Patta Rajasthan आबादी भूमि पट्टा राजस्थान (Niyam 1961)
राजस्थान आबादी भूमि पट्टा नियम
अध्याय 13 अचल सम्पत्तियां
अचल सम्पत्तियों का संधारण
251. अचल सम्पत्तियों का रजिस्टर – पंचायत उसमें निहित किए हुए या उसके सुपुर्द किए हुए तमाम भवनों या अन्य अचल सम्पत्तियों का फार्म 48 में एक रजिस्टर रखेगी।
252. सम्पत्तियों का संधारण – पंचायत नियम 251 में उल्लिखित समस्त जायदादों को अच्छी हालत में रखेगी और उसकी मरम्मत या सफेदी के लिए जिस तरह और जब वह आवश्यक समझी जाए, व्यवस्था करेगी ।
253. सम्पत्तियों का निरीक्षण– पंचायत विस्तार अधिकारी कम से कम वर्ष में एक बार रजिस्टर की जांच पड़ताल तथा उसमें बताई गई जायदादों की जांच करेगा और प्रमाणित करेगा कि क्या रेकार्ड सही है और सम्पत्तियां अच्छी हालत में हैं या नहीं ।
254. पुनर्ग्रहरण– कोई ऐसी सम्पत्ति (जो नियम 251 के अधीन रखे गये रजिस्टर में लिखी है) जो राज्य सरकार द्वारा पंचायत में निहित की गई हो या उसके सुपुर्द की गई हो, पुनर्ग्रहण की जाने योग्य होगी, यदि पंचायत उसका प्रयोग अथवा प्रबन्ध अच्छे रूप से नहीं करती है या यदि उसका प्रयोग अथवा प्रबन्ध उन शर्तों के उल्लंघन में जिनके अधीन, या उन कामों के प्रतिकूल, जिनके लिए, वह सम्पत्ति पंचायत में निहित की गई है या राज्य सरकार अथवा इस सम्बन्ध में राज्य सरकार द्वारा अधिकार दिए हुए किसी पदाधिकारी के निर्देश के उल्लंघन में किया जाता है।
आबादी भूमि का बेचान
(2) दरख्वास्त देने वाला, दरख्वास्त के साथ पंचायत में दो रुपये की रकम, जो भूमि खरीदी जानी है उसका नक्शा तैयार करने के खर्चे के लिए, जमा कराएगा।
(2) उसके बाद उक्त भूमि का एक प्लान किसी योग्य व्यक्ति से तैयार करवाया जायेगा जिसको उस कार्य के लिए उसका मेहनताना नियम 256 के उपनियम (2) में निर्दिष्ट जमा रकम में से दिया जाएगा।
(3) उक्त जमा की बची हुई राशि दरख्वास्त देने वाले को लौटा दी जाएगी।
(4) यदि कोई कमी होगी तो उसको दरख्वास्त देने वाला पूरा करेगा और ऐसा करने पर आवेदन पत्र अस्वीकार कर दिया जायेगा
( 5 ) इस नियम के अन्तर्गत तैयार किये गये नक्शे में बेची जाने वाली भूमि को सीमायें अंकित हो जायेंगी। (जो कि लाल स्याही से दिखाई जायेंगी। उस पर दरख्वास्त देने वाले तथा उसको तैयार करने वाले व्यक्ति के हस्ताक्षर होंगे, बेची जाने वाली भूमि के नाम दिये जायेंगे तथा नाप जिससे नक्शा तैयार किया गया है, बताया जाएगा । टिप्पणी- यह स्पष्ट करने के लिए कि कौनसी भूमि को खरीदने का आवेदन किसी खरीददार द्वारा किया गया है, पंचायत द्वारा उसका नक्शा बनवाया जाएगा तथा उसे किसी भी नक्शा बनाने वाले के द्वारा बनवाया जा सकेगा । परन्तु नक्शा बनाने पर होने वाले खर्चे को खरीददार द्वारा जमा कराई गई फीस में से दे दिया जावे। भूमि आसानी से पहचानी जा सके, इसके लिए नक्शा बनाते समय इस बात का भी ध्यान रखना जरूरी है कि उसके पास की भूमियों को भी स्पष्ट रूप से अंकित कर दिया जावे।
(2) उपनियम (1) के अधीन मनोनीत किए गए पंच, निम्नलिखित बातों पर विचार करने के बाद चाहे गए बेचान की वांछनीयता के विषय में अपनी राय पंचायत को प्रस्तुत करेंगे, अर्थात
(क) क्या चाहा गया बेचान ग्रामवासियों के आने जाने की सुविधाओं पर असर डालेगा,
(ख) क्या ऐसा बेचान अन्य व्यक्तियों की सुविधा के अधिकारों पर असर डालेगा,
(ग) क्या ऐसा बेचान बस्ती की सुन्दरता व सफाई पर असर डालेगा,
(घ) ऐसी अन्य बातें जो सम्बन्धित लगती हो ।
(2) यदि यह बेचान नहीं करने का फैसला करेगी तो आवेदन अस्वीकार कर दिया जायेगा, इस तरह रद्द करने की बात दरख्वास्त देने वाले को यथाविधि सूचित कर दी जाएगी।
(2) उपनियम (1) में निर्दिष्ट सूचना-पत्र नोटिस दो प्रतियों में तैयार किया जावेगा, और उसकी एक प्रति उसे बेची जाने के लिए प्रस्थापित भूमि में किसी प्रमुख स्थान पर चिपकाई जायेगी और दूसरी प्रति, उसकी वहाँ चिपकाये जाने की पुष्टि में, उस स्थान के कम से कम दो सम्माननीय व्यक्तियों के हस्ताक्षर उस पर प्राप्त करके पंचायतों को लोटा दी जायेगी ।
(2) तंदनन्तर ऐसे नीलाम का तथा उपनियम (1) केअधीन निर्दिष्ट तारीख के समय और स्थान का एक सूचना पत्र ( नोटिस) नियम 133 के उपनियम ( 1 ) में प्रवाहित रीति से उद्घोषित किया जायेगा और उस नियम के उपनियम (3) तथा (5) के प्रावधान यथोचित परिवर्तनों के साथ लागू होंगे।
(2) उपनियम (1) के प्रावधान के अनुसार रकम जमा नहीं कराने पर जमीन तुरन्त ही दुबारा बेची जाएगी :- लेकिन बोली की रकम का शेष न देने पर दुबारा बेचान दूसरा नोटिस जैसा कि नियम 262 के उपनियम (2) में दिया गया है, जारी कर दिये जाने के पश्चात् किया जायगा और वह दस प्रतिशत जो कि पहली बेचान के समय जमा कराया गया था, लौटाया नहीं जायेगा | लेकिन और वह भी कि ऐसे दुबारा बेचन से मिली कीमत में कोई कमी उस व्यक्ति द्वारा देय होगी जो नुगतान, जैसा कि ऊपर कहा गया है, नहीं कर सका और उससे पंचायत के बकाया की भांति वसूली के काबिल होगा।
(2) जहां भूमि जो बेचान की जाने को है, पंचायत या न्याय उपसमिति के मुख्य कार्यालय में स्थिति है तो नीलाम कम से कम दो लगातार दिनों में किया जायेगा लेकिन अन्य स्थानों में वह केवल एक दिन ही किया जा सकता।
(2) जहां पर नीलाम की गई भूमि की बोली, एक हजार रुपये की धनराशि से अधिक नहीं होती है, वहां बोली की कार्यवाही की एक प्रतिलिपि पंचायत द्वारा उसने (बोली के) स्वीकृत किए जाने के तीन दिन के भीतर उस क्षेत्र के सब डिवीजनल आफीसर के पास भेज दी जायेगी। यदि उस प्रतिलिपि के प्राप्त करने से एक माह की अवधि के भीतर बोली की स्वीकृति के बारे में कोईआपत्ति प्राप्त नही होती है तो पंचायत नीलामी को अन्तिम रूप देने के लिए कार्यवाही शुरू करेगी।
(3) जहां पर नीलाम की जाने वाली जमीन की बोली 1000/-रुपये से बढ़ जाती है, पंचायत उच्चतम बोली के बराबर की रकम के प्रस्तावित विक्रय मूल्य की निम्न को स्वीकृति के लिए भेजेगी : (1) क्षेत्राधिकार वाली पंचायत समिति को यदि इस प्रकार की रकम रु. 5000/ से अधिक नहीं होती है। (ii) कलक्टर को, यदि इस प्रकार की रकम रु.5000/- से बढ़ जाती है किन्तु 10,000 रु. से ऊपर नहीं जाती है। (iii) राज्य सरकार को यदि यह रकम रु. 10,000/- से अधिक हो जाती है।
(4) पंचायत या उपनियम (3) में वर्णित कोई भी प्राधिकारी या अधिकारी , यदि उसकी राय में बेची जाने वाली भूमि की पूरी कीमत नहीं बोली गई है, बोली की पुष्टि करने से मना कर सकता है, और ऐसी हालत में सबसे ऊँची बोली देने वाले द्वारा जमा की गई बोली की दस प्रतिशत की रकम बिना ब्याज दी जायेगी।
(क) जहां कोई व्यक्ति भूमि के प्रभुत्व का विश्वस्त दावा रखता हो और नीलाम से बाजिब कीमत प्राप्त नहीं हो सके।
(ख) जहां ऐसे कारणों से जो अभिलिखित किया जायेगा, पंचायत यह समझे कि नीलाम भूमि के निपटारे का सुविधाजनक तरीका नहीं होगा, और
(ग) यदि ऐसा तरीका अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जन जातियों या दूसरी पिछड़ी हुई जन जातियों की उन्नति के लिए पंचायत द्वारा जरूरी माना जाये ,
(घ) जहां किसी व्यक्ति की आबादी भूमि पर कब्जा 20 वर्ष अथवा अधिक परन्तु 40 वर्षों से कम का है, वहां विद्यमान बाजार कीमत का एक तिहाई भाग और जहां कब्जा 40 वर्ष से अधिक का है वहां विद्यमान बाजार दर का छठा भाग प्रभारित किया जायेगा।
(2) पंचायत, प्रस्ताव द्वारा, ऐसी कोई आबादी भूमि जिसकी कीमत दो सौ रुपये से ज्यादा नहीं हो, सार्वजनिक कार्यों के लिए किसी संस्था को बिना कोई कीमत लिए बेचान द्वारा हस्तांतरित कर सकती है।
(1) यदि किसी भूमि पर किसी व्यक्ति का दावा है और उसकी मिल्कियत का भी सबूत मिलता है और उसे नीलाम करने की सूरत में ठीक प्राप्त होने की सम्भावना न हो तो पंचायत मिल्कियत को ध्यान में रखते हुए और आपसी बातचीत से उसकी कीमत निर्धारित करके बेच सकती है। पुराने आबादी भूमि विक्रय के नियम के अनुसार व्यक्ति का 40 साल से अधिक कब्जा होने पर 6.25 प्रतिशत नजराने से भूमि दी जा सकती है किन्तु हाईकोर्ट के फैसले द्वारा ऐसा करना अवैध घोषित किया जा चुका है,अब 40 साल के कब्जे पर, कब्जे वाली भूमि की कीमत 6.25 प्रतिशत नजराना लेकर पट्टा दिये जाने का कोई नियम नहीं रहा है और भूमि परस्पर बातचीत की जाकर उचित कीमत पर ही दी जा सकती है।
(2) जहाँ पर पंचायत को यह सम्भावना दिखाई दे कि नीलाम से भूमि की कीमत किसी भी सूरत में ज्यादा नहीं आ सकती तो वह जिन कारणों में से इस नतीजे पर पहुंचे उन्हें लिखित में करके परस्पर बातचीत से भूमि बेच सकती है। उदाहरणार्थ यदि किसी व्यक्ति को इनके मकान के पीछे 2 फीट चौड़ी जमीन जो किसी दूसरे व्यक्ति के किसी भी प्रकार से काम नहीं आ सकती उस भूमि का नीलाम करने से किसी भी व्यक्ति को खरीदने की दिलचस्पी नहीं हो सकती। ऐसी हालत में ऐसी भूमि परस्पर बातचीत करके ठीक दाम पर जिसके हित में वह जमीन हो, उसे दी जा सकती है।
(3) अनुसूचित जाति के लिए या अनुसूचित जनजाति एवं पिछड़ी जाति के व्यक्तियों की तरक्की के लिए भूमि बिना नोटिस वाजिब रेट पर दी जा सकती है।
(4) 200 रु तक की कीमत की भूमि यदि किसी सार्वजनिक संस्था के लिए आवश्यकता हो तो पंचायत अपने प्रस्ताव द्वारा बिना नीलाम किए, दे सकती है।
आवासीय भूखण्ड आवंटन
[2,(क) पंचायत ग्राम्य आबादी में 150 वर्ग गज तक की आबादी भूमि निःशुल्क अनुसूचित जातियों / अनुसूचित जनजातियों, पिछड़े वर्गों के सदस्यों, ग्रामीण शिल्पियों और ऐसे भूमिहीन श्रमिकों को आवंटित कर सकेगी जिनकी मिल्कियत के कोई गृह स्थल / मकानात नहीं हो और बाढ़ पीड़ित व्यक्तियों को भी जिनके मकान बह गए हो अथवा बाढ़ के कारण जिनके गृह स्थल भविष्य में निवास करने के लिये अनुपयुक्त हो गए हो।
(स) अन्य स्थान / स्थानों पर बाढ़ पीड़ित व्यक्तियों को गृह स्थल आवंटित करने के लिए ,सम्बन्धित पंचायत ऐसे व्यक्तियों से आवेदन-पत्र ऐसी प्रतिज्ञा सहित आमन्त्रित करेगी, कि अन्य स्थान / स्थानों पर गृह स्थल आवंटित किए जाने की दशा में वह जाने वाले मकान गृह स्थल सामग्री सहित समस्त भारों से मुक्त सम्बन्धित पंचायत में निहित हो जाएंगे।
( 3 ) पंचायत प्रस्ताव द्वारा आबादी भूमि, जो उसके अधिकार क्षेत्र में है और जिसकी व्याख्या नियम 255 में की गई है, ग्राम सेवा सहकारी समितियों द्वारा सहकारी भण्डार के निर्माण हेतु 1500 वर्ग गज तक की आबादी भूमि बिना कीमत दे सकेंगी किन्तु शर्त यह है कि ऐसी सहकारी समिति जिसको भूमि देना प्रस्तावित किया जा रहा है, भण्डार का निर्माण नहीं किया जाएगा तो जो भूमि इस कार्य के निमित्त दी जा रही है, पंचायत को वापस हो जायेगी।
राजस्थान सहकारी समिति अधिनियम, 1965 के अन्तर्गत गठित तथा रजिस्टर्ड हो । किन्तु शर्त यह भी है कि यदि सहकारी समिति उस समय में जो कि भण्डार के निर्माण के लिए सहकारी विभाग नियुक्त करे।
(2) (क) – विस्थापित व्यक्तियों तथा भूतपूर्व सैनिकों से प्रभारित की जाने वाली प्रस्तावित दरों के बारे में पंचायत अपनी सिफारिश विकास अधिकारी की मार्फत जिलाधीश को भेजेगी।
(ख) जिलाधीश या उसके द्वारा प्राधिकृत कोई भी अन्य अधिकारी, जो सब डिविजनल अधिकारी से नीचे के पद का नहीं होगा,आवश्यक जाँच करने और पंचायत की सिफारिश पर विचार करने के पश्चात् ऐसे आवन्टितियों से प्रभारित की जाने वाली दरें नियत करेगा और पंचायतों को लिखित में अपने विनिश्चय से सूचित करेगा।
(ग) किसी भी विशिष्ट पंचायत के लिए इस प्रकार नियत की गई दर 5 वर्ष तक लागू रहेगी और तत्पश्चात् नए सिरे से दरें नियत करने के लिए उसी प्रक्रिया का अनुसरण किया जायेगा जो उपनियम (2) में बताई गई है।
(2) कोई पंचायत निम्नलिखित विनिर्दिष्ट सीमाओं के भीतर न तो कोई आबादी जमीन बेचेगी और न कोई पक्का निर्माण (स्ट्रक्चर) करने की अनुमति देगी –
(क) रेल्वे लाइन से सौ फीट।
(स) राष्ट्रीय राज मार्ग की मध्यवर्ती रेखा से एक सौ पचास फीट
(ग) राज्य के राजमार्ग और मुख्य जिला सड़कों की मध्यवर्ती रेखा से पचहत्तर फीट तथा
(घ) अन्य जिला सड़कों एवं ग्राम सड़कों की मध्यवर्ती रेखा से पचास फीट।
(3) पंचायत सर्किल में कृषि भूमि तथा बंजर भूमि (जो आबादी भूमि न हो) का बेचान या बांट राजस्थान टिनेन्सी एक्ट, 1955 या राजस्थान लैण्ड रेवेन्यू एक्ट 1956 के अधीन बने हुए नियमों द्वारा व्यवस्थित रहेगा, की जायेगी ।
(4) राज्य सरकार द्वारा अपेक्षित कोई आबादी भूमि, पंचायत द्वारा बिना दाम दी जाएगी ।
(5) (क) यदि राज्य सरकार लोकहित में ऐसा करना समीचीन समझे तो वह राजपत्र में अधिसूचना द्वारा सभी या किसी भी पंचायत में आबादी भूमि बेचने की शक्तियां वापिस जिलाधीश को प्रदान कर सकेगी।
(ख) जिलाधीश इस नियम के अधीन शक्तियों का प्रत्यायोजन किसी ऐसे अधिकारी, को कर सकेगा जो निरीक्षक, भू-अभिलेख अथवा विकास अधिकारी को रेंक से कम न हो। उसके द्वारा भिन्न-भिन्न अधिकारियों को विभिन्न पंचायत सर्किल की बाबत भी शक्तियां प्रत्यायोजित की जा सकेंगी।”
(ग) राजस्थान राजपत्र में अधिसूचना द्वारा खण्ड (क) के अधीन प्रदत्त आबादी भूमि के बेचने की शक्तियों को समस्त या किसी भी जिलाधीश से वापस ले सकेंगी।
आबादी भूमि के नियम राजस्थान
राजस्थान पंचायत एवं न्याय पंचायत (सामान्य) नियम, 1981 के नियम 269 के उपनियम (5) द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए राज्य सरकार पंचायतों में निहित आबादी भूमि बेचने की समस्त शक्तियों को एतद्द्वारा सुरन्त प्रभाव से वापस लेती है तया ऐसी शक्तियां सम्बन्धित जिले के कलक्टरों को प्रदत्त करती है।
अन्य अचल सम्पत्तियों का अन्यक्रामण
274, पंचायत में निहित अचल सम्पत्ति व उन बँधेजों का उल्लेख करते हुए जिनकेअधीन न ऐसी जायदाद पंचायत में निहित की गई थी, हस्तान्तरित नही की जायेगी न किसी प्रभार के अधीन रखी जायेगी।
275. जिलाधीश की स्वीकृति के बिना कोई हस्तान्तरण नहीं होगा– पंचायत, जिलाधीश की पूर्व स्वीकृति के बिना उसमें निहित किसी भी अचल सम्पत्ति को पट्टे (Leuse) पर देने अलावा हस्तान्तरण नहीं करेगी अथवा उस पर कोई भार नही लगायेगी यदि ऐसी सम्पत्ति का मूल्य 1000 रुपये से अधिक हो ।
276 पंचायत की सम्पत्ति को किराये पर देना – (1) पंचायत उसमें निहित किसी अचल जायदाद को किसी अवधि के लिए जो तीन वर्ष से अधिक न हो, किराये पर दे सकती है।
(2) ऐसे किसी जायदाद के किरायेदार को, क्षेत्राधिकार रखने वाली पंचायत समिति की बिना इजाजत पत्र या इंटों के कोई स्थाई, भवन या ढांचे बनाने की अनुमति नहीं दी जायेगी ।
277. नियम 274 से 276 आबादी भूमि के हस्तान्तरण के लिए लागू नहीं होंगे – नियम 274 से 276 में निहित कोई बात आबादी भूमि के बेचान या आवण्टनों के लिए लागू नहीं होगी।