Rajasthan Panchayati Raj Rules 1996 in Hindi
(Chapter 9A Change of use of land in abadi area)
राजस्थान पंचायती राज नियम, 1996
*[अध्याय 9क आबादी क्षेत्र में भूमि के उपयोग का परिवर्तन]
173क. संपरिवर्तन प्रभारों के संदाय पर आबादी क्षेत्र में भूमि के उपयोग का परिवर्तन – (1) कोई व्यक्ति जो किसी गाव के आबादी क्षेत्र में उसके द्वारा धारित किसी भूमि के उपयोग का उस प्रयोजन से भिन्न किसी प्रयोजन के लिए, जिसके लिए वह.
(i) तत्समय प्रवृत्त किसी विधि के अनुसार राज्य सरकार, किसी पंचायत, किसी अन्य स्थानीय प्राधिकारी या किसी अन्य निकाय या प्राधिकारी द्वारा मूलतः आवंटित या विक्रीत की गयी थी या
(ii) 5 जून, 2015 (अर्थात् राजस्थान पंचायती राज (तृतीय संशोधन) अधिनियम, 2015 (2015 का अधिनियम सं. 28) के प्रारम्भ पर या के पूर्व) को या उसके पूर्व उपयोग में ली जा रही थी और जो उप-खण्ड (i) के अन्तर्गत नहीं आती है:
आशय रखता है, राज्य सरकार द्वारा प्राधिकृत अधिकारी या प्राधिकारी को प्ररूप 48 में आवेदन कर सकेगा :
परन्तु जहाँ कोई भूमि रियायती दर पर या निःशुल्क आवासीय उपयोग के प्रयोजनों के लिए राज्य सरकार, किसी पंचायत, किसी अन्य स्थानीय प्राधिकारी या किसी अन्य निकाय या प्राधिकारी द्वारा आवंटित या विक्रीत की गयी थी, वहाँ ऐसी भूमि के उपयोग को परिवर्तित किया जाना अनुज्ञात नहीं किया जायेगा :
परन्तु यह और कि पर्यटन इकाई या हैरिटेज होटल की स्थापना के लिए भूमि के उपयोग की परिवर्तन राजस्थान पंचायती राज (पर्यटन इकाइयों के लिए पंचायत क्षेत्र में आबादी भूमि का आवंटन, भूमि के उपयोग का परिवर्तन और नियमितिकरण) नियम, 2015 द्वारा शासित होगा।
(2) राज्य सरकार द्वारा प्राधिकृत अधिकारी या प्राधिकारी ऐसे आवेदन की प्राप्ति पर भूमि, जिसके उपयोग का परिवर्तन ईप्सित है, के आसपास के परिक्षेत्र के व्यक्तियों से परिक्षेत्र के सहजदृश्य स्थान पर पंचायत और ऐसे अधिकारी या प्राधिकारी के कार्यालय के सूचना पट्ट पर नोटिस चिपकाकर और आस- पड़ोस में उसे डोंडी पिटवाकर या अन्य ध्वनिविस्तारक युक्ति द्वारा उद्घोषित करवाकर आपत्तियाँ आमंत्रित करेगा। नोटिस को उस परिक्षेत्र में व्यापक परिचालन वाले समाचारपत्र में भी प्रकाशित किया जायेगा।
(3) ऐसे नोटिस में कोई तारीख, जो तीस दिन से कम की नहीं होगी, विनिर्दिष्ट होगी जिस तारीख तक आपत्तियाँ फाइल की जा सकेंगी।
(4) यदि कोई आक्षेप विनिर्दिष्ट कालावधि के भीतर-भीतर फाइल किया जाता है तो ऐसा अधिकारी या प्राधिकारी आक्षेप पर विचार करेगा और आक्षेपकर्ता और आवेदक को सुने जाने का अवसर उपलब्ध करवायेगा और आक्षेप को अस्वीकार या स्वीकार करने का आदेश पारित करेगा। जहाँ आक्षेप स्वीकार किया जाता है, वहाँ ऐसी भूमि के उपयोग के परिवर्तन के लिए आवेदन अस्वीकार किया जायेगा और जहाँ आक्षेप अस्वीकार जाता है वहाँ उक्त अधिकारी या प्राधिकारी अधिनियम की धारा 107 क की उप- धारा (3) के अनुसार ऐसी भूमि के वांछित परिवर्तन अनुज्ञात करेगा।
(5) गैर-आवासीय प्रयोजनों के लिए आवासीय आबादी भूमि के संपरिवर्तन के लिए संदेय संपरिवर्तन प्रभार निम्नानुसार होंगे :
क्र.सं. | प्रयोजन | दर |
---|---|---|
1 | वाणिज्यिक प्रयोजन | दस रुपये प्रतिवर्ग मीटर या आवासीय आबादी भूमि की जिला स्तरीय समिति (जि.स्त.स.) दर की रकम का दस प्रतिशत, जो भी उच्चतर हो। |
2 | औद्योगिक क्षेत्र/ औद्योगिक/ औद्योगिक संपदा-प्रयोजन | पांच रुपये प्रतिवर्ग मीटर या आवासीय आबादी भूमि की जि.स्त.स. दर की रकम का पांच प्रतिशत, जो भी उच्चतर हो। |
3 | लोक उपयोग प्रयोजन | 1000 वर्ग मीटर तक संपरिवर्तन प्रभारों के बिना और 1000 वर्ग मीटर से अधिक के लिए पांच रुपये प्रति वर्ग मीटर या जि.स्त. सदर का पांच प्रतिशत, जो भी उच्चतर हो। |
4 | संस्थागत प्रयोजन | पांच रुपये प्रतिवर्ग मीटर या आवासीय आबादी भूमि की जि.स्त.स. दर का पांच प्रतिशत, जो भी उच्चतर हो। |
5 | चिकित्सा सुविधा-प्रयोजन | दस रुपये प्रतिवर्ग मीटर या आवासीय आबादी भूमि की जि.स्त.स. दर का दस प्रतिशत, जो भी उच्चतर हो। |
6 | सौर या पवन ऊर्जा संयंत्रों की स्थापना |
औद्योगिक प्रयोजन के लिए विहित दरों का दस प्रतिशत। |
(6) यदि कोई व्यक्ति उसके द्वारा धारित भूमि के उपयोग के किसी गैर-आवासीय प्रयोजन से किसी भी अन्य गैर-आवासीय प्रयोजन के लिए परिवर्तन का आशय रखता है तो वह संपरिवर्तन प्रभारों की अंतर-रकम यदि कोई हो, के निक्षेप की रसीद के साथ राज्य सरकार द्वारा प्राधिकृत अधिकारी या प्राधिकारी को प्ररूप 48 में आवेदन प्रस्तुत करेगा :
परन्तु पहले से निक्षिप्त रकम किसी भी मामले में प्रतिदत्त नहीं की जायेगी।
(7) यदि कोई व्यक्ति, किन्हीं अन्य प्रयोजनों से आवासीय प्रयोजन के लिए भूमि के उपयोग के परिवर्तन का आशय रखता है तो वह प्ररूप 48 में राज्य सरकार द्वारा प्राधिकृत अधिकारी या प्राधिकारी को आवेदन कर सकेगा। ऐसे आवेदन पर अधिकारी या प्राधिकारी द्वारा विचार किया जायेगा और यह यदि ठीक पाया जाता है तो वह भूमि के ऐसे उपयोग के परिवर्तन के लिए आदेश कर सकेगा। भूमि के उपयोग के ऐसे परिवर्तन के लिए कोई संपरिवर्तन प्रभार संदेय नहीं होगा।
(8) मामलों में संपरिवर्तन प्रभारों से पूर्णतः या भागतः छूट दी जायेंगी. अर्थात्-
(i) गैर-आवासीय या किसी शासकीय उपयोग के लिए भूमि के उपयोग के परिवर्तन के लिए केन्द्रीय सरकार के किसी विभाग या राज्य सरकार या किसी स्थानीय प्राधिकारी द्वारा कोई संपरिवर्तन प्रभार संदेय नहीं होंगे:
(ii) राजस्थान विनिधान प्रोन्नति स्कीम, 2003 के उपबंधों के अधीन विनिर्दिष्ट प्राधिकारी द्वारा यथाअनुमोदित पात्र इकाई की स्थापना के लिए भूमि के उपयोग के परिवर्तन के मामले में संपरिवर्तन प्रभारों का पचास प्रतिशत संदेय होगा।
(iii)राजस्थान विनिधान प्रोन्नति स्कीम 2010 के उपबंधों के अधीन एक विधिमान्य हकदारी प्रमाणपत्र धारण करने वाले रूग्ण औद्योगिक उद्यम के पुनरूज्जीवन या विद्यमान उद्यम के आधुनिकीकरण, विस्तार या विविधीकरण के लिए, उद्यम की स्थापना के लिए भूमि के उपयोग के परिवर्तन के मामले में संपरिवर्तन, प्रभारों का पचास प्रतिशत संदेय होगा और
(iv) तकनीकी शिक्षा संस्थान की स्थापना के प्रयोजन के लिए तकनीकी शिक्षा विभाग की सिफारिश पर भूमि के उपयोग के परिवर्तन के मामले में कोई संपरिवर्तन प्रभार संदेय नहीं होंगे।
(9) जहाँ राज्य सरकार द्वारा प्राधिकृत अधिकारी या प्राधिकारी आवेदन अनुज्ञात करता है और भूमि के उपयोग के ऐसे परिवर्तन के लिए आवेश पारित करता है, वहाँ ऐसा अधिकारी या प्राधिकारी भूमि के उपयोग के अपेक्षित परिवर्तन के लिए संपरिवर्तन प्रभार और अन्य शोध्य भी, यदि कोई हों, तीस दिन के भीतर-भीतर निक्षिप्त करने के लिए आवेदक को नोटिस भी जारी करेगा।
(10) जब कभी आवेदक, उप-नियम (9) के अधीन जारी किये गये नोटिस में विनिर्दिष्ट कालावधि के भीतर-भीतर अपेक्षित प्रभार और अन्य शोध्य भी, यदि कोई हों, निक्षिप्त करा देता है तो राज्य सरकार द्वारा प्राधिकृत अधिकारी या प्राधिकारी प्ररूप 49 में आबादी भूमि के उपयोग के परिवर्तन के लिए उसको अनुज्ञा मंजूर करने के लिए अग्रसर होगा।
(11) जहाँ आवेदक उप-नियम (9) में विनिर्दिष्ट कालावधि के भीतर-भीतर रकम निक्षिप्त कराने में असफल रहता है, वहाँ अधिकारी या प्राधिकारी आवेदन अस्वीकार करने का आदेश करेगा।
(12) जहाँ आवेदक के अभ्यावेदन पर, आवेदक द्वारा दिये गये कारणों से राज्य सरकार का यह समाधान हो जाता है और उसका यह मत है कि विलम्ब को माफ करना आवश्यक है वहाँ वह आवेदन के प्रत्यावर्तन के लिए आदेश कर सकेगी और यदि आवेदक ऐसे आदेश के सात दिन के भीतर-भीतर भूमि के उपयोग के परिवर्तन के लिए संपरिवर्तन प्रभारों की अपेक्षित रकम निक्षिप्त करा देता है तो अनुज्ञा की मंजूरी के लिए निदेश जारी कर सकेगी:
परन्तु ऐसा कोई भी अभ्यावेदन ग्रहण नहीं किया जायेगा यदि वह उप-नियम (11) के अधीन किये गये आदेश की तारीख से 180 दिन के बीत जाने के पश्चात् किया गया है।
(13) जब कभी उप-नियम (12) के अधीन कोई आदेश पारित किया जाता है और संपरिवर्तन प्रभारों की अपेक्षित रकम या अन्य शोध्य, यदि कोई हों, उक्त आदेश में विनिर्दिष्ट कालावधि के भीतर-भीतर आवेदक द्वारा निक्षिप्त करा दिये जाते हैं तो राज्य सरकार द्वारा प्राधिकृत अधिकारी या प्राधिकारी प्ररूप 49 में भूमि के उपयोग के परिवर्तन के लिए उसको अनुज्ञा मंजूर करेगा।
(14) उप-नियम (10) या, यथास्थिति, (13) के अधीन मंजूर की गयी अनुज्ञा के प्राप्त होने पर, और प्रभारों की रकम निक्षिप्त किये जाने के तथ्य के सत्यापन कर लिए जाने पर शीघ्र ही पंचायत, पूर्व पट्टा विलेख या यथास्थिति, पट्टा को अतिष्ठित करते हुए प्ररूप 50 में नया पट्टा विलेख जारी करेगी।
173ख. रीति जिसमें भू-खण्डों के उप-विभाजन और पुनर्गठन के लिए अनुज्ञा अभिप्राप्त की जा सकेगी –
(1) कोई व्यक्ति जो किसी गाँव के आबादी क्षेत्र में स्थित उसके भू-खण्ड या भू-खण्डों को उप-विभाजित या पुनर्गठित करने का आशय रखता है, राज्य सरकार द्वारा प्राधिकृत अधिकारी या प्राधिकारी की अनुज्ञा अभिप्राप्त करेगा। अनुज्ञा के लिए आवेदन प्ररूप 51 में किया जायेगा।
(2) उप-नियम (1) के अधीन आवेदन राज्य सरकार द्वारा प्राधिकृत अधिकारी या प्राधिकारी के समाधान के लिए इस सबूत के साथ होगा कि उप-विभाजित या पुनर्गठित किये जाने के लिए आशयित भूमि का, भू-खण्ड या के भू-खण्ड आवेदक से संबंधित है/हैं और वह भूमि गाँव की आबादी भूमि है।
(3) भूमि के ऐसे भू-खण्ड या भू-खण्डों की स्थल योजना और मूल नक्शा, जो उपर्युक्त भूमि और उससे सटे हुए क्षेत्रों की सीमाओं के साथ भू-खण्ड संख्यांकों या यथास्थिति, खसरा संख्यांकों को दर्शित करते हुए जो उपयुक्त पैमाने पर बनाये जायेंगे, संलग्न किये जायेंगे।
(4) कच्ची या पक्की विद्यमान संरचनाएं और उपयोग जिसके लिए वे काम में ली जाती हैं, सड़कें और प्रस्तावित स्थल तक पहुंच उक्त योजना के ब्यौरे में वर्णित की जानी चाहिए।
(5) अन्य विद्यमान भौतिक विशेषाएं, जैसे कि नाला, जल निकाय, कुएँ, बिजली, टेलीफोन, जल प्रदाय लाइनें और सीवर लाइनें, यदि कोई हों, भी अतिरिक्त सूचना के रूप में स्थल योजना में उपदर्शित की जानी चाहिए।
(6) भू-खण्ड या भू-खण्डों की उत्तर दिशा साथ ही साथ उनके मापमान और संकेतनों की अनुक्रमणिका इत्यादि स्थल योजना पर स्पष्ट रूप से उपदर्शित की जानी चाहिए।
(7) भूमि के प्रस्तावित उपयोग आवेदन में स्पष्ट रूप से उल्लिखित किये जाने चाहिए या भूमि के उपयोग की अनुसूची के रूप में उसमें निम्नलिखित उल्लिखित करते हुए पृथक्तः संलग्न किये जाने चाहिएं –
(i) भू-खण्डों का आकार, उनके सैटबैक
(ii) पगडण्डी की चौड़ाई के साथ सड़क तक मार्ग का अधिकार, और
(iii) आसपास में खुले स्थान, यदि कोई हों।
(8) उपर्युक्त के अतिरिक्त, आवेदक ऐसी अन्य जानकारी भी देगा जैसी कि राज्य सरकार द्वारा प्राधिकृत अधिकारी या प्राधिकारी द्वारा अपेक्षित की जाये।
(9) गाँव के आबादी क्षेत्र में भू-खण्ड या भू-खण्डों के उप-विभाजन या पुनर्गठन के लिए आवेदन,भीतर-भीतर निपटाया जायेगा।
राज्य सरकार द्वारा प्राधिकृत अधिकारी या प्राधिकारी द्वारा आवेदन प्राप्ति की तारीख से पैंतालीस दिन के भीतर भीतर निपटाया जायेगा।
(10) जब उप-विभाजन या पुनर्गठन के लिए आवेदन अनुज्ञात किया जाता है तब उप-विभाजन या पुनर्गठन के अनुमोदन के लिए आदेश पारित करने वाली अधिकारी या प्राधिकारी, आवेदक को तीस दिन के भीतर-भीतर नियम 173-घ में यथाविनिर्दिष्ट प्रभार निक्षिप्त कराने को कहेगा और जब ऐसे प्रभार निक्षिप्त करा दिये जाते हैं. ऐसा अधिकारी या प्राधिकारी प्ररूप 52 में भू-खण्ड या भू-खण्डों के उप- विभाजन या पुनर्गठन के लिए अनुज्ञा मंजूर करेगा जिसके साथ उप-विभाजन या पुनर्गठन की सम्यक रूप से अधिप्रमाणित, अनुमोदित योजना संलग्न होगी।
(11) यदि संदत्त किये जाने के लिए अपेक्षित प्रभार, उप-नियम (10) में विनिर्दिष्ट कालावधि के भीतर-भीतर आवेदक द्वारा निक्षिप्त नहीं कराये जाते हैं तो आवेदन अस्वीकृत कर दिया जायेगा।
(12) जहाँ उप-विभाजन या पुनर्गठन के लिए आवेदन, नियत कालावधि के भीतर-भीतर प्रभारों की रकम निक्षिप्त कराने में व्यतिक्रम के कारण अस्वीकृत किया जाता है तो राज्य सरकार द्वारा प्राधिकृत अधिकारी या प्राधिकारी द्वारा पारित अस्वीकृति का आदेश राज्य सरकार द्वारा प्रतिसंहृत किया जा सकेगा, यदि कोई आवेदन अस्वीकृति की तारीख 90 दिन के भीतर-भीतर फाइल किया जाता है। अस्वीकृति के प्रतिसंहृत और उप-विभाजन और पुनर्गठन के लिए आवेदन को अनुज्ञात करते समय, राज्य सरकार पचास हजार रुपये से अनधिक की कोई शास्ति जो वह ठीक समझे अधिरोपित कर सकेगी. ऐसा अधिकारी या प्राधिकरी राज्य सरकार के आदेश के अनुपालन में प्ररूप 52 में अनुज्ञा मंजूर करेगा।
173ग. निबंधन और शर्तें, जिनके अध्यधीन भू-खण्ड या भू-खण्डों का उप-विभाजन या पुनर्गठन अनुज्ञात किया जा सकेगा – (1) ऐसा कोई भी भू-खण्ड जो आवासीय प्रयोजन के लिए आशयित उप-विभाजन या पुनर्गठन का विचार करते समय 30 वर्ग मीटर से कम और 1000 वर्ग मीटर से अधिक नहीं होगा।
(2) कोई भू-खण्ड जो वाणिज्यिक है या वाणिज्यिक प्रयोजन के लिए उपयोग किये जाने के लिए आशयित है, उप-विभाजन या पुनर्गठन का विचार करते समय 10 वर्ग मीटर से कम और 1000 वर्ग मीटर से अधिक नहीं होगा।
(3) किसी गाँव के आबादी क्षेत्र में भू-खण्ड या भू-खण्डों का कोई भी उप-विभाजन या पुनर्गठन अनुज्ञात नहीं किया जायेगा, यदि ऐसा उप-विभाजन या पुनर्गठन, पंचायत वृत्त में प्रवृत्त किसी स्कीम या योजना, यदि कोई हो, के प्रतिकूल है या आबादी क्षेत्र में जनसंख्या के घनत्व को दृष्टि में रखते हुए किसी साधारण या विशेष आदेश द्वारा राज्य सरकार द्वारा अधिरोपित निबंधनों की परिधि में आता है।
(4) कोई भू-खण्ड, जो पंचायत द्वारा निःशुल्क या रियायती दर पर आवंटित या मंजूर किया गया था. उप-विभाजन या पुनर्गठन के लिए अनुज्ञात नहीं किया जायेगा।
173घ. भू-खण्डों के उप-विभाजन या पुनर्गठन पर उद्गृहीत किये जाने वाले प्रभार – भू- खण्डों के उप-विभाजन या पुनर्गठन के लिए उद्गृहीत किये जाने वाले प्रभारों की दरें पाँच रुपये प्रति वर्ग मीटर या आवासीय आबादी भूमि के लिए राजस्थान स्टाम्प नियम, 2004 के अधीन गठित जिला स्तरीय समिति द्वारा सिफारिश की गयी विद्यमान दरों की दो प्रतिशत रकम, जो भी उच्चतर हो, होगी।
173ङ. अपील – (1) राज्य सरकार द्वारा प्राधिकृत अधिकारी या प्राधिकारी द्वारा नियम 173-क के उप-नियम (4) और उप-नियम (7) के अधीन पारित किसी आदेश से व्यथित कोई व्यक्ति राज्य सरकार **[XXXX] को आदेश की तारीख से साठ दिन के भीतर-भीतर अपील कर सकेगा।
(2) ऐसी अपील, पांच सौ रुपये की फीस के साथ होगी जो संबंधित पंचायत में निक्षिप्त करायी जायेगी और रसीद की फोटो प्रति, फीस के निक्षेप किये जाने के सबूत के रूप में अपील के साथ संलग्न की जायेगी।
(3) ऐसी अपील पर ***[राज्य सरकार] का विनिश्चय अंतिम होगा।
***[राजस्थान पंचायती राज तृतीय संशोधन नियम, 2018 अधिसूचना संख्या एक, 4(7) संशोधन / नियम/ विधि / पंरा /2014/ 927 दिनांक 10-7-2018 द्वारा अभिव्यक्ति “अपील अधिकारी” के स्थान पर प्रतिस्थापित एवं तुरन्त प्रभावी।]
173च. भूमि का प्रत्येक आबंटन, विक्रय या अन्य अंतरण विनिर्दिष्ट प्रयोजन के लिए होगा -किसी गाँव के आबादी क्षेत्र में भूमि का प्रत्येक आबंटन, विक्रय या अन्यथा अंतरण विनिर्दिष्ट उपयोग के लिए किया जायेगा और भूमि का ऐसा उपयोग ऐसे आवंटन, विक्रय या अन्यथा अंतरण के साक्ष्य रूप में पट्टा या अन्य दस्तावेज में स्पष्ट रूप से और सदैव वर्णित किया जायेगा।
173छ. आबादी भूमि के अभिलेख का रखरखाव – प्रत्येक पंचायत प्ररूप 53 में गाँव के पंचायत क्षेत्र के भीतर स्थित आबादी भूमि का अभिलेख रखेगी।
173ज. इस अध्याय का अध्यारोही प्रभाव होना – इन नियमों में अन्यत्र अन्तर्विष्ट किसी बात के होते हुए भी, इस अध्याय के उपबंधों का अध्यारोही प्रभाव होगा।
स्पष्टीकरण- इस अध्याय के प्रयोजनों के लिए.-
(क) “आवंटन” से आबादी भूमि का आवंटन अभिप्रेत है और इसमें उसका नियमितिकरण सम्मिलित होगा;
(ख) “आवेदन से संबंधित प्राधिकारी या अधिकारी को, अपेक्षित दस्तावेजों और प्रभारों, यदि कोई हों, सहित पूर्ण रूप से प्रस्तुत किया गया आवेदन अभिप्रेत है;
(ग) “वाणिज्यिक प्रयोजन” से किसी व्यापार या वाणिज्य, या कारबार के लिए किसी परिसर का उपयोग, जिसमें कोई दुकान, वाणिज्यिक संस्थापन, बैंक, कार्यालय, अतिथि गृह, छात्रावास, होटल, रेस्टोरेन्ट, ढाबा (चाहे पक्की संरचना हो या अस्थायी), शोरूम, सिनेमा, मल्टीप्लैक्स, पैट्रोल पम्प, वे ब्रिज, गोदाम, कर्मशाला या अन्यं वाणिज्यिक क्रियाकलाप सम्मिलित होंगे, अभिप्रेत है और जिसमें उसका भागतः आवासीय और भागतः वाणिज्यिक प्रयोजन के लिए उपयोग भी सम्मिलित होगा किन्तु पर्यटन इकाइयां सम्मिलित नहीं होंगी;
(घ) “संस्थागत प्रयोजन” से लोक उपयोग प्रयोजन को छोड़कर किसी उद्देश्य, विशेष रूप से सामान्य उपयोग पूर्त, शैक्षिक या इसी प्रकार के उद्देश्य की प्रोन्नति के लिए किसी संस्थापन संगठन या संगम द्वारा किसी परिसर या खुले क्षेत्रों का उपयोग अभिप्रेत है;
(ङ) “लोक उपयोग प्रयोजन” से धर्मशाला, धार्मिक स्थल, गौशाला या सार्वजनिक उद्यान अभिप्रेत है;
(च) “चिकित्सा सुविधा प्रयोजन में क्लिनिक, औषधालय, चिकित्सा अस्पाल नैदानिक केन्द्र और नर्सिंग गृह सम्मिलित हैं।
[प्ररूप 48]
[नियम 173-क देखिए ]
आबादी भूमि के उपयोग के परिवर्तन के लिए आवेदन
1.आवेदक का नाम……………………………………………
2.आवेदक का पता…………………………………………….
3.उस भूमि का विवरण जिसके भूमि उपयोग का परिवर्तन वांछित है.
(क)…………………………………………… में स्थित (गाँव में स्थान का सही स्थिति को दर्शाने गाँव का नक्शा संलग्न करें, प्रस्तावित भूमि उपयोग योजना भी संलग्न कीजिए)
(ख) खसरा / भूखण्ड संख्यांक…………………………………………….
(खसरा/ भूखण्ड योजना और साथ ही स्थल योजना, जिसमें आबादी भूमि की चारों दिशाओं के विनिर्देशों हो, संलग्न कीजिए)
(ग) आबादी भूमि का पट्टा संलग्न करें और उस प्राधिकारी या निकाय के नाम का उल्लेख करें जिसके द्वारा वह जारी किया गया था।
(घ) प्रश्नगत आबादी भूमि के संबंध में, जिसके उपयोग का परिवर्तन ईप्सित है, क्या कोई विवाद या मुकदमा न्यायालय में या अन्य सक्षम प्राधिकारी के समक्ष में लम्बित है ?……………………………………………. (यदि कोई हो तो पूरा ब्यौरा दीजिए)।
(ङ) भूमि के संबंध में किसी न्यायालय या अन्य प्राधिकारी का क्या कोई स्थगन आदेश है? यदि कोई हो तो उसका पूरा ब्यौरा दीजिए और ऐसे आदेश की प्रति भी संलग्न करें।
(च) आबादी भूमि का वर्तमान अनुज्ञेय उपयोग…………………………………………….
(छ) आबादी भूमि के उपयोग का वांछित परिवर्तन (पूरा ब्यौरा दीजिए)……………………………………………
(ज) आबादी भूमि के उपयोग में परिवर्तन चाहने के लिए कारण…………………………………………….
4. आबादी भूमि के उपयोग के परिवर्तन के लिए जिसके लिए अब आवेदन किया गया है क्या पूर्व में भी आवेदन किया गया था? यदि किया गया था, उसका ब्यौरा दीजिए और उस पर पारित आदेश की प्रति भी संलग्न करें……………………………………………
5. भूमि के हक का ब्यौरा दीजिए (जैसे कि पूर्ण स्वामित्व, पट्टाधृति, पट्टाधारी या अन्यथा विधिपूर्ण धारक) (दस्तावेजों की सत्य प्रतियाँ संलग्न करें)…………………………………………….
6. आवेदन की फीस – संदत की गयी फीस का ब्यौरा दीजिए (रसीद की फोटो प्रति संलग्न करें जिसके द्वारा फीस संदत्त की गयी है)।
तारीख आवेदक के हस्ताक्षर
स्थान आवेदक का नाम, आवेदक का पता
रसीद
भूमि उपयोग के परिवर्तन के लिए आवेदक श्री……………………………………पुत्र/पत्नी श्री………………………………………. का आवेदन ………… (तारीख) को प्राप्त हुआ।
आवेदन का विनिश्चय करने के लिए
सक्षम अधिकारी/प्राधिकारी के कार्यालय में
आवेदन प्राप्त करने वाले पदधारी के हस्ताक्षर और मुहर
[प्ररूप 49]
[नियम 173-क ( 10 ) ( 13 ) देखिए ]
राजस्थान पंचायतीराज अधिनियम, 1994 की धारा 107 क के अधीन भूमि के उपयोग के परिवर्तन के लिए अनुज्ञा
पं. सं. …………….. स्थान …………….. तारीख ……………..
यतः आवेदक श्री……………………………………पुत्र/पत्नी श्री……………………………………….पता……………………स्थान (गाँव)…………………………पंचायत………………………… तहसील………………………… जिला…………………………पंचायत वृत्त ……………………….. तहसील………………………… जिला………………………..के अन्तर्गत गाँव के वार्ड सं……………………..में स्थित……………………. संलग्न आवासीय स्थल योजना में विस्तृत रूप में यथावर्णित पड़ोस के क्षेत्र के साथ क्षेत्रफल और सीमाओं के द्वारा आबद्ध वर्गमीटर…………………….के मापमान की, आबादी भूमि सभी विद्यमान शर्तों और विल्लंगमों, सुखाचारों के अध्यधीन, उक्त भूमि में, अधिकार, हक और हित का दावा करते हुए और भूमि के उपयोग के परिवर्तन के लिए प्रार्थना करते हुए राजस्थान पंचायती राज अधिनियम, 1994 (1994 का अधिनियम सं. 13) की धारा 107 क और तद्धीन बनाये गये नियमों में अंतर्विष्ट उपबंधों का अवलम्ब रखते हुए आवेदन फाइल किया है और भूमि के उपयोग के परिवर्तन हेतु अपनी प्रार्थना के समर्थन में आवश्यक दस्तावेज प्रस्तुत किये हैं।
अतः मैं… ..ने राजस्थान पंचायती राज अधिनियम, 1994 की धारा 107 क के अधीन राज्य सरकार द्वारा प्राधिकृत अधिकारी/प्राधिकारी के रूप में प्ररूप 48 में आवेदन में किये गये उसके अनुरोध / प्रार्थना पर विचार किया है और आवेदक द्वारा प्रस्तुत दस्तावेजों का परिशीलन और परीक्षा करने के पश्चात् मेरा यह समाधान हो गया है कि उसका अनुरोध उचित है और भूमि के उपयोग का वांछित परिवर्तन अनुज्ञात किया जा सकता है और आवेदक को उक्त आबादी भूमि के उपयोग में वांछित परिवर्तन करने के लिए अनुज्ञात किया जाता है, बशर्ते कि इस आदेश की तारीख से तीस दिन के भीतर-भीतर आवेदक भूमि के उपयोग परिवर्तन के प्रभार जमा करा देवे।
तारीख कार्यालय मोहर हस्ताक्षर
स्थान राज्य सरकार द्वारा प्राधिकृत अधिकारी प्राधिकारी का नाम और पदनाम
[प्ररूप 50]
[नियम 173-क (14) देखिए ]
पंचायत………………..
पट्टा – विलेख
यह अनुबंध एक पक्षकार के रूप में राजस्थान राज्य के राज्यपाल (जिसे इसमें इसके पश्चात् पट्टाकर्ता के रूप में निर्दिष्ट किया गया है) और दूसरे पक्षकार के रूप में श्री/श्रीमती …….. ..पुत्र/ पत्नी श्री……………………..आयु……..गांव………तहसील….. … .जिला………………………..के. निवासी (जिसे इसमें इसके पश्चात् पट्टेदार कहा गया है) के बीच आज दिनांक .. ……..को किया गया।
यतः पट्टेदार ने पट्टाकर्ता का विद्यमान पट्टेदार होने के नाते राजस्थान पंचायती राज अधिनियम, 1994 की धारा 107 क और इसके अधीन बनाये गये नियमों के अधीन आबादी भूमि के उपयोग के परिवर्तन के लिए पट्टाकर्ता को आवेदन किया है और आबादी भूमि के उपयोग के परिवर्तन के लिए अनुज्ञा के लिए अनुरोध किया है।
अतः यह अनुबंध साक्ष्यित करता है कि पट्टाकर्ता और पट्टेदार के बीच.. ..को निष्पादित पूर्व पट्टा विलेख (ब्यौरे दीजिए) को अतिष्ठित करते हुए और पट्टेदार द्वारा भूमि उपयोग के परिवर्तन के प्रभार की रकम जो रु……….. (……….रुपये मात्र) (जो पट्टाकर्ता अभिस्वीकृत करता है) होती है और उक्त पट्टा विलेख, जिसे अब अतिष्ठित किये जाने का अनुरोध किया गया है, के प्रतिफल के रूप में पूर्व पट्टा विलेख के निष्पादन के समय पूर्व में संदत्त राशि पर विचार करते हुए पट्टेदार स्वयं या उसके वारिस, निष्पादक और प्रशासक और समनुदेशिती निम्नलिखित रीति में पट्टाकर्ता के साथ प्रसंविदा करता हैं, अर्थात्-
(क) पट्टेदार भूमि या उस पर परिनिर्मित भवनों के संबंध में विधि के अनुसार पट्टाकर्ता द्वारा उद्गृहीत समस्त कर, प्रभार, उपकर इत्यादि समय-समय पर संदत्त करेगा;
(ख) पट्टेदार सुसंगत समय पर प्रवृत्त विधि के अनुसार पट्टाकर्ता की अनुज्ञा प्राप्त किये बिना न तो भू-खण्ड अभिन्यास योजना को किसी भी रीति से बदलेगा और ना ही भू-खण्ड के आकार में, चाहे उप-विभाजन, समामेलन द्वारा या अन्यथा परिवर्तन करेगा;
(ग) जब कभी भी आबादी भूमि में पट्टेदार को हक, जो इस अनुबंध की विषय-वस्तु है, किसी भी रीति से चाहे जो भी हो, अन्तरित होता है तो अन्तरिती इसमें अन्तर्विष्ट समस्त प्रसंविदाओं और शर्तों से आबद्ध होगा और उसके लिए सभी प्रकार से उत्तरदायी होगा;
(घ) पट्टेदार आबादी भूमि का उपयोग… .. प्रयोजनों के लिए करेगा और विधि के अनुसार पट्टाकर्ता की अनुज्ञा प्राप्त किये बिना और विधि द्वारा यथाविनिर्दिष्ट भूमि के उपयोग के परिवर्तन के आवश्यक प्रभार संदत्त किये बिना, अन्य प्रयोजनों के लिए नहीं करेगा,
(ङ) पट्टाकर्ता द्वारा प्रयोक्तव्य समस्त शक्तियाँ विधि के अनुसार उसके द्वारा प्राधिकृत अधिकारियों/ प्राधिकारियों द्वारा प्रयोग की सकेंगी;
(च) यह पट्टा पंचायती राज अधिनियम, 1994 की धारा 107 क और उसके अधीन बनाये गये नियमों के अधीन मंजूर किया जा रहा है;
(छ) इस पट्टे में, इससे पूर्व प्रयुक्त अभिव्यक्ति “पट्टाकर्ता” और अभिव्यक्ति “पट्टेदार” में, जहां संदर्भ ऐसा स्वीकृत करे, पट्टाकर्ता के मामले में, उत्तराधिकारी, समनुदेशिती और “पट्टेदार ” के मामले में, उसके वारिस, निष्पादक, प्रशासक, विधिक प्रतिनिधि सम्मिलित हैं और वह / वे व्यक्ति जिनमें पट्टाधृत हित इसके द्वारा सृजित किये गये हैं, समनुदेशन द्वारा या अन्यथा तत्समय निहित होंगे।
जिसके साक्ष्य स्वरूप श्री……….. ..ने पट्टाकर्ता की विधि के अधीन उनके लिए और निमित्त, आदेश या निदेश से और प्राधिकार से अपने हस्ताक्षर कर दिये है। श्री/श्रीमती………………. पट्टेदार ने उपर्युक्त तारीख और वर्ष को अपने हस्ताक्षर कर दिये हैं।
हस्ताक्षर पट्टेदार
साक्षी :
1.
2.
राज्यपाल ( पट्टाकर्ता) द्वारा बनायी गयी विधि के अधीन प्राधिकार/ निदेश से राज्यपाल के लिए और उसके निमित्त ।
हस्ताक्षर पट्टाकर्ता
साक्षी :
1.
2.
[प्ररूप 51]
[नियम 173-ख (1) देखिए ]
भूखण्डों के उप विभाजन या पुनर्गठन की अनुमति के लिए आवेदन
प्रेषिती
(अधिकारी का पदनाम ) / प्राधिकारी
…………………………………प्राधिकारी
मैं/ हम गाँव ………………………………के मोहल्ला वार्ड ….. आबादी क्षेत्र में स्थित भूमि के भू-खण्डों के उप-विभाजन या पुनर्गठन के लिए राजस्थान पंचायती राज नियम, 1996 के नियम 173-ख के अधीन अनुज्ञा के लिए इसके द्वारा अनुरोध / प्रार्थना करता हूँ/ करते हैं। मैं / हम इसके साथ निम्नलिखित दस्तावेज संलग्न करता हूँ / करते हैं-
(i) स्वामित्व / पट्टेदार…………… का हक विलेख
(ऐसे दस्तावेजों की राजपत्रित अधिकारी द्वारा सम्यक् रूप से अनुप्रमाणित सत्य प्रतियां संलग्न करें)
(ii) नियम 173 ख के अधीन यथाअपेक्षित सूचना के साथ स्थल योजना (4 प्रतियां)
(iii) फीस और प्रभार जमा किये जाने के सबूत के रूप में रसीद की फोटो प्रति ।
तारीख आवेदक के हस्ताक्षर
स्थान आवेदक का नाम व पता
[प्ररूप 52]
[नियम 173-ख ( 10 ) (12) देखिए ]
भूखण्डों के उप-विभाजन / पुनर्गठन के लिए अनुज्ञा
यतः आवेदक श्री……………………………………पुत्र/पत्नी श्री……………………………………….पता……………………स्थान (गाँव)…………………………पंचायत………………………. जिला…………………ने पंचायत वृत्त………………. तहसील………………. जिला…………………. के अन्तर्गत गांव के वार्ड सं……………… में स्थित………. (वर्गमीटर) के मापमान की, जिला [उप-विभाजन के मामले में भू-खण्ड का पूरा ब्यौरा दीजिए और पुनर्गठन के मामले में प्रत्येक पार्सल या भू-खण्ड का ब्यौरा दीजिए] संलग्न स्थल योजना में विस्तृत रूप में यथावर्णित पड़ौस के क्षेत्र के साथ, क्षेत्रफल और सीमाओं के द्वारा आबद्ध जैसी कि……… रंग से दर्शायी गयी है, उप-विभाजन/पुनर्गठन के लिए पूर्वोक्त भूमि से संलग्न सभी विद्यमान शर्तों और विल्लंगमों, सुखाचारों के अध्यधीन, आवेदन फाइल किया है। और उक्त भू-खण्ड के उप-विभाजन पुनगर्छन हेतु अपनी प्रार्थना के समर्थन में आवश्यक दस्तावेज प्रस्तुत किये हैं।
यतः मैं. ……….ने राजस्थान पंचायती राज अधिनियम, 1994 (1994 का अधिनियम सं. 13) की धारा 107-ख के अधीन राज्य सरकार द्वारा प्राधिकृत अधिकारी/ प्राधिकारी के रूप में प्ररूप 51 में फाइल किये गये आवेदन में इस अनुरोध पर विचार किया है और आवेदक द्वारा प्रस्तुत दस्तावेजों का परिशीलन और परीक्षा करने के पश्चात् मेरा यह समाधान हो गया है कि उसका अनुरोध भू-खण्ड के उप-विभाजन/ पुनर्गठन के लिए उचित है और उसे अनुज्ञात किया है और इसलिए आवेदक को उक्त भू-खण्ड/भू-खण्डों का पुनर्विभाजन / पुनर्गठन करने के लिए अनुज्ञात किया जाता है, और उसके लिए उसने राजस्थान पंचायती राज नियम, 1996 के नियम 173-घ में विनिर्दिष्ट दर से रुपये.. ……की राशि के रूप में ……. पंचायत में रसीद सं. ……दिनांक …………..द्वारा अपेक्षित प्रभार जमा करा दिये हैं। सम्यक् रूप से अधिप्रमाणित उप- विभाजन / पुनर्गठन की योजना इसके साथ संलग्न है। तारीख
तारीख हस्ताक्षर
स्थान राज्य सरकार द्वारा प्राधिकृत अधिकारी प्राधिकारी का नाम और पदनाम
[प्ररूप 53]
[नियम 173-छ देखिए]
पंचायत का नाम…………………
आबादी भूमि का रजिस्टर
क्र.सं. | वार्ड संख्यांक |
मकान/ भूखण्ड संख्या या संख्यांक भूखण्ड की अवस्थिति | सीमा चिह्न (वर्ग मीटर में आकार सहित) | पट्टेदार के रूप में या अन्यथा दखलकृत | अन्य सूचना |
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