संकर्म, संविदाएं और क्रय
174. पंचायती राज संस्थाओं द्वारा वार्षिक कार्य योजना – (1) पंचायती राज संस्थान प्रत्येक वित्तीय वर्ष के प्रारंभ के पूर्व पूर्ववर्ती वर्ष में आवंटित निधियों के अपने हिस्से के 125 प्रतिशत के मूल्य की समतुल्य एक वार्षिक कार्य योजना, अधिमान्यतः, ग्राम सभा की वित्तीय वर्ष के अंतिम त्रिमास में आयोजित बैठक में तैयार करेगी। कोई भी कार्य नहीं लिया जा सकेगा, जब तक वह वार्षिक कार्य-योजना का भाग न हो।
(2) वार्षिक कार्य-योजना बनाते समय अपूर्ण संकर्मों को पूरा करने को, नवीन कार्य हाथ में लेने की तुलना में, प्राथमिकता दी जायेगी। कोई भी ऐसा कार्य नहीं लिया जायेगा जो दो वित्तीय वर्षों के भीतर- भीतर पूरा नहीं किया जा सकता हो।
(3) संकर्मों की योजना तैयार करते समय गांव के कमजोर तबके के हितों के संरक्षण का ध्यान रखा जायेगा और अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, महिलाओं तथा ग्राम-समाज के अन्य कमजोर वर्गों को लाभ पहुंचाने वाले संकर्मों को प्राथमिकता दी जायेगी।
(4) केवल वे ही संकर्म लिये जा सकेंगे जिनका आकार, लागत तथा प्रकृति ऐसी है कि वे स्थानीय स्तर पर कार्यान्वित किये जा सकते हों और जो श्रम सघन तथा लागत प्रभावी हों और उच्चस्तरीय तकनीकी आदाएं अन्तर्वलित नहीं करते हों।
(5) लिये जाने वाले संकर्म चलने योग्य प्रकृति के होने चाहिए और समुचित तकनीकी स्तरमानों तथा विनिर्देशों की पूर्ति करने वाले होने चाहिए।
175. प्राक्लन और दरों की अनुसूची – (1) संबंधित पंचायती राज संस्था संकर्मों की योजना, डिजाइन या विनिर्देश और उनके निष्पादन में संभाव्यतः उपगत होने वाली लागत का प्राक्कलन अर्हता प्राप्त ओवरसीयर या अभियन्ता के जरिये या किसी भी अन्य अभिकरण के जरिये तैयार करायेगी।
(2) पंचायती राज संस्था ऐसे प्राक्कलन जिला परिषद् / जि.गा.वि.अ. द्वारा समय-समय पर जारी किये गये निर्देशों में बताई गई दर सूची के आधार पर कर सकेंगे।
(3) प्राक्कलन नियम 176 के उप-नियम (2) में उल्लिखित अधिकारियों द्वारा तकनीकी रूप से अनुमोदित किये जायेंगे।
176. सकंर्मो (निर्माण कार्यों) की मंजूरी – (1) यदि इस प्रकार तैयार की गयी योजना, डिजाइन या विनिर्देश का प्राकलन जो राज्य सरकार द्वारा निर्धारित सीमा से अधिक का नहीं हो, तो पंचायत अपनी व्ययनाधीन निधियों की उपलब्धता के अध्यधीन रहते हुए, संकर्म के निष्पादन को अपने संकल्प द्वारा मंजूर कर सकेगी।
(2) राज्य सरकार द्वारा समय-समय पर विहित सक्षम अधिकारी द्वारा तकनीकी अनुमोदन किया जायेगा।
(3) पंचायती राज संस्थाओं की कार्य योजना तकनीकी संविक्षा को सुनकर बनाने के लिए जिला परिषद् जि.ग्रा.वि.अ.संकर्मो की उन मदों के मानक–ड़िजाईन और लागत प्राक्कलन तैयार और अनुमोदन कर सकेगा जो पंचायती राज संस्थाओं द्वारा हाथ में लिये जायें।
(4) संकर्म पंचायती राज संस्थाओं द्वारा अनुमोदित लागत मानदण्ड़ों और समय–समय पर राज्य सरकार द्वारा जारी
की गयी मंजूरियों के आधार पर निष्पादित किये जा सकेंगे।
[टिप्पणी – वित्त (व्यय-1) विभाग की सहमति आई.डी. सं. 1701 दिनांक 15-6-1998 के अनुसरण में पंचायतों के द्वारा व्यय की सीमा प्रत्येक मामले में रु. 1.00 लाख निर्धारित की जाती है। आदेश क्रमांक एफ. 95/ (19)/7 लेखा/नि. आय / 13 दिनांक 1-1-1999 द्वारा प्रसारित]
177. सकंर्मो (निर्माण कार्यों) का निष्पादन –
(1) नियम 176 के उपनियम (4) के अधीन मंजूर किये गये संकर्म के निष्पादन का उत्तरदायित्व, इस नियम के उपबंधों के अध्याधीन रहते हुए, मुख्य रूप से पंचायत/ पंचायत समिति का होगा।
(2) किसी भी संकर्म का निष्पादन तब तक प्रारंभ नहीं किया जायेगा जब तक –
(क) वह सम्यक रूप से मंजूर न किया गया हो,
(ख) उसके लिए आवश्यक निधियां उपलब्ध न हो या उपलब्ध न करवा दी गयी हो,
(ग) तकनीकी अनुमोदन नियम 176(2) अथवा 176(3) के अनुसार अभिप्राप्त न कर लिया गया हो।
(3) पंचायतों तथा पंचायत समिति द्वारा निष्पादित संकर्मो के कुर्सी–स्तर छत स्तर तक के और पूर्ण होने पर स्थल निरीक्षणों क लिए पंचायत समिति का कनिष्ठ अभियन्ता संकर्मों के संनिर्माण और तकनीकी विनिर्देशों की गुणवत्ता सुनिश्चित कराने के लिए उत्तरदायी होगा। संकर्मो की मापों के ब्योरों की प्रविष्टि इस प्रयोजन के लिए रखी गई माप-पुस्तक में की जायेगी।
(4) पंचो/ सदस्यों की समिति को स्थल पर ऐसे संकर्मो के निष्पादन को पर्यवेक्षण सौंपा जा सकेगा।
(5) पंचायतों/ पंचायत समितियों के निरीक्षण के दौरान प्रत्येक मास, विकास अधिकारी स्थल पर 10 प्रतिशत संकर्मो का भौतिक सत्यापन करेगा और मुख्य कार्यपालक अधिकारी कम से कम 10 संकर्मो की जांच करेगा।
178. समापन का प्रमाणप्रत्र – (1) संबंधित पंचायती राज संस्था का यह कर्तव्य होगा कि वह समापन प्रमाण–पत्र जारी करने के लिए संकर्म की समापन की रिपोर्ट एक सप्ताह के भीतर–भीतर करें।
(2) समापन प्रमाण पत्र जारी करने के लिए सक्षम तकनीकी अधिकारी एक मास के भीतर संकर्म का निरीक्षण करेगा और प्रमाण-पत्र जारी करेगा।
(3) समापन प्रमाण–पत्र पर सरपंच और कनिष्ठ अभियन्ता दोनों के द्वारा हस्ताक्षर किये जायेंगे।
179. सावधि प्रगति रिपोर्ट – (1) मासिक प्रगति रिपोर्ट संकर्म वार मंजूर रकम, मास के दौरान व्यय, संचयी व्ययों, भौतिक प्रगति, मजदूरी/सामग्री पर व्यय का प्रतिशत, अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जनजाति/ महिला / भूमिविहीन श्रमिकों के नियोजन को उपदर्शित करते हुए तैयार की जावेगी।
(2) ऐसी रिपोर्ट अगले उच्चतर प्राधिकारी और जिला परिषद/ जि.ग्रा.वि.अ. को भेजी जायेगी।
181. संकर्मो का रजिस्टर –(1) प्रत्येक पंचायती राज संस्था उसके द्वारा अपने जिम्मे लिए गये प्रत्येक संकर्मों के लिए प्रपत्र 25 में संकर्मो का एक रजिस्टर रखेगी।
(2) प्रत्येक संकर्म के लिए पृथक फाईल रखी जायेगी, जिसमें संबंधित संकर्म मंजूरी, प्राक्कलन, योजना आदि की प्रति रखी जायेगी।
(3) प्रत्येक संकर्म के लिए प्राप्त सार्वजनिक अंशदानों के लिए भी एक पृथक रजिस्टर रखा जायेगा।
*[181. संविदा पर संकर्मो का निष्पादन – (1) पंचायती राज संस्था किसी संकर्म को संविदाकारों के माध्यम से भी निष्पादित कर सकेगी जब तक कि संविदाकार के माध्यम से ऐसे संकर्म का निष्पादन सम्बन्धित स्कीम के मार्गदर्शक सिंद्वान्तो द्वारा निबंधित न हो ।]
*[राजस्थान पंचायती राज (संशोधन) नियम 2012 संख्या एफ.(7) एम /नियम/ विधि/ पंरा/ 2012/ 930 दिनांक 02.0 5.2012 द्वारा नियम 181 प्रतिस्थापित किया गया]
(2) उप– नियम (1) में अन्तर्विष्ठ किसी बात के होते हुए भी पंचायती राज संस्था कर्मकारी को मस्टल रोल पर अभिनियोजिता कर किसी संकर्म का निष्पादन कर सकेगी
(3) पंचायती राज संस्था उपर्युक्त उप-नियम (2) के अधीन निष्पादित किये जाने संकर्माे के लिए संकर्म सामग्री के क्रय के लिए निविदा आमान्त्रित करने की सम्यक प्रकिया का अनुसरण करने के पश्चात संविदा के आधार पर सामग्री का उपापन कर सकेगी । ]
182. पंचायती राज संस्थाओं के द्वारा संविदाएं और उनकी ओर से विलेखो का निष्पादन – (1) किसी पंचायती राज संस्था द्वारा या उसकी और से की गयी समस्त संविदाएं ऐसी पंचायती राज संस्था के नाम से की गयी अभिव्यक्त की जायेगी।
(2) वे पंचायत की और से संरपच और सचिव द्वारा संयुक्त रूप से, पंचायत समिति की और से प्रधान और विकास अधिकारी द्वारा संयुक्त रूप से, जिला परिषद की ओर से प्रमुख और मुख्य कार्यपालक अधिकारी द्वारा संयुक्त रूप से सत्यापित और हस्ताक्षरित की जायेगी।
*[182क. संकर्मों के लिए विस्तृत प्रक्रिया – संकर्मों की योजना, मंजूरी और निष्पादन में, प्रत्येक पंचायती राज संस्था और निष्पादन करने वाला कोई अन्य अधिकरण राज्य सरकार द्वारा जारी ग्रामीण कार्य निर्देशिका में यथा विनिर्दिष्ट प्रक्रिया और निर्देशों का पालन करेंगें ।]
क्रय
183. [सामग्री ओर सेवाओं का उपापन] – (1) पचंायती राज संस्थाए संनिर्माण संकर्मों लिए अपेक्षित सीमेन्ट, चूना, पत्थर, ईंट, पट्टियों, बजरी, लकडी इत्यदि (या कोई भी अन्य वस्तुए या सेवाएं ) न्यूनतम कीमतों पर उपाप्त करेगी।
**[(1क) सम्बन्धित पंचायती रात संस्था द्वारा सामग्री ओर सेवाओं के उपापन के लिए वर्षिक कार्य योजना को प्रत्येक वर्ष 31 जनवरी तक या ऐसी किसी अन्य तारीख तक जो राज्य सरकार द्वारा इस निमित विनिश्चित की जाये अन्तिम रूप दिया जायेगा ओर सम्बन्धित पंचायती राज संस्था के नोटिस बोर्ड पर ओर सम्बन्धित जिले की शासकीय वेबसाइट पर प्रदर्शित की जायेगी ।]
**[राज. पंचायती राज (संशोधन) नियम, 2011 द्वारा जोड़ा गया, राजपत्र भाग 4(ग) दिनांक 16 .03 .2011 को प्रकाशित एवं प्रभावी]
(1ख) प्रेत्यक पंचायत समित अपनी अधिकारिता के भीतर किसी ग्राम पंचायत द्वारा उपाप्त की जाने वाली सामग्री ओर सेवाओ की दरों की मूल अनुसूची जिसें इसमें इसके पश्चात् द.मू.अ. वर्ष में कम से कम एक बार 15 फरवरी तक या किसी अन्य तारीख तक जो राज्य सरकार द्वारा विनिश्चित की जाये तैयार की जायेगी। द.मू.अ को निम्नलिखित से मिलकर बनी समिति द्वारा अन्तिम रूप दिया जायेगा अर्थात
(1) खण्ड विकास अधिकारी – अध्यक्ष
(2) पंचायत समिति कार्यालय में कार्यालय सहायक अभियंता – सदस्य सचिव
(3)संबधित पंचायत समिति क्षेत्र के लोक निर्माण विभाग का सहायक अभियंता – सदस्य
(4) संबधित पंचायत समिति क्षेत्र क ेजल संसाधन विभाग का सहायक अभियंता – सदस्य
(5) पंचायत समिति का लेखाकार या कनिष्ठ लेखाकार – सदस्य
(6) जिला कलक्टर/ जिला कार्यक्रम समन्वयक द्वारा नामनिर्दिष्ट पंचायत समिति मुख्यालय पर कार्यरत राजपत्रित अधिकारी – सदस्य
टिप्पणी – सहायक अभियंता, पंचायत समिति का पद रिक्त होने की स्थिति में, खंड विकास अधिकारी पंचायत समिति के क्षेत्र में किसी अन्य विभाग में कार्यरत अन्य सहायक अभियंता को सहयोजित करेगा ण्
(1ग) उपनियम (1ख) के तहत गठित समिति द्वारा अंतिम रूप दिए गए बीएसआर का अनुमोदन जिला स्तरीय दर अंतिमीकरण समिति से प्राप्त किया जाएगाए जिसमें निम्नलिखित शामिल हैं –
(i) जिला कलेक्टर – अध्यक्ष
(ii) मुख्य कार्यकारी अधिकारीए जिला परिषद – सदस्य
(iii) लोक निर्माण विभाग के जिला स्तरीय अधिकारी – सदस्य
(iv) जल संसाधन विभाग के जिला स्तरीय अधिकारी – सदस्य
(v) वन विभाग के जिला स्तरीय अधिकारी – सदस्य
(vi) कार्यपालक अभियंताए महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना – सदस्य
(vii) जिला मुख्यालय में कार्यरत उद्योग विभाग के वरिष्ठतम पदाधिकारी – सदस्य
(viii) कार्यकारी अभियंताए जिला परिषद के कार्यपालक अभियंता (इंजीनियर) – सदस्य सचिव
(2) सामग्री विनिदेशों के अनुसार अच्छी गुणवता की और यदि मानक मद है तो आई. एस. आई मार्क की होनी चाहिए।
(3) सामग्री किसी ठेकेदार या बिचौलिये के माध्यम से क्रय की जाने की बजाय सीधें ही विनिर्माता या थोक प्रदाय कर्ता से क्रय की जावेगी।
(4) पंचायती राज संस्था वर्ष के दौरान अपेक्षित ऐसी सामग्री के लिए मांग का निर्धारण कर सकेगी और यदि कुल मूल्य 30,000 रूपये से अधिक हो तो खुली निविदाएं आमंत्रित कर सकेगी।
(5) छोटे भागो में क्रय किये जाने को परिवर्जित किया जायें।
ख्(6)निविदाकर्ता राजस्थान मूल्य वर्धित कर अधिनियम 2003 (2003 का अधिनियम संख्या 4) के तहत पंजीकृत एक डीलर होना चाहिए। निविदाकर्ता को निविदा में अपनी पंजीकरण संख्या (टिन) का उल्लेख करना होगा और संबंधित निर्धारण अधिकारी द्वारा जारी कर निकासी प्रमाण पत्र की एक प्रति संलग्न करनी होगी, ऐसा न करने पर निविदा को अस्वीकार कर दिया जाएगा।,
*[184. **[निविदाओं द्वारा की जाने वाली खरीद] – (1) यदि खरीदकी राशि 3000/- रुपये से कम है तो किसी भी निविदा की आवश्यकता नहीं होगी और यह एकल कोटेशन के आधार पर या जिला परिषद के केंद्रीय या राज्य सरकार द्वारा अनुमोदित दर अनुबंध पर किया जा सकता है।
*[राज. पंचायती राज (संशोधन) नियम, 2006 द्वारा नियम 184 प्रतिस्थापित, अधिसूचना संख्या एफ. 186(14) लेखा/ इनस 1 / 2648 दिनांक 07.06 .2006]
**[राज. पंचायती राज (संशोधन) नियम, 2011 द्वारा अन्तःस्थापित, राजपत्र भाग 4(ग) दिनांक 16 .03 .2011 को प्रकाशित एवं प्रभावी]
(2) यदि खरीद की राशि 3000/- रुपये से अधिक है लेकिन 50000/- रुपये तक है तो ऐसी सामग्री में काम करने वाले कम से कम तीन आपूर्तिकर्ताओं से प्रतिस्पर्धी दरों को आमंत्रित करके,सीमित निविदा आधार पर किया जा सकता है।
(3) यदि खरीद की राशि 50,000/- रुपये से अधिक हैए तो खुली निविदाएं सीलबंद लिफाफे में आमंत्रित की जाएंगी।
[(4) ग्राम पंचायत सामग्री और सेवाओं की खरीद के लिए निम्नलिखित प्रक्रिया का पालन करेगीए अर्थात –
(क) सीमित या खुली निविदा के माध्यम से संबंधित ग्राम पंचायत द्वारा प्राप्त की जाने वाली सामग्री और सेवाएं नियम 183 के उप.नियम (1ख) और (1ग) के प्रावधानों के तहत अंतिम रूप दी गई दरों की नवीनतम मूल अनुसूची से अधिक नहीं होंगी।
(ख) यदि सीमित या खुली निविदा के माध्यम से पंचायत स्तर पर आमंत्रित वस्तुओं की दरें नवीनतम मूल अनुसूची दरों से 10% तक अधिक है, तो संबंधित पंचायत ऐसे मामलों को अधिकतम एक सप्ताह की अवधि सीमा के भीतर ऐसे मामले की जांच नियम 183 के उप.नियम (1ख) के तहत गठित दर अंतिमकरण समिति द्वारा की जाएगी और ऐसी समिति का निर्णय अंतिम होगा ।
(ग) ऐसे मामलों में जहां पंचायत स्तर पर सीमित या खुली निविदा के माध्यम से आमंत्रित मदों की दर 10% से अधिक लेकिन 25% तक है, उन्हें नियम 183 के उप.नियम (1ख) के तहत गठित समिति अपनी टिप्पणियों के साथ एक सप्ताह की अधिकतम अवधि के भीतर जिला कलेक्टर को संदर्भित किया जाएगा। इस प्रकार प्राप्त संदर्भ की जांच नियम 183 के उप नियम (1 ग) के तहत गठित जिला स्तरीय दर अंतिमीकरण समिति द्वारा की जाएगी। समिति इसे संदर्भित ऐसे सभी मामलों की जांच करेगी और अधिकतम 10 दिनों की अवधि के भीतर इसका फैसला करेगी।
*[टिप्पणी – सीमित निविदा की अनुमति अधिकतम रूपये 50,000/- प्रत्येक मामले में रुपये 5,00,000/- की वार्षिक सीमा तक अनुज्ञेय। राजस्थान पंचायती राज (संशोधन) नियम 2012 संख्या एफ.(7) एम /नियम/ विधि/ पंरा/ 2012/ 930 दिनांक 02.0 5.2012 द्वारा रुपये 2 ,00,000/- स्थान पर रुपये 5,00,000/- प्रतिस्थापित किया गया]
185. निविदाएं आमंत्रित करने का नोटिस -(1) मुहरबंद लिफाफे में खुली निविदाएं आमंत्रित करने का नोटिस निम्नलिखित को विनिर्दिष्ट करते हुए जारी किया जायेगा–
(क) अपेक्षित वस्तुए, मात्रा, गुणवत्ता के बारे में विनिर्देश तथा अनुमानित मूल्य और अन्य आवश्यक ब्योरे जैसे प्रत्येक मद के लिए अथवा ग्रुपों आदि में दरे उद्धरित की जायें।
(ख) संबंधित पंचायती राज संस्था के कार्यालय में निविदाएं प्रस्तुत करने की तारीख और समय।
(ग) निविदा के साथ जमा कराये जाने वाले प्राक्कलित मूल्य का 2 प्रतिशत अग्रिम धन।
(घ) निविदाएं खोलने की तारीख और समय।
(ड़) निविदा स्वीकृत करने या उसे उसके लिए कोई कारण बताये बिना अस्वीकृत करने के लिए सक्षम प्राधिकारी।
(2) ऐसे निविदा नोटिस की प्रति हिन्दी में संबंधित पंचायती राज संस्था के कार्यालय में तथा ऐसे अन्य स्थानों पर, जो उपयुक्त समझे जाए, चिपकायी जायेगी और प्रतिष्ठित फर्मो, व्यवहारियों और प्रदायकर्ताओं को भी प्रतियां भेजी जायेगी।
(3) जिले में व्यापक प्रसार संख्या वाले कम से कम एक समाचार पत्र को विज्ञापन भेजा जायेगा
(4) नोटिस की अवधि निम्नानुसार होगी –
(ए) यदि निविदा राशि रुपये 50,000/- से अधिक लेकिन रुपये 5,00,000/- तक हो तो 10 दिन,
(बी) यदि निविदा राशि रुपये 5,00,000/- से अधिक लेकिन रुपये 10 ,00,000/- तक हो तो 15 दिन,
(सी) ) यदि निविदा राशि रुपये 10 ,00,000/- से अधिक हो तो 30 दिन।
परन्तु अत्यावश्यक आवश्यकता की दशा में जिसे लिखित रूप में अभिलेखित किया जायेगा, क्रय समिति एवं विभाग स्तर पर समिति, खुली निविदा की सूचना की अवधि 30 दिन से घटाकर 20 दिन तथा 15 दिन से घटाकर 10 दिन कर सकती है।
186. निविदाओं का खोला जाना – (1) निविदाए, नोटिस में विनिर्दिष्ट तारीख और समय पर, न कि उसके पूर्व, संबंधित पंचायत राज संस्था के कार्यालय में ऐसे निविदाकारों अथवा उनके प्रतिनिधियों की उपस्थिति में, जो उस समय उपस्थित हो, क्रय समिति द्वारा खोली जायेगी। यह सत्यापित किया जायेगा कि मुहर अविकल हैं तथा अधिकारियों द्वारा प्रत्येक निविदा पर उसे खोले जाने की तारीख और समय का पृष्ठांकन उपस्थित निविदा पर हस्ताक्षर करके किया जायेगा।
*[परन्तु उपनियम (2) के खण्ड (क) के अधीन गठित क्रय समिति की बैठक ग्राम पंचायत अथवा पंचायत समिति कार्यालय में हो सकती है।]
*[राज. पंचायती राज (संशोधन) नियम, 2011 द्वारा परन्तुक अन्तःस्थापित, राजपत्र भाग 4(ग) दिनांक 16 .03 .2011 को प्रकाशित एवं प्रभावी]
(2) क्रय समिति निम्नलिखित रूप में गठित की जायेगी–
(क) पंचायत स्तर –
(i) सरपंच (अध्यक्ष),
(ii उप.सरपंच,
(iii) सतर्कता समिति का अध्यक्ष,
(iv) सचिव,
*[(v) पंचायत के कनिष्ठ अभियंता,
(vi) पंचायत समिति के लेखाकार या कनिष्ठ लेखाकार]
*[एक ग्राम पंचायत ऐसी खरीद समिति के माध्यम से सामग्री और सेवाओं की खरीद करेगी। समिति की गणपूर्ति हेतु पंचायत समिति के कनिष्ठ अभियंता एवं लेखाकार अथवा कनिष्ठ लेखाकार, ग्राम पंचायत के सरपंच एवं सचिव की उपस्थिति अनिवार्य होगी।,
*[राज. पंचायती राज (संशोधन) नियम, 2011 द्वारा जोड़ा गया, राजपत्र भाग 4(ग) दिनांक 16 .03 .2011 को प्रकाशित एवं प्रभावी]
(ख) पंचायत समिति स्तर –
(i) प्रधान (अध्यक्ष),
(ii) विकास अधिकारी,
(iii) कनिष्ठ अभियंता,
(iv) पंचायत समिति के वरिष्ठतम लेखा अधिकारी
(ग) जिला परिषद स्तर –
(फर्नीचर, स्टेशनरी,स्कूल के सामान और कार्यालय की वस्तुओं की खरीद के लिए दर अनुबंध)।
(i) प्रमुख (अध्यक्ष),
(ii) मुख्य कार्यकारी अधिकारी,
(iii) जिला परिषद के लेखा अधिकारी/ सहायक लेखा अधिकारी या जिले के कोषाधिकारी,
(iv) कलेक्टर द्वारा नामित एक अधिकारी,
(v) जिलों के दो विकास अधिकारी
(3) सभी निविदाये, उनके सिवाय जो उन पर अभिलिखित कारणों से अस्वीकृत की गयी हैं, सारणीबद्ध और संवीक्षित की जावेगी और मद वार दरों का तुलनात्मक विवरण तैयार किया जायेगा।
187. निविदाओं की अस्वीकृति – जो निविदाये नियत तारीख और समय के पश्चात् प्राप्त हुयी हो या जो नियम 185 के अधीन जारी किये गये नोटिस की अपेक्षाओं को पूरा नहीं करती हो या जिनके साथ केाई अग्रिम धन नियत समय के भीतर जमा नहीं करवाया गया हो अन्यथा सहीं नहीं हो, वे आम तौर पर अस्वीकृत कर दी जावेगी।
188. निविदाओं की स्वीकृति – (1) सभी वे निविदाएं जो समिति द्वारा खोले जाने पर सहीं पायी जाये और नियम 187 के अधीन अस्वीकृत नहीं की जाये, संबंधित पंचायती राज संस्था द्वारा अग्रिम रूप से अनुमोदन किये जाने के लिए रखी जावें।
(2) निम्नतम निविदा आमतौर पर स्वीकृत कर ली जायेगी और जहाँं निम्नतम निविदा को अस्वीकृत करवा आवश्यक समझा जायें वहाँ इसके कारणों को लेखबद्ध किया जाये।
(3) जब निविदा एक से अधिक वस्तुओं के सम्बन्ध में हो जैसे लेखन–सामग्री या संनिर्माण सामग्री तो प्रत्येक वस्तु के लिए या तो पृथक्–पृथक् रूप से या सभी वस्तुओं के लिये संयुक्ततः या वस्तुओं के विनिर्दिष्ट ग्रुपों के लिए, जहाँं तक स्वीकृत निविदा की कुल राशि निम्नतम हो, उनकी तुलनात्मक कीमतों पर विचार किया जा सकता है, बशर्ते कि पंचायती राज संस्था निम्नतम निविदा का चयन करने का आशय उनमें से किसी भी रूप में निविदा नोटिस में स्पष्ट किया जाये।
(4) यदि निविदा पर सभी वस्तुओं के लिए या वस्तुओं के ग्रुपों के लिए संयुक्ततः विचार किया जाये तो सभी वस्तुओं के या यथास्थिति, प्रत्येक गु्रप में की सभी वस्तुओं के सम्बन्ध में संभाव्य अपेक्षाओं की लागत प्रत्येक निविदा में दी गयी दरों के निर्देश से संगणित की जायेगी और निम्नतम निविदा वह होगी जिसके अनुसार एक साथ लिये जाने के लिए प्रस्तावित सभी वस्तुओं की संभाव्य अपेक्षाओं को कुल लागत की गणना न्यूनतम आती हो।
(5) पंचायत समिति अपने स्तर पर निर्माण सामग्री क्रय करने के लिए दरों को अंतिम रूप दे सकेगी और ऐसी दर सूची को अपनी अधिकाविता के भीतर की पंचायतों में मार्गदर्शन के लिए परिचालित कर सकेगी और उन वस्तुओं को उन्हीं दरों पर स्थानीय तौर पर उपाप्त कर सकेगी, किन्तु जो किसी भी मामले में ऐसी दरों से उच्चतर नहीं होगी।
(6) जहाँं निविदाकार के प्रदाय करने की क्षमता और सत्यानिष्ठा की जानकारी न हो वहाँ उसकी निविदा को अस्वीकृत किया जाना आवश्यक नहीं हैं । ऐसे निविदाकार से ऐसी अतिरिक्त प्रतिभूति या बैंक गारंटी ली जा सकती है ,जो आवश्यक समझी जावें।
189. नयी निविदाएं आमंत्रित करना – यदि कोई भी निविदा स्वीकृत न की जाये और सामग्री, माल या सामान का क्रय करना आवश्यक हो तो पूर्वगामी नियमों में प्र िक्रया के अनुसार नयी निविदा आमंत्रित की जायेगी।
*[190. सहकारी सोसायटियों से क्रय – यदि कीमत उचित हो और गुणवत्ता संतोषप्रद हो तो क्रय अधिमानतः संबंधित क्षेत्र की निम्नलिखित पंजीकृत सहकारी समितियों से किये जायेंगे, अर्थात –
(1) ग्राम सेवा सहकारी समिति लिमिटेड,
(2) क्रय विक्रय सहकारी समिति लिमिटेड,
(3) जिला सहकारी उपभोक्ता भंडार लिमिटेड।]
*[राज. पंचायती राज (संशोधन) नियम, 2011 द्वारा नियम 190 प्रतिस्थापित, राजपत्र भाग 4(ग) दिनांक 16 .03 .2011 को प्रकाशित एवं प्रभावी]
191. करार – (1) जब कोई निविदा स्वीकृत की जाये तो प्रपत्र संख्या 26 में करार का एक विलेख ऐसे फेरफारो सहित, जो कि मामले की परिस्थितियों के अनुसार अपेक्षित हो उस व्यक्ति द्वारा निष्पादित किया जावेगा जिसकी निविदा स्वीकृत की गयी है।
(2) ऐसे विलेख में उन शर्तो का स्पष्ट कथन होगा, जिनके अधीन ठेका दिया गया हैं और वह शास्ति विनिर्दिष्ट की जायेगी जिसके दायित्वाधीन वह निविदाकार उन शर्तो में से किसी के भी भंग के कारण होगा।
192. क्रय नियमों से छूट – नियम 183 से 191 तक में अन्तर्विष्ट कोई भी बात–
(क) राज्य सरकार के आदेश पर उनके अभिकर्त्ताओं द्वारा जारी की गयी किसी अनुज्ञा के जरिये नियंत्रित दरों पर नियंत्रित वस्तुओं के,
(ख) राज्य सरकार द्वारा संचालित किसी भी संस्था से वस्तुओं के,
(ग) जिले के लिए केन्द्रीय सरकार, राज्य सरकार या जिला परिषद् की दर संविदा पर वस्तुओं के,
(घ) किसी भी ऐसी वस्तु के, जिनका क्रय निविदाएं या कोटेशन आमंत्रित किये बिना राज्य सरकार के किसी भी साधारण या विशेष आदेश द्वारा अनुज्ञात हो, क्रय पर लागू नही होगी।
Rajasthan Panchayati Raj Rules 1996 in Hindi (Chapter 10 Works, Contracts and Purchases)