेणी में नहीं माना गया है। ]
163. भूमि का अस्थायी उपयेाग – (1) पंचायत आबादी भूमि के किसी को भी निःशुल्क उपयोग की अनुज्ञा नहीं देगी और धार्मिक उत्सवों, पशुमेलों, त्यौहारों, मंडी क्षे़त्रों हेतु स्थानों में भूमि के अस्थायी उपयोग के लिए पट्टा-किराया प्रभारित करेगी।
(2) आबादी भूमि के अस्थायी उपयोग के लिए 2/- रुपए प्रति वर्ग फुट से अन्यून का पट्टा किराया वार्षिक रूप से प्रभारित किया जायेगा।
(3) बाजार क्षेत्र में पट्टा-किराया दुगुनी दर पर प्रभारित किया जायेगा।
(4) पंचायत तीन पंचों की एक समिति, जिसे सचिव सहायता करेगा, के जरिये तैयार किया गया एक सर्वेक्षण अभिलेख, भूमि धारक के पट्टे के आधिक्य में अस्थायी उपयोग के अधीन की आबादी का क्षेत्र उपदर्शित करते हुए तैयार करवायेगी।
(5) पंचायत बड़े धार्मिक और अन्य मेलों में दुकाने चलाने के लिए भूमि के अस्थायी उपयोग हेतु ऐसे स्थलों का नीलाम, अच्छा-खासा प्रचार करने के पश्चात पर्याप्त समय पूर्व करेगी।
164. पंचायती राज भवनों और दुकानों का किराये पर दिया जाना – (1) कोई भी पंचायती राज संस्थान अपने भवन सरकारी कार्यालयों, बैंक, डाकघर आदि को किराये पर दे सकेगी जो सार्वजनिक निर्माण विभाग के सक्षम प्राधिकारी द्वारा निर्धारित दरों से कम नहीं होगा।
(2) दुकाने और अन्य वाणिज्यिक स्थल तीन वर्ष से अधिक के लिए और निम्नलिखित 3 सदस्यों की समिति द्वारा खुले नीलाम के जरिये हीं पट्टे पर दिये जायेंगे।
(क) जिला परिषद भवनों के लिए मुख्य कार्यपालक अधिकारी, लेखाधिकारी और प्रमुख द्वारा नाम निर्दिष्ट जिला परिषद का एक सदस्य
(ख) पंचायत समिति की स्थावर संपत्तियों के लिए विकास अधिकारी, लेखाकार और प्रधान द्वारा नाम निर्दिष्ट जिला परिषद पंचायत समिति का एक सदस्य
(ग) पंचायत स्तर पर समिति नियम 151 के अनुसार होगी।
(3) ऐसे परिसरों को किराये पर देने के पट्टा करारों में किराया रकम को प्रतिवर्ष 10 प्रतिशत बढ़ाने की शर्त सम्मिलित होगी।
(4) यदि परिसर तीन वर्ष की समय सीमा के पश्चात खाली नहीं किये जाये, या वे करार के निर्बंधनों के अतिक्रमण में किसी अन्य व्यक्ति को उप-पट्टे पर दे दिये जायें अथवा किराया नियमित रूप से जमा नहीं कराया जाये तो मुख्य कार्यपालक अधिकारी परिसर को बेदखली के लिए हेतु दर्शित करने का नोटिस देने के पश्चात परिसर खाली करवायेगा यदि संबंधित पंचायत या पंचायत समिति द्वारा ऐसा निवेदन किया गया है।
(5) पंचायत या पंचायत समिति तीन वर्ष की अवधि बढ़ाने के विषय पर बातचीत भी कर सकेगी, किन्तु ऐसे मामले में पारस्परिक करार द्वारा किराये में की जाने वाली वार्षिक वृद्धि की रकम 20 प्रतिशत होगी।
165. पंचायत भूमि पर के अतिचारियों का सर्वेक्षण और अतिक्रमणों का हटाया जाना – (1) पंचायत सार्वजनिक भूमियों पर अतिचार के मामलों का पता लगाने के लिए प्रतिवर्ष जनवरी और जुलाई मास में आबादी भूमियों, तालाब-तल और चरागाहों के अतिचारियों का सर्वेक्षण करने के लिए तीन पंचों की एक समिति बनायेगी जिसमें सरपंच/उप-सरपंच सम्मिलित होगा और जिसे सचिव द्वारा सहायता दी जायेगी।
(2) ऐसे सभी अतिचार की, क्षेत्र के ब्यौरे और अतिचार की प्रकृति के साथ, सचिव द्वारा एक रजिस्टर में प्रविष्टि की जायेगी।
(3) पंचायत आबादी क्षेत्र में के ऐसे अतिचारियों को, अतिचारित भूमि की बेदखली के लिए, नोटिस जारी करेगी जब कभी पंचायत या उसके सदस्य या सचिव के ध्यान में लाया जावे की अतिक्रमण किया जा रहा हैं तो सरपंच को अधिकार होगा कि अतिक्रमी के विरूद्ध निषेधात्मक आज्ञा जारी करके तुरंत अतिक्रमण या निर्माण रोक दे अन्यथा उसके खर्चे व हर्जाने पर ऐसा अतिक्रमण हटा दिया जावेगा।
(4) यदि पंचायत की यह राय हो कि यदि ऐसे अतिचार का विनियम कर दिये जाने से नियम 156 में उल्लिखित शर्तों का अतिक्रमण नहीं होगा तो वह अतिचारी भूमि को बाजार कीमत पर आवंटित करने का विनिश्चय कर सकेगी।
(5) चारागाह भूमि या तालाब-तल पर पाये गये अतिचार के सभी ऐसे मामलों की लिखित रिपोर्ट तहसीलदार को, मामले रजिस्टर करने और अतिचाारियों के बेदखली के पंचायत के संकल्प के साथ, की जायेगी।
(6) पंचायत, पंचायत भूमि पर अतिक्रमण हटाने के लिए सीधे ही या अपने क्षेत्र के उप-खण्ड मजिस्ट्रेट को प्रार्थना करते हुए अधिनियम की धारा 110 के अनुसार पुलिस की सहायता ले सकेगी।
(7) पंचायत यह सुनिश्चित करेगी कि तहसीलदार द्वारा चरागाह भूमि के अतिचारियों पर अधिरोपित शास्तियों की सभी रकमें पंचायत निधि में पूरी तरह जमा करा दी जाये।
166. अपीलें – (1) नियम 154 के अधीन आबादी भूमि के विक्रय या नियम 160 के साथ पठित नियम 156 के अधीन भूमि के अंतरण या नियम 157, 158 या 159 अधीन, भूमियों के आवंटन की पुष्टि करने वाले पंचायत के किसी मूल आदेश की पंचायत समिति को कोई अपील अधिनियम की धारा 61 के अनुसार हो सकेगी।
(2) जिस आदेश की अपील की जाये उस की प्रति अभिप्राप्त करने के लिए अपेक्षित समय को अपवर्जित करते हुए, उसकी तारीख से 30 दिन के भीतर-भीतर अपील फाइल की जा सकेगी।
167. विक्रय विलेख – (1) नियम 153 में उपबंधितानुसार संदाय कर दिये जाने, नियम 154 में उपबंधितानुसार विक्रय की पुष्टि कर दिये जाने और नियम 166 के अधीन अपील, यदि कोई हो, निपटा दिये जाने या यदि कोई भी अपील नहीं की गई हो तो उसके लिए विधित समय सीमा के समाप्त हो जाने के पश्चात आबादी भूमि के विक्रय का साक्ष्य देने वाला प्रारूप 23 में लिखा गया एक विलेख पंचायत की ओर से निष्पादित किया जायेगा।
*[167(क)  विक्रय विलेख पट्टा या पट्टा विलेख का पुनर्विधिमान्यकरण – कोई व्यक्ति जो पंचायत द्वारा जारी किये गये विक्रय विलेख, पट्टा या पट्टा विलेख का पुनर्विधिमान्यकरण कराना चाहता है, वह पुनर्विधिमान्यकरण के लिए पंचायत को मूल विक्रय, विलेख पट्टा या पट्टा विलेख और राज्य सरकार द्वारा समय समय  पर विनिर्दिष्ट फीस के साथ आवेदन कर सकेगा । पंचायत, पंचायत के अभिलेख से स्वयं  का समाधान करने के पश्चात् विक्रय विलेख, पट्टा या यथास्थिति, पटटा विलेख को पुनः विधिमान्य कर सकेगी और विक्रय विलेख, पट्टा या पट्टा विलेख पर इस प्रस्ताव का पृष्ठाकंन करेगी ।]
(2) पट्टे पर सरपंच और सचिव द्वारा संयुक्त रूप से हस्ताक्षर किये जायेगे।
मार्गदर्शन 
             मुख्य कार्यकारी अधिकारी, जिला परिषद, समस्त राजस्थान
विषय :- पुराने पट्टों के पुनर्विधिमान्यकरण (revalidation)किये जाने बाबत
           उपर्युक्त विषयान्तर्गत लेख है कि राजस्थान पंचायती राज नियम, 1996 में नया नियम.167क जोड़ा जाकर पंचायत द्वारा जारी किये गए विकय विलेख, पट्टा या पट्टा विलेख का पुनर्विधिमान्यकरण (Revalidation) किये जाने का प्रावधान किया जा चुका है। इस सम्बन्ध में निर्देशित किया जाता है कि पट्टे का पुनर्विधिमान्यकरण ग्राम पंचायत में उपलब्ध रिकार्ड से मिलान कर पट्टा नियमानुसार जारी होने की स्थिति में तथा पट्टाधारक स्वयं या उसके वारिसान द्वारा प्रार्थना पत्र प्रस्तुत करने पर ही किया जाये ।
पट्टे का पुनर्विधिमान्यकरण (Revalidation) मूल पट्टे पर ही निम्नलिखित प्रारूप में किया जाये राजस्थान पंचायती राज नियम, 1996 के नियम.167क के प्रावधानानुसार ग्राम पंचायत की बैठक दिनांक………………………. प्रस्ताव सं० …….की पालना में आज दिनांक……………………..को पुनर्विधिमान्यकरण किया जाता है।
हस्ताक्षर                                                                                                              हस्ताक्षर
ग्राम विकास अधिकारी ग्राम पंचायत……………                                                       सरपंच ग्राम पंचायत……………
             ग्राम पंचायत उपरोक्तानुसार निर्देशों की पालना समस्त ग्राम पंचायतों द्वारा किया जाना सुनिश्चित करे
                                                                                                                               (आशुतोष ए. टी पेडणेकर)
                                                                                                                                शासन सचिव एवं आयुक्त
मार्गदर्शन 
             मुख्य कार्यकारी अधिकारी, जिला परिषद समस्त (राजस्थान) ।
विषय :- प्रशासन गांवों के संग अभियान.2021 के दौरान जारी किये जाने वाले पट्टों के संबंध में मार्गदर्शन
            उपर्युक्त विषयान्तर्गत कतिपय जिला परिषदों द्वारा कुछ बिन्दुओं यथा: पूर्व में जारी पट्टा चोरी / नष्ट / गुम हो जाने तथा संबंधित ग्राम पंचायत में पुराना रिकॉर्ड उपलब्ध न होने की स्थिति आदि के बाबत प्रकरण का निस्तारण किये जाने के संबंध में मार्गदर्शन चाहा गया है। अतः विभाग को प्राप्त विभिन्न पत्रों में वर्णित बिन्दुओं के क्रम में निम्नानुसार मार्गदर्शन प्रदान किया जाता है-
1. राजस्थान पंचायती राज अधिनियम, 1994 एवं राजस्थान पंचायती राज नियम, 1996 अथवा वर्ष 1994 से पूर्व में विद्यमान अधिनियम / नियमों के तहत तत्समय ग्राम पंचायतों द्वारा जारी किये गए पट्टों के संबंध में किसी व्यक्ति द्वारा उसका मूल पट्टा चोरी / गुम / नष्ट होने पर नया पट्टा जारी किये जाने से संबंधित आवेदन प्राप्त होने पर ऐसे प्रकरणों का निस्तारण करने के लिए :-
(1) ग्राम पंचायत के स्वयं के रिकॉर्ड में उपलब्ध कार्यालय प्रति होने की दशा में पट्टा चोरी होने की स्थिति में एफ आई आर की प्रति मय शपथ पत्र के एवं यदि पट्टा नष्ट / गुम हो गया हो तो इस आशय का आवेदक से शपथ पत्र प्राप्त किया जाकर, राजस्थान पंचायती राज नियम, 1996 के प्रावधानों के अनुसार नया पट्टा जारी करने की विहीत प्रक्रिया अपनाई जाकर उसे डुप्लीकेट पट्टा जारी कर सकती है।
(2) ग्राम पंचायत के स्वयं के रिकॉर्ड में कार्यालय प्रति उपलब्ध नहीं होने की दशा में पट्टा चोरी होने की स्थिति में एफ आई आर  की प्रति मय शपथ पत्र के एवं यदि पट्टा नष्ट / गुम हो गया हो तो इस आशय का आवेदक से शपथ पत्र प्राप्त किया जाकर, उक्त तथ्यों का उल्लेख करते हुए आमजन से आपत्ति आमंत्रित किये जाने का नोटिस स्थानीय समाचार पत्रों में प्रकाशित करवाया जाकर, प्राप्त आपत्तियों का निराकरण करने के पश्चात राजस्थान पंचायती राज नियम, 1996 के प्रावधानों के अनुसार नया पट्टा जारी करने की विहीत प्रक्रिया अपनाई जाकर उसे नया पट्टा जारी कर सकती है ।
2. जिन प्रकरणों में आवेदक द्वारा पूर्व में जारी  पट्टे की मूल प्रति प्रस्तुत की ओर उसके पुनविधिमान्यकरण / पट्टा विभाजन / नामान्तकरण / भू.उपयोग परिवर्तन आदि के लिए आवेदन किया जाए एवं संबंधित ग्राम पंचायत के पास किसी की कारणवश पंचायत रिकॉर्ड में आवेदक द्वारा प्रस्तुत पट्टे की कार्यालय प्रति संधारित नहीं होना पाया जाए तो ऐसे प्रकरणों में संबंधित आवेदक से उसके द्वारा प्रस्तुत पट्टा सही होने के आशय का शपथ पत्र प्राप्त किया जाये। तत्पश्चात ग्राम पंचायत द्वारा उक्त तथ्यों का उल्लेख करते हुए आमजन से आपत्ति आमंत्रित किये जाने का नोटिस स्थानीय समाचार पत्रों में प्रकाशित करवाया जाकर प्राप्त आपत्तियों का निराकरण करने के पश्चात संबंधित ग्राम पंचायत द्वारा संतुष्ट होने की स्थिति में नियमानुसार अग्रिम कार्यवाही की जाकर, निस्तारण किया जा सकता है।
3. राजस्थान पंचायती राज नियम 1996 के तहत आवासीय भूमि को उप-विभाजन / पुनर्गठन की प्रक्रिया में प्राधिकृत अधिकारी द्वारा प्ररूप [52] में जारी अनुज्ञा के पश्चात संबंधित ग्राम पंचायत द्वारा आवेदक का मूल पट्टा जमा किया जाकर अनुज्ञा के अनुसार नया पट्टा जारी किया जा सकेगा ।
4. विभाग के समक्ष यह बिन्दु भी सामने लाया गया है कि ग्राम पंचायत द्वारा जारी आवासीय पट्टों के पंजीयन की अनिवार्यता समाप्त की जाकर पंचायत द्वारा जारी पट्टों को ही पूर्ण वैधता प्रदान करवाई जाये। इस संबंध में लेख है कि आवासीय पट्टों का पंजीकरण प्रचलित कानूनों के तहत एक अनिवार्य विधिक प्रक्रिया है, जिसमें छूट प्रदान नहीं की जा सकती है ।
5. जिन ग्राम पंचायतों में जिला कलक्टर / उपखण्ड अधिकारी एवं तहसीलदार द्वारा ग्राम पंचायतों की आबादी हेतु कुछ खसरे दर्ज किये जा रहे हैं। उक्त खसरों में आबादी बसी हुई हो एवं पक्के मकान हो तो ऐसी आबादी भूमि का राजस्व रिकॉर्ड में ग्राम पंचायत के नाम स्वामित्व दर्ज होने पर संबंधित ग्राम पंचायत द्वारा नियमानुसार पट्टे जारी किये जा सकते हैं ।
6. ऐसे प्रकरण जहां ग्राम पंचायत में आबादी भूमि राजस्थान पंचायती राज नियम 1996 के लागू होने की पश्चात की अवधि में निहित हुई हो तथा उस भूमि पर कोई व्यक्ति नियम-157 के प्रावधान की पालना में पात्रता रखता हो तो पंचायत द्वारा उसे नियम-157 के तहत प्रक्रिया पूर्ण कर पट्टा दिया जा सकता है ।
                                                                                                                                              (पी. सी. किशन)
                                                                                                                                                 शासन सचिव
मार्गदर्शन 
              मुख्य कार्यकारी अधिकारी, जिला परिषद, समस्त (राजस्थान)।
विषय :-  प्रशासन गांवों के संग अभियान.2021 के दौरान जारी किये जाने वाले पट्टों के संबंध में मार्गदर्शन।
         उपर्युक्त विषयान्तर्गत कतिपय जिला परिषदों द्वारा पट्टों के हस्तांतरण एवं नामान्तरण की प्रक्रिया ग्राम पंचायत द्वारा की जाकर, पट्टा नया बनेगा या उस पर ही अंकन होगा, के संबंध में मार्गदर्शन चाहा गया है। अतः इस संबंध में यह निर्देशित किया जाता है कि हस्तांतरण एवं नामान्तरण के प्रकरणों में नया पट्टा जारी नहीं किया जाकर अन्तरण की प्रविष्टि मूल पट्टे पर अंकित की जा कर कार्यवाही की जा सकती है।
                                                                                                                                              (पी. सी. किशन)
                                                                                                                                                 शासन सचिव
168. पट्टा बही – (1) नीलामी, परभ्रमण या आवंटन द्वारा किये गये समस्त विक्रयों का जिनके लिए पट्टे जारी किये गये, अभिलेख पंचायत द्वारा प्रारूप 24 में रखी गयी पट्टा बही में रखा जायेगा।
(2) पंचायत सम्बंधित पंचायत समिति के विकास अधकिारी को प्रत्येक मास के प्रथम सप्ताह में पट्टा बही की एक प्रति अग्रेषित करेगी। विकास अधिकारी एक नियंत्रण रजिस्टर रखेगा जिसमें ऐसे प्राप्त की गयी पट्टा बही के प्रति के आधार पर, मास के दौरान ऐसी पंचायत द्वारा जारी किये गये पट्टों की संख्या के साथ-साथ मास और वर्ष उपदर्शित करते हुए पंचायतवार लेजर रखा जायेगा। विकास अधिकारी सत्यापन के प्रमाण के रूप में ऐसी प्रविष्टि पर हस्ताक्षर करेगा ताकि पिछली तारीखों में पट्टे जारी करना रोका जा सके।
(3) पंचायत समिति अपने स्तर पर पट्टा बहियां तीन परत में छपवाएगी! ऐसे सभी पट्टों पर पुस्तक संख्या व क्रम संख्या होगी तथा पंचायत समिति स्तर पर पंचायत वार जारी गत पट्टा बहियांे का रिकार्ड रखा जाएगा। पट्टे की पहली परत आवन्टी को दी जाएगी, दूसरी परत पंचायत कार्यालय में रखी जाएगी व तीसरी परत पंचायत समिति को रिकार्ड हेतु भेजी जाएगी। पंचायत समिति उन्हें सुरक्षित रखेगी।
169. चरागाह – (1) यदि किसी भी गांव में चरागाह किसी पंचायत के निवर्तनाधीन नहीं रखा गया हो तो वह तहसीलदार को कोई नया चारागाह लेने या स्थापित करने के लिए अपना प्रस्ताव भेजेगी।
(2) ऐसे प्रस्ताव को प्राप्ति पर, तहसीलदार तुरंत कार्यवाही करेगा और पंचायत से प्रस्ताव कि प्राप्ति की तारीख से तीन मास की कालावधि के भीतर किये गये विनिमय के बारे में पंचायत को सूचना देगा। यदि प्रस्ताव भेजने से तीन मास की कालावधि के भीतर पंचायत द्वारा मंजूरी प्राप्त नही की जाती हैं तो यह विकास अधिकारी को लिख सकेगी जो चरागाह के आंवटन के लिए कार्यवाही करेगा।
(3) कांमन चरागाहों पर उगे हुए वृक्षों और अन्य प्राकृतिक उपज से प्राप्त आय पंचायत निधि में जमा की जायेगी।
(4) पंचायत ऐसे पेड़ों या प्राकृतिक उपज को प्राईवेट संविदा या सार्वजनिक नीलाम द्वारा पट्टे पर दे सकेगी और सूखे, क्षयशील और गिरे हुए पेड़ों का विक्रय भी तत्समय प्रवृत विधि के अध्यधीन रहते हुए पूर्वोक्त रीति से किया जा सकेगा।
(5) चरागाहों पर के गोबर को भी पंचायत द्वारा प्राइर्व ेट संविदा या सार्वजनिक नीलाम द्वारा बेचा जा सकेगा।
(6) कोई पंचायत किसी चारागाह के क्षेत्र को पशुओं की संख्या में वृद्धि होने के मामले में बढ़ा सकेगी उस मामले में मंजूरी के लिए आवेदन उसी प्रकार किया जायेगा जैसा किसी नये चरागाह की स्थापना के मामले में किया जाता है।
(7) चराई भूमियों का उपयोग पशु ओं के चराने से भिन्न किसी भी प्रयोजन के लिए नहीं किया जायेगा।
(8) जहाँ कोई भूमि किसी भी व्यक्ति द्वारा अविधिपूर्ण तरीके से अधिमुक्त की गयी हो या उसका उपयोग किसी भी अन्य प्रयोजन के लिए किया गया हो वहाँं पंचायत नियम 165 के अनुसार तैयार किये गये सर्वेक्षण अभिलेख के आधार पर तत्समय लागू कानून के अधीन कोई आवेदन संबंधित तहसीलदार को करेगी।
170. चरागाहों का विकास – (1) पंचायतों का यह कर्तव्य होगा कि वे चरागाहों मंे उपर्युक्त   किस्म की घास, झाड़ियों और पौधों के विकास के लिए और अतिक्रमणों को रोकने के लिए सभी कदम उठाये इस प्रयोजन के लिए पंचायत प्रत्येक गांव का चरागाह भूमि का नियंत्रण पांच व्यक्तियों की एक समिति को देगी जिसकी अध्यक्षता संबंधित गांव का वार्ड पंच करेगा और जिसके चार सदस्य ग्राम-सभा द्वारा निर्वाचित होंगे।
2) बंद क्षेत्र की घास खुली नीलाम या प्राइवेट संविदा के जरिये बेची जा सकेगी।
(3) विकास योजनाओं की निधियों का उपयोग चरागाहों के विकास के गहन श्रम संकर्मो के लिए कर सकेगी।
171. चराई-प्रभार – पंचायत पशुओं की चराई के लिए ऐसी फीसे प्रभारित कर सकेगी जो वह किसी संकल्प द्वारा अवधारित करें कितं ु ऐसी फीस नीचे विनिर्दिष्ट दरों से अधिक नहीं होगी।
(1) भैंस, गाय, ऊंट, घोड़े, प्रति पशु   *[10/- रु. प्रति मास]
(2) बकरियां और अन्य पशु प्रति पशु   *[5/- रु. प्रति मास]
 
172. जलाशय –  (1) पंचायतों का यह कर्तव्य होगा कि वे उन तालाबो/जलाशयों से होने वाली निजी आय को अधिक से अधिक बढ़ाये जो उन्हें संभलाये गये हैं या संभलाये जाये।
(2) पंचायतें तालाब जल को मत्स्य विकास, सिंघाड़े की खेती, कमल जड़ के उत्पादन के लिए पट़टे पर दे सकेगी और तालाब के किनारे पर के वृक्षों की प्राकृतिक उपज को प्राइवेट संविदा या सार्वजनिक नीलाम द्वारा बेच सकेगी।
(3) तालाब तल की खेती भी प्रतियोगी बोलियां हो जाने के पश्चात सार्वजनिक नीलाम या प्राइवेट संविदा के माध्यम से दी जा सकेगी। स्वयं की आय बढ़ाने के लिए किसानों को एनीकट सम्बन्धी बाधाऐं हटाने के ठेके भी दिये जा सकेंगे।
(4) पंचायत, जिला परिषद या सिंचाई विभाग द्वारा नियत जल दरों के अनुसार सिंचाई प्रभार की वसूली करेगी यदि पंचायत क्षेत्र में सिंचाई जलाशयों के माध्यम से की जाये।
(5) ऐसी सारी आय पंचायत निधि में जमा की जायेगी।
कृषि फार्म और फलोद्यान
173. कृषि भूमियां – (1) ऐसी पंचायती राज संस्थाऐं, जिनके पास स्वयं की कृषि भूमि हो ऐसी, भूमियों को सार्वजनिक नीलामी द्वारा पट्टे पर दे सकेगी।
(2) जिन पंचायतों के पास आम के पेड़ या ऐसे अन्य फलोद्यान है, वे भी उन्हें वार्षिक संविदा आधार पर सार्वजनिक नीलामी के माध्यम से ठेके पर देंगी।
(3) ठेके केवल एक वर्ष की कालावधि के लिए, खरीफ और रबी के मौसमों के लिए, दिये जायेगे,
(4) ठेकेदार अक्षय तृतीया से पहले-पहले फार्म खाली कर देगा और कृषि उपज को हटा लेगा। इस तथ्य का उल्लेख संविदा निबंधनों मंे किया जा सकेगा।
(5) कृषि फार्म का एक भाग कृषि प्रदर्शन और सामाजिक वानिकी के लिए आरक्षित रखा जाना चाहिए।
(6) नीलाम प्रतिवर्ष 15 मई को या इसके आसपास किसी नीलाम समिति, की उपस्थिति में किया जायेगा जिसमें मुख्य कार्यपालक अधिकारी, तहसीलदार तथा विकास अधिकारी, होंगे।
(7) ठेके आवंटित करते समय, राजकीय विभागों या राजस्थान राज्य बीज निगम, राष्ट्रीय बीज निगम, नाफेड इत्यादि जैसे संगठनों को अधिमान दिया जायेगा।

Rajasthan Panchayati Raj Rules 1996 in Hindi (Chapter 9 Immovable Properties)

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