Rajasthan Panchayati Raj Niyam 1996
(Adhyaay 1 Prarambhik)
राजस्थान पंचायती राज नियम 1996
(अध्याय 1 प्रारंभिक)
Rajasthan Panchayati Raj Rules 1996 in Hindi (Chapter 1 Preliminary)
राज्य सरकार राजस्थान पंचायती राज अधिनियम, 1994 (1994 का राजस्थान अधिनियम सं. 13) की धारा 3(5), 7(छ), 8, 25(1), 31, 32(1), 33(ग), 35(1), 37(3), 38(1), 39(2), 44, 45(3), 53(1), 60, 65(1)(2), 67(2), 68(2), 69, 74(1)(4), 75(1)(2)(3), 77, 78(1)(2), 79(2), 80(1)(3), 81(1), 82(1), 84(1), 89(4)(8), 90(2)ण् 91(1), 121 (3(5),122 के साथ पठित धारा 102 प्रदत्त शक्तियों और इस निमित्त उसे समर्थ बनाने वाली समस्त अन्य शक्तियों का प्रयोग करते हुए, इसके द्वारा निम्नलिखित नियम बनाती है, अर्थात्-
1. संक्षिप्त नाम और प्रारम्भ – (1) इन नियमों का नाम राजस्थान पंचायती राज नियम, 1996 है । ये राजपत्र में इनके प्रकाशन की तारीख से प्रवृत्त होंगे।
2. निर्वचन – (1) इन नियमों में, जब तक कि विषय या संदर्भ से अन्यथा अपेक्षित न हो,-
(I) ‘‘अधिनियम‘‘ से राजस्थान पंचायती राज अधिनियम, 1994 (1994 का राजस्थान अधिनियम सं. 13) अभिप्रेत है,
(II) ‘‘महालेखाकार‘‘ से महालेखाकार, राजस्थान अभिप्रेत है,
(IIक) ‘‘प्राधिकृत अधिकरण‘‘ से प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालय अध्यापक के पद के चयन के लिए, राज्य सरकार द्वारा समय-समय पर प्राधिकृत अभिकरण अभिप्रेत है;
(III)‘‘पूर्ण दिन‘‘ के अन्तर्गत रविवार और अवकाश सम्मिलित हैं किन्तु बैठक का दिन और नोटिस की प्राप्ति का दिन उसके अन्तर्गत नहीं है,
(IV)‘‘दिन‘‘ के मध्यरात्रि को शुरू होने वाला और समाप्त होने वाला कलैण्डर दिन अभिप्रेत है किन्तु मुख्यालय से ऐसी अनुपस्थिति को, जो 24 घण्टों से अधिक नहीं है, एक दिन गिना जायेगा चाहे अनुपस्थिति किसी भी समय शुरू या समाप्त होती हो,
(V) ‘‘विकास आयुक्त‘‘ से राज्य सरकार द्वारा उस पदाभिधान से नियुक्त अधिकारी अभिप्रेत है,
(VI)‘‘निदेशक , स्थानीय निधि लेखा परीक्षा विभाग‘‘ से राज्य सरकार द्वारा उस पदाभिधान से नियुक्त अधिकारी अभिप्रेत है,
(VII) ‘‘प्रपत्र‘‘ से इन नियमों से संलग्न प्रपत्र अभिप्रेत है,
(VIII)‘‘कार्यालय प्रधान‘‘ से किसी पंचायत के मामले में सरपंच, किसी पंचायत समिति के मामले में विकास अधिकारी और किसी जिला परिषद् के मामले में मुख्य कार्यपालक अधिकारी अभिप्रेत है,
(IX)‘‘भूराजस्व‘‘ से भूमि या भूमि में किसी भी हित या भूमि के उपयोग के संबंध में किसी भी प्रकार से किसी भी मद्धे राज्य सरकार को प्रत्यक्षः संदेय वार्षिक मांग अभिप्रेत है और समनुदेशित भू-राजस्व उसके अन्तर्गत है,
(X) ‘‘बैठक‘‘ से संबंधित पंचायती राज संस्था या उसकी स्थायी समिति, यदि कोई हो, की बैठक अभिप्रेत है,
(XI) ‘‘सदस्य‘‘ से किसी पंचायती राज संस्था का कोई सदस्य अभिप्रेत है और कोई सरपंच उसके अन्तर्गत है,
(XII)‘‘प्रस्ताव‘‘ से पंचायती राज संस्था या उसकी स्थायी समिति, यदि कोई हो, की बैठक में विचार के लिए किसी सदस्य द्वारा किया गया कोई प्रस्ताव अभिप्रेत है,
(XIII)‘‘पंचायत‘‘,‘‘पंचायत समिति‘‘ और ‘‘जिला परिषद्‘‘ से ग्रामीण क्षेत्रों के लिए इस अधिनियम के अधीन, क्रमश: किसी गांव, किसी खण्ड और जिले के स्तर पर स्थापित स्वायत्त शासन की संस्थाए अभिप्रेत है,
(XIV)‘‘पंचायत निधि‘‘ से प्रत्येक पंचायती राज संस्था के लिए अधिनियम की धारा 64 के अधीन उसके नाम से गठित निधि अभिप्रेत हैं,
(XV) पटवारी से उस पदाभिधान से नियुक्त कोई पदधारी अभिप्रेत है,
(XVI) ‘‘अनुसूची‘‘ से इन नियमों से संलग्न कोई अनुसूची अभिप्रेत है,
(XVII)‘‘सचिव‘‘,‘‘विकास अधिकारी‘‘ या ‘‘मुख्य कार्यपालक अधिकारी‘‘ से क्रमश: किसी पंचायत, पंचायत समिति या, यथास्थिति, जिला परिषद् के लिए राज्य सरकार द्वारा या ऐसे प्राधिकारी द्वारा, जिसे इन निमित्त सरकार द्वारा प्राधिकृत किया जाये, ऐसे पदाभिधान से नियुक्त अधिकारी अभिप्रेत है,
(XVIII) ‘‘धारा‘‘ से अधिनियम की कोई धारा अभिप्रेत है,
(XIX) “तहसीलदार” का अर्थ राजस्थान भूमि राजस्व अधिनियम, 1956 (1956 का अधिनियम संख्या 15) के प्रावधानों के तहत उस पदनाम के साथ नियुक्त अधिकारी है;‘
(XX) “कोषागार” में उप-कोषागार शामिल होगा, और जहां एक पंचायत किसी डाकघर या राष्ट्रीयकृत बैंक, अनुसूचित बैंक या ग्रामीण विकास बैंक की शाखा में अपना धन रखती है, इसमें ऐसा डाकघर या बैंक शाखा भी शामिल होगी ;
(XXI) ‘‘वर्ष‘‘ से 1 अप्रेल से शुरू होने वाला और अगली 31 मार्च को समाप्त होने वाला वित्तीय वर्ष अभिप्रेत है।
(2) इन नियमों में प्रयुक्त किये गये किन्तु परिभाषित नहीं किये गये समस्त शब्दों और अभिव्यक्तियों का वही अर्थ हैं जो अधिनियम में क्रमशः उन्हें दिये गये हैं।
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