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Patta Rajasthan आबादी भूमि पट्टा राजस्थान (Niyam 1961)

Patta Rajasthan आबादी भूमि पट्टा राजस्थान (Niyam 1961)
Patta Rajasthan आबादी भूमि पट्टा राजस्थान
20 नवम्बर 1986 तक अद्यतन

Patta Rajasthan आबादी भूमि पट्टा राजस्थान (Niyam 1961)

राजस्थान आबादी भूमि पट्टा नियम

 अध्याय 13 अचल सम्पत्तियां 

अचल सम्पत्तियों का संधारण

251. अचल सम्पत्तियों का रजिस्टर – पंचायत उसमें निहित किए हुए या उसके सुपुर्द किए हुए तमाम भवनों या अन्य अचल सम्पत्तियों का फार्म 48 में एक रजिस्टर रखेगी।

252. सम्पत्तियों का संधारण – पंचायत नियम 251 में उल्लिखित समस्त जायदादों को अच्छी हालत में रखेगी और उसकी मरम्मत या सफेदी के लिए जिस तरह और जब वह आवश्यक समझी जाए, व्यवस्था करेगी ।

253. सम्पत्तियों का निरीक्षण– पंचायत विस्तार अधिकारी कम से कम वर्ष में एक बार रजिस्टर की जांच पड़ताल तथा उसमें बताई गई जायदादों की जांच करेगा और प्रमाणित करेगा कि क्या रेकार्ड सही है और सम्पत्तियां अच्छी हालत में हैं या नहीं ।

254. पुनर्ग्रहरण– कोई ऐसी सम्पत्ति (जो नियम 251 के अधीन रखे गये रजिस्टर में लिखी है) जो राज्य सरकार द्वारा पंचायत में निहित की गई हो या उसके सुपुर्द की गई हो, पुनर्ग्रहण की जाने योग्य होगी, यदि पंचायत उसका प्रयोग अथवा प्रबन्ध अच्छे रूप से नहीं करती है या यदि उसका प्रयोग अथवा प्रबन्ध उन शर्तों के उल्लंघन में जिनके अधीन, या उन कामों के प्रतिकूल, जिनके लिए, वह सम्पत्ति पंचायत में निहित की गई है या राज्य सरकार अथवा इस सम्बन्ध में राज्य सरकार द्वारा अधिकार दिए हुए किसी पदाधिकारी के निर्देश के उल्लंघन में किया जाता है।

आबादी भूमि का बेचान  

255. आबादी भूमि की परिभाषा – ‘आबादी भूमि’ से तात्पर्य नजूल भूमि से है जो किसी पंचायत क्षेत्रों की सनिवसित क्षेत्रों में स्थित है, जो कि राज्य सरकार की आज्ञा से या के अधीन पंचायत में निहित है या उसको निहित की गई अथवा गुपुर्द की गई है । टिप्पणी- पंचायत को ग्राम की बन्दोबस्त के समय आबादी गैर-मुमकिन के रूप में दर्ज की गई भूमि पर ही अधिकार होगा। सिवाय चक भूमि पर पंचायत को कोई अधिकार प्राप्त नहीं होगा। आबादी के मध्य में कोई सिवाय चक भूमि होने पर भी जब तक यह भूमि आबादी में परिवर्तित नहीं की जाती, तब तक पंचायत की ऐसी भूमि पर कोई अधिकार नहीं होगा। पंचायतों को राज्य सरकार ने गांव में स्थित ऐसी भूमि पर ही अधिकार प्रदान किये हैं जो केवल आबादी के नाम से जानी जाये।
256, खरीदने के लिए दरख्वास्त– (1) कोई व्यक्ति जो पंचायत से कोई आबादी भूमि खरीदना चाहता हो उसका ऐसा हवाला देते हुए जो खरीदी जाने के लिए प्रस्तावित भूमि की जानकारी करवाने के लिए काफी पर्याप्त हो सके, लिखित रूप में एक दरख्वास्त पंचायत को देगा |
(2) दरख्वास्त देने वाला, दरख्वास्त के साथ पंचायत में दो रुपये की रकम, जो भूमि खरीदी जानी है उसका नक्शा तैयार करने के खर्चे के लिए, जमा कराएगा।
257 नक्शा तैयार करना – (1) नियम 256 अधीन दरख्वास्त माने पर पंचायत फार्म नं०  49 के रजिस्टर में उसका इन्द्राज करवायेगी और उस विषय की एक फाइल खुलवायेगी ।
(2) उसके बाद उक्त भूमि का एक प्लान किसी योग्य व्यक्ति से तैयार करवाया जायेगा जिसको उस कार्य के लिए उसका मेहनताना नियम 256 के उपनियम (2) में निर्दिष्ट जमा रकम में से दिया जाएगा।
(3) उक्त जमा की बची हुई राशि दरख्वास्त देने वाले को लौटा दी जाएगी।
(4) यदि कोई कमी होगी तो उसको दरख्वास्त देने वाला पूरा करेगा और ऐसा करने पर आवेदन पत्र अस्वीकार कर दिया जायेगा
( 5 ) इस नियम के अन्तर्गत तैयार किये गये नक्शे में बेची जाने वाली भूमि को सीमायें  अंकित  हो जायेंगी। (जो कि लाल स्याही से दिखाई जायेंगी। उस पर दरख्वास्त देने वाले तथा उसको तैयार  करने वाले व्यक्ति के हस्ताक्षर होंगे, बेची जाने वाली भूमि के नाम दिये जायेंगे तथा नाप जिससे नक्शा तैयार किया गया है, बताया जाएगा । टिप्पणी- यह स्पष्ट करने के लिए कि कौनसी भूमि को खरीदने का आवेदन किसी खरीददार द्वारा किया गया है, पंचायत द्वारा उसका नक्शा बनवाया जाएगा तथा उसे किसी भी नक्शा बनाने वाले के द्वारा बनवाया जा सकेगा । परन्तु नक्शा बनाने पर होने वाले खर्चे को खरीददार द्वारा जमा कराई गई फीस में से दे दिया जावे। भूमि आसानी से पहचानी जा सके, इसके लिए नक्शा बनाते समय इस बात का भी ध्यान रखना जरूरी है कि उसके पास की भूमियों को भी स्पष्ट रूप से अंकित कर दिया जावे।
258 निरीक्षण – (1) प्लान तैयार हो जाने के बाद पंचायत संकल्प द्वारा अपने पंचों में से किन्हीं तीन को मौके का स्थानीय निरीक्षण करने के लिए मनोनीत करेगी
(2) उपनियम (1) के अधीन मनोनीत किए गए पंच, निम्नलिखित बातों पर विचार करने के बाद चाहे गए बेचान की वांछनीयता के विषय में अपनी राय पंचायत को प्रस्तुत करेंगे, अर्थात
(क) क्या चाहा गया बेचान ग्रामवासियों के आने  जाने की सुविधाओं पर असर डालेगा,
(ख) क्या ऐसा बेचान अन्य  व्यक्तियों की सुविधा के अधिकारों पर असर डालेगा,
(ग) क्या ऐसा बेचान बस्ती की सुन्दरता व  सफाई पर असर डालेगा,
(घ) ऐसी अन्य बातें जो सम्बन्धित लगती हो ।
टिप्पणी- नवशा तैयार होने के पश्चात पंचायत को तीन पंचों की समिति नियुक्त की जानी चाहिये जो भूमि के मौके पर पहुँचकर कि क्या भूमि को बेचना उचित होगा या नहीं , इस बात की रिपोर्ट करे। परन्तु रिपोर्ट देने के समय नियमों के प्रावधानों का भी पूरा ध्यान रखना चाहिये। इस बात पर भी गौर करना चाहिये कि यदि भूमि किसी सार्वजनिक संस्था स्कूल अथवा अस्पताल के नजदीक स्थित हो तो क्या उस संस्था को भविष्य में अपने विस्तार के लिए उस भूमि की जरूरत तो नहीं पड़ेगी। यदि ऐसी आवश्यकता पड़ने को सम्भावना हो उसे नहीं बेचा जाने, क्योंकि किसी एक व्यक्ति के हित के कारण सार्वजनिक हित को नहीं भूलना चाहिये । 
259. अस्थाई फैसला – (1) तत्पश्चात् पंचायत बैठक में  अस्थाई रूप से यह निर्णय करेगी कि प्रस्तावित बेचान  किया जाना चाहिए अथवा नहीं 1
(2) यदि यह बेचान नहीं करने का फैसला करेगी तो आवेदन अस्वीकार कर दिया जायेगा, इस तरह रद्द करने की बात दरख्वास्त देने वाले को यथाविधि सूचित कर दी जाएगी।
टिप्पणी- समिति द्वारा रिपोर्ट पेश करने के बाद यह फैसला पंचायत को करना पड़ेगा कि जिस भूमि को खरीदने का आवेदन प्राप्त हुआ है उसे बेचा जाये या नहीं। पंचायत के द्वारा यदि यह फैसला किया जाये कि भूमि को न बेचा जावे तो खरीददार केआवेदन को खारिज कर दिया जाये तथा आवेदन कर्ता को नियमानुसार पंचायत के फैसले की सूचना दे दी जाये। 
260, सूचना पत्र ( नोटिस) का जारी दिया जाना व प्रकाशन – ( 1 )यदि पंचायत अस्थाई रूप से यह विनिश्चय करे कि विक्रय हो जाना चाहिए तो वह प्रपत्र 50 में एक सूचना प्रकाशित करेगी जिसमें कि उपनियम प्रवाहित तरीके से किये गये ऐसे प्रकाशन की तारीख से एक महीने के भीतर प्रस्थापित विक्रय में आपत्तियां निमन्त्रित की जायेंगी ।
(2) उपनियम (1) में निर्दिष्ट सूचना-पत्र नोटिस दो प्रतियों में तैयार किया जावेगा, और उसकी एक प्रति उसे बेची जाने के लिए प्रस्थापित भूमि में किसी प्रमुख स्थान पर चिपकाई जायेगी और दूसरी प्रति, उसकी वहाँ चिपकाये  जाने की पुष्टि में, उस स्थान के कम से कम दो सम्माननीय व्यक्तियों के हस्ताक्षर उस पर प्राप्त करके पंचायतों को लोटा दी जायेगी ।
261. आपत्तियों का निर्वर्तन– नियम 260 के अन्तर्गत जारी किए गए नोटिस के प्रत्युत्तर में प्राप्त आपत्तियां, यदि कोई हों, सम्बन्धित पक्षों को सुने जाने के लिए उचित अवसर देने के पश्चात् पंचायत द्वारा निपटाई जायेगी ।
टिप्पणी- उजरदारी के नोटिस की एक माह की अवधि समाप्त होने के बाद जो भी आपत्तियां प्राप्त की जायेंगी उसका फैसला पंचायत को बैठक में किया जावेगा | बैठक में आपत्ति करने वाले को भी बुलाया जायेगा व पूरा मौका दिया जायेगा कि वह उसके बारे में कुछ कहना चाहेगा तो कह सकेगा। 
262. भूमि का नीलाम– (1) यदि नियम 260 के प्रन्तगंत एक महीने के भीतर कोई आपत्ति प्राप्त न हो, अथवा इस तरह प्राप्त हुई सब आपत्तियां  नियम 261 के प्रधीन रद्द कर दो गई हों तो पंचायत संकल्प द्वारा ऐसी तारीख को जो संकल्प की तारीख से एक महीने से पहले नहीं हो तथा ऐसे समय और स्थान पर जो निर्दिष्ट किए जाएं, विक्रय को जाने के लिए प्रस्थापित भूमि के नीलाम के लिए आज्ञा देगी ।
(2) तंदनन्तर ऐसे नीलाम का तथा उपनियम (1) केअधीन निर्दिष्ट तारीख के समय और स्थान का एक सूचना पत्र ( नोटिस) नियम 133 के उपनियम ( 1 ) में प्रवाहित रीति से उद्घोषित किया जायेगा और उस नियम के उपनियम (3) तथा (5) के प्रावधान यथोचित परिवर्तनों के साथ लागू होंगे।
टिप्पणी- – अगर कोई भी आपत्तियां प्राप्त नहीं हुई हों या जो प्राप्त हुई हों उन्हें खारिज कर दिया गया हो तो पंचायत के द्वारा उस भूमि को नीलाम करने की कार्यवाही एक महीने की अवधि का नोटिस जारी कर किया जावेगा  तथा उक्त एक महीने की अवधि भी उसी तारीख से शुरू होगी जिस तारीख को नोटिस को चस्पा किया गया ।तरीका इसमें वही काम में लिया जायेगा जैसा कि नोटिस उजरदारी में बतलाया गया है । साधारणतया पंचायतें नियमानुसार आबादी भूमि बेचने में नोटिस व कराकर निश्चित कीमत पर भूमियों को वेच देती हैं लेकिन ऐसा करना सरासर गलत है। पंचायतें उसी शर्त के साथ ही दिये गये है कि सार्वजनिक रूप से एक महीने का नोटिस जारी करने के बाद ही बेची जावे । 
263. भुगतान तथा भुगतान न होने पर दुबारा बेचान– (1) वह व्यक्ति जिसने अन्तिम और सबसे ऊंची बोली दी, बोली की रकम का दस प्रतिशत वहां स्थान पर हो तुरन्त जमा करायेगा और  बाकी की रकम नीलाम की तारीख से दो महीने केअंदर।
(2) उपनियम (1) के प्रावधान के अनुसार रकम जमा नहीं कराने पर जमीन तुरन्त ही दुबारा  बेची जाएगी :- लेकिन बोली की रकम का शेष न देने पर दुबारा बेचान दूसरा नोटिस जैसा कि नियम 262 के उपनियम (2) में दिया गया है, जारी कर दिये जाने के पश्चात् किया जायगा और वह दस प्रतिशत जो कि पहली बेचान के समय जमा कराया गया था, लौटाया नहीं जायेगा | लेकिन और वह भी कि ऐसे दुबारा बेचन से मिली कीमत में कोई कमी उस व्यक्ति द्वारा देय होगी जो नुगतान, जैसा कि ऊपर कहा गया है, नहीं कर सका और उससे पंचायत के बकाया की भांति वसूली के काबिल होगा।
264. नीलाम का तरीका– (1) नियम 262 के अधीन सब नीलाम सरपंच द्वारा या सरपंच के पर्यवेक्षण (Supervision) में किए जायेंगे ।
(2) जहां भूमि जो बेचान की जाने को है, पंचायत या न्याय उपसमिति के मुख्य कार्यालय में स्थिति है तो नीलाम कम से कम दो लगातार दिनों में किया जायेगा लेकिन अन्य स्थानों में वह केवल एक दिन ही किया जा सकता।
265. किए गए नीलाम की पुष्टि – (1) सबसे ऊंची बोली को मंजूरी पंचायत और उपनियम (3) के अधीन निर्धारित द्वारा पुष्टि की जाने के बाद की जावेगी ।
(2) जहां पर नीलाम की गई भूमि की बोली, एक हजार रुपये की धनराशि से अधिक नहीं होती है, वहां बोली की कार्यवाही की एक प्रतिलिपि पंचायत द्वारा उसने (बोली के) स्वीकृत किए जाने के तीन दिन के भीतर उस क्षेत्र के सब डिवीजनल आफीसर के पास भेज दी जायेगी। यदि उस प्रतिलिपि के प्राप्त करने से एक माह की अवधि के भीतर बोली की स्वीकृति के बारे में कोईआपत्ति प्राप्त नही होती है तो पंचायत नीलामी को अन्तिम रूप देने के लिए कार्यवाही शुरू करेगी।
(3) जहां पर नीलाम की जाने वाली जमीन की बोली 1000/-रुपये से बढ़ जाती है, पंचायत उच्चतम बोली के बराबर की रकम के प्रस्तावित विक्रय मूल्य की निम्न को स्वीकृति के लिए भेजेगी : (1) क्षेत्राधिकार वाली पंचायत समिति को यदि इस प्रकार की रकम रु. 5000/ से अधिक नहीं होती है। (ii) कलक्टर को, यदि इस प्रकार की रकम रु.5000/- से बढ़ जाती है किन्तु  10,000 रु. से ऊपर नहीं जाती है। (iii) राज्य सरकार को यदि यह रकम रु. 10,000/- से अधिक हो जाती है।
(4) पंचायत या उपनियम (3) में वर्णित कोई भी प्राधिकारी या अधिकारी , यदि उसकी राय में बेची जाने वाली भूमि की पूरी कीमत नहीं बोली गई है, बोली की पुष्टि करने से मना कर सकता है, और ऐसी हालत में सबसे ऊँची बोली देने वाले द्वारा जमा की गई बोली की दस प्रतिशत की रकम बिना ब्याज  दी जायेगी।
266. आपसी बातचीत से आबादी भूमि का हस्तान्तरण – (1) नीचे लिखी हालतों में  पंचायत आपसी बातचीत से बेचान द्वाराआबादी भूमि का हस्तान्तरण कर सकेगी
(क) जहां कोई व्यक्ति भूमि के प्रभुत्व का विश्वस्त दावा रखता हो और  नीलाम से बाजिब कीमत  प्राप्त नहीं हो सके।
(ख) जहां ऐसे कारणों से जो अभिलिखित किया जायेगा, पंचायत यह समझे  कि नीलाम भूमि के निपटारे का सुविधाजनक तरीका नहीं होगा, और
(ग) यदि ऐसा तरीका अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जन जातियों या दूसरी पिछड़ी हुई जन जातियों की उन्नति के लिए पंचायत द्वारा जरूरी माना जाये ,
(घ) जहां किसी व्यक्ति की आबादी भूमि पर कब्जा 20 वर्ष अथवा अधिक परन्तु 40 वर्षों से कम का है, वहां विद्यमान बाजार कीमत का एक तिहाई भाग और जहां कब्जा 40 वर्ष से अधिक का है वहां विद्यमान बाजार दर का छठा भाग प्रभारित किया जायेगा।
(2) पंचायत, प्रस्ताव द्वारा, ऐसी कोई आबादी भूमि जिसकी कीमत दो सौ रुपये से ज्यादा नहीं हो, सार्वजनिक कार्यों के लिए किसी संस्था को बिना कोई कीमत लिए बेचान द्वारा हस्तांतरित कर सकती है।
(1) यदि किसी भूमि पर किसी व्यक्ति का दावा है और उसकी मिल्कियत का भी सबूत मिलता है और उसे नीलाम करने की सूरत में ठीक प्राप्त होने की सम्भावना न हो तो पंचायत मिल्कियत को ध्यान में रखते हुए और आपसी बातचीत से उसकी कीमत निर्धारित करके बेच सकती है। पुराने आबादी भूमि विक्रय के नियम के अनुसार व्यक्ति का 40 साल से अधिक कब्जा होने पर 6.25  प्रतिशत नजराने से भूमि दी जा सकती है किन्तु हाईकोर्ट के फैसले द्वारा ऐसा करना अवैध  घोषित किया जा चुका है,अब  40 साल के कब्जे पर, कब्जे वाली भूमि की कीमत 6.25 प्रतिशत नजराना लेकर पट्टा दिये जाने का कोई  नियम नहीं रहा है और भूमि परस्पर बातचीत की जाकर उचित कीमत पर ही  दी जा सकती है।
(2) जहाँ पर पंचायत को यह सम्भावना दिखाई दे कि नीलाम से भूमि की कीमत किसी भी सूरत में ज्यादा नहीं आ सकती तो वह जिन कारणों में से इस नतीजे पर पहुंचे उन्हें लिखित  में करके परस्पर बातचीत से भूमि बेच सकती है। उदाहरणार्थ यदि किसी व्यक्ति को इनके मकान के पीछे 2 फीट चौड़ी जमीन जो  किसी दूसरे व्यक्ति के किसी भी प्रकार से काम नहीं आ सकती उस भूमि का नीलाम करने से किसी भी व्यक्ति को खरीदने की दिलचस्पी नहीं हो सकती। ऐसी हालत में ऐसी भूमि परस्पर बातचीत करके ठीक दाम पर जिसके हित में वह जमीन हो, उसे दी जा सकती है।
(3) अनुसूचित जाति के लिए या अनुसूचित जनजाति एवं पिछड़ी जाति के व्यक्तियों की तरक्की के लिए भूमि बिना नोटिस वाजिब रेट पर दी जा सकती है।
(4) 200 रु तक की कीमत की भूमि यदि किसी सार्वजनिक संस्था के लिए आवश्यकता हो तो पंचायत अपने प्रस्ताव द्वारा बिना नीलाम किए, दे सकती है।
टिप्पणी- उपरोक्त नियम में जब पंचायत नीलाम के अलावा अन्य तरीकों से भूमि को बेच सकती है ऐसी स्थितियों के बारे में उल्लेख किया गया है।
 

आवासीय भूखण्ड आवंटन

 
267. जमीन का निःशुल्क आवंटन (अलाटमेंट)– (1) राजस्थान टीनेन्सी एक्ट , 1955 की धारा 21 के अधीन निवास गृहों  के हेतु पंचायत सर्किल  के भीतर बिना कीमत के भूमि बाट के सम्बन्ध में राजस्थान टीनेन्सी (गवर्नमेंट) रूल्स, 1955 के नियम 8 से 17 तक के प्रावधान आवश्यक परिवर्तनों के साथ लागू होंगे।
[2,(क) पंचायत ग्राम्य आबादी में 150 वर्ग गज तक की आबादी भूमि निःशुल्क अनुसूचित जातियों / अनुसूचित जनजातियों, पिछड़े वर्गों के सदस्यों, ग्रामीण शिल्पियों और ऐसे भूमिहीन श्रमिकों को आवंटित कर सकेगी जिनकी मिल्कियत के कोई गृह स्थल / मकानात नहीं हो और बाढ़ पीड़ित व्यक्तियों को भी जिनके मकान बह गए हो  अथवा  बाढ़  के कारण जिनके गृह  स्थल भविष्य में निवास करने के लिये अनुपयुक्त हो गए हो।
(स) अन्य  स्थान / स्थानों पर बाढ़ पीड़ित व्यक्तियों  को गृह स्थल आवंटित करने के लिए ,सम्बन्धित पंचायत ऐसे व्यक्तियों से आवेदन-पत्र ऐसी प्रतिज्ञा सहित आमन्त्रित करेगी, कि अन्य  स्थान / स्थानों पर गृह स्थल आवंटित किए जाने की दशा में वह जाने वाले मकान गृह स्थल सामग्री सहित समस्त भारों से मुक्त सम्बन्धित पंचायत में निहित हो जाएंगे।
( 3 ) पंचायत प्रस्ताव द्वारा आबादी भूमि, जो उसके अधिकार क्षेत्र में है और जिसकी व्याख्या नियम 255 में की गई है, ग्राम सेवा सहकारी समितियों द्वारा सहकारी भण्डार के निर्माण हेतु 1500 वर्ग गज तक की आबादी भूमि बिना कीमत दे सकेंगी किन्तु शर्त यह है कि ऐसी सहकारी समिति जिसको भूमि देना प्रस्तावित किया जा रहा है, भण्डार का निर्माण नहीं किया जाएगा तो जो भूमि इस कार्य के निमित्त दी जा रही है, पंचायत को वापस हो जायेगी।
राजस्थान सहकारी समिति अधिनियम, 1965 के अन्तर्गत गठित  तथा रजिस्टर्ड हो । किन्तु शर्त यह भी है कि यदि सहकारी समिति उस समय में जो कि भण्डार के निर्माण के लिए सहकारी विभाग नियुक्त करे।
टिप्पणी- यदि कोई ऐसा व्यक्ति हो जो खातेदार हो तथा उसके पास रहने के लिये गांव में कोई मकान नहीं होवे तो उसे राजस्थान टीनेन्सी अधिनियम 1955 के अंतर्गत  बिना नीलाम नियमों के आधार पर जमीन दी जा सकती है। 
267 क – विस्थापित व्यक्तियों तथा भूतपूर्व सैनिकों को भूमि का आवंटन – (1) पंचायत अपने पास उपलब्ध कुल आबादी भूमि में से विस्थापित व्यक्तियों को जो 1971 के भारत पाक संघर्ष के बाद राजस्थान में आये हैं तथा उन भूतपूर्व सैनिकों को जिनकी स्वयं की कोई आबादी भूमि नहीं है, पूर्विकता केआधार पर ऐसी दरों पर जो उपनियम (2) में नियत है, भूखण्ड आवंटित करेगी।
(2) (क) – विस्थापित व्यक्तियों तथा भूतपूर्व सैनिकों से प्रभारित की जाने वाली प्रस्तावित दरों के बारे में पंचायत अपनी सिफारिश विकास अधिकारी की  मार्फत जिलाधीश को भेजेगी।
(ख) जिलाधीश या उसके द्वारा प्राधिकृत कोई भी अन्य अधिकारी, जो सब डिविजनल अधिकारी से नीचे के पद का नहीं होगा,आवश्यक जाँच करने और पंचायत की सिफारिश पर विचार करने के पश्चात् ऐसे आवन्टितियों से प्रभारित की जाने वाली दरें नियत करेगा और पंचायतों को लिखित में अपने विनिश्चय से सूचित करेगा।
(ग) किसी भी विशिष्ट पंचायत के लिए इस प्रकार नियत की गई दर 5 वर्ष तक लागू रहेगी और तत्पश्चात् नए सिरे से दरें नियत करने के लिए उसी प्रक्रिया का अनुसरण किया जायेगा जो उपनियम (2) में बताई गई है।
268. अनुमोदन के अधीन हस्तान्तरण और आवण्टन– नियम 266 के अधीन सब हस्तान्तरण और 267 के अन्तर्गत आवंटन पुष्टि के अधीन होंगे जैसा कि नियम 265 में दिया है।
269. आबादी भूमि की कुछ श्रेणियों का बेचान की शक्ति से निकाला जाना -(1) यदि किसी आबादी भूमि का स्वामित्व विवादग्रस्त है तो ऐसी पंचायत द्वारा नहीं बेची जायेगी और ऐसे विवाद होने की इतला पंचायत को मिलते ही पंचायत के बेचे जाने की कार्यवाही रोक दी जाएगी जब तक कि ऐसे विवाद पर अदालत द्वारा फैसला नहीं हो जाये ।
(2) कोई पंचायत निम्नलिखित  विनिर्दिष्ट सीमाओं के भीतर न तो कोई आबादी जमीन बेचेगी और न कोई पक्का निर्माण (स्ट्रक्चर) करने की अनुमति देगी –
(क) रेल्वे लाइन से सौ फीट।
(स) राष्ट्रीय राज मार्ग की मध्यवर्ती  रेखा से एक सौ पचास फीट
(ग) राज्य के राजमार्ग और मुख्य जिला सड़कों की मध्यवर्ती  रेखा से पचहत्तर फीट  तथा
(घ) अन्य जिला सड़कों एवं ग्राम सड़कों की मध्यवर्ती  रेखा से पचास फीट।
(3) पंचायत सर्किल  में कृषि भूमि तथा बंजर भूमि  (जो आबादी भूमि न हो)  का बेचान या बांट राजस्थान टिनेन्सी एक्ट, 1955 या राजस्थान लैण्ड रेवेन्यू एक्ट 1956 के अधीन बने हुए नियमों द्वारा व्यवस्थित रहेगा, की जायेगी ।
(4) राज्य सरकार द्वारा अपेक्षित कोई आबादी भूमि, पंचायत द्वारा बिना दाम दी जाएगी ।
(5) (क) यदि राज्य सरकार लोकहित में ऐसा करना समीचीन समझे तो वह राजपत्र में अधिसूचना द्वारा सभी या किसी भी पंचायत में आबादी भूमि बेचने की शक्तियां वापिस जिलाधीश को प्रदान कर सकेगी।
(ख) जिलाधीश इस नियम के अधीन शक्तियों का प्रत्यायोजन किसी ऐसे अधिकारी, को कर सकेगा जो निरीक्षक, भू-अभिलेख अथवा  विकास अधिकारी को रेंक से कम न हो। उसके द्वारा भिन्न-भिन्न अधिकारियों को विभिन्न पंचायत सर्किल  की बाबत भी शक्तियां प्रत्यायोजित की जा सकेंगी।”
(ग) राजस्थान राजपत्र में  अधिसूचना द्वारा खण्ड (क) के अधीन प्रदत्त आबादी  भूमि के बेचने की शक्तियों को समस्त या किसी भी जिलाधीश से वापस  ले सकेंगी।

आबादी भूमि के नियम राजस्थान 

अधिसूचना  
संख्या एक. 4/ एल.जे/पंचा./ए. आर. /5/74/157 दिनाङ्क 7 दिसम्बर 74 

राजस्थान पंचायत एवं न्याय पंचायत (सामान्य) नियम, 1981 के नियम 269 के उपनियम (5) द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए राज्य सरकार पंचायतों में निहित आबादी  भूमि  बेचने की समस्त शक्तियों को एतद्द्वारा सुरन्त प्रभाव से वापस लेती है तया ऐसी शक्तियां सम्बन्धित जिले के कलक्टरों को प्रदत्त करती है।

अधिसूचना 
संख्या एफ. 4/ एल. जे. पी. टी.एस./ ए.आर./5/70/309 दिनांक 28 मार्च, 1976 
राजस्थान पंचायत (सामान्य) नियम, 1961 के नियम 269 के उपखण्ड (5) द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए राज्य सरकार सम्बन्धित जिलों के जिलाधीशों में निहित आबादी भूमियों के बेचने की समस्त शक्तियाँ, एतद्द्वारा, तुरन्त प्रभाव से वापस लेती है।
अधिसूचना        
संख्या एफ. 4/ एल. जे../ ए.आर./5/74 /416 दिनांक 72 अप्रेल , 76
 
राजस्थान (सामान्य) नियम, 1961 के नियम 269 के उपनियम (5) द्वारा प्रदत्त शक्तिों का प्रयोग करते हुए, राज्य सरकार इस विभाग की अधिसूचना संख्या एफ/4 एल. जे पंचायत/ए. आर. /5/74 / 157 दिनांक 7-12-74 को दिनांक 29-12-76 से एतदद्वारा विखण्डित करती है।
टिप्पणी- अगर किसी भूमि को बेचने  के बारे में उसका मालिक कौन है इसका विवाद पैदा  हो जावे तो उसका फैसला करना पंचायत के अधिकार के बाहर है तथा ऐसी स्थिति में पंचायत द्वारा बिक्री की  कार्यवाही नहीं की जाये। अदालत में जिसके भी पक्ष में फैसला  हो उसी के अनुसार ही बिक्री की पंचायत को कार्यवाही करनी चाहिये । 
 
270.अपील  – (क) नियम 265 के तहत आबादी भूमि के बेचने या नियम 266 के अधीन आबादी के अन्तरण या  नियम 268 के साथ पठित नियम 267 के  अधीन भूमियों केआवंटन की पुष्टि करने हेतु पंचायत को मूल आज्ञा के विरुद्ध अपील पंचायत समिति को होगी।
(ख) पंचायत समिति  की ऐसी आज्ञा के विरूद्ध अपील जिलाधीश को होगी,
(ग) जिलाधीश की ऐसी आज्ञा के विरुद्ध अपील अपने क्षेत्राधिकार के राजस्व एपीलेट अधिकारी को की जायेगी और जिस आज्ञा के विरुद्ध अपील की गई हो, उसकी तारीख से 30 दिन के भीतर (उसकी प्रति मिलने के समय को छोड़कर) की जायेगी।
271. बेचान का विलेख -(1) नियम 263 में बनाये गए, प्रावधानानुसार भुगतान कर दिए जाने, नियम 265 दिए गए बेचान  की पुष्टि कर दिए जाने और  नियम 270 के अधीन अपील , यदि कोई हो, का निपटारा कर दिए जाने, यदि कोई अपील नहीं की गई है तो उसके लिए निर्धारित समय ख़त्म  हो जाने के बाद अनुसूची 4 में दिए गए प्रपत्र के अनुरूप एकी  विलेख, जो नीलाम की गई आबादी भूमि का विक्रय प्रमाणित कर रहा हो, नियम 278 में दी गई रोति से पंचायत की ओर से सम्पादन किया जाएगा।
(2) ऐसे सब विलेखों का रेकार्ड पंचायत द्वारा पट्टा बही में रखा जायेगा जो कि पंचायत द्वारा अनुसूची 5 में दिये गए प्रपत्र में रखी जाएगी।
272. निगरानी – (1) राज्य सरकार का कोई अधिकारी या प्राधिकारी जिसको कि राज्य सरकार को धारा 27 ए. की शक्तियों पारा 70 के अधीन विज्ञप्ति  द्वारा प्रायोजित की गई हो, स्वतः ही अथवा उस सम्बन्ध में उसको दी गई प्रार्थना पत्र पर, नियम 265 या नियम 266 या नियम 267 या नियम 268 के अधीन पंचायत या पंचायत समिति का जिलाधीश  या राजस्व अपीलेट अधिकारी द्वारा दी गई आज्ञा की शुद्धता ,वैधता या योग्यता के संबंध  में अपने को सन्तुष्ट करने के लिए, या नियम 270 के अधीन अपील की जाने पर, सम्बन्धित रेकार्ड की जांच होने तक वह आज्ञा  स्थगित रखी जायेगी।
लेकिन जब नियम 265 या नियम 266 या नियम 267 या नियम 268 के अंतर्गत दी  गई आज्ञा  के विरुद्ध नियम 270 के अधीन अपील  की जा चुकी है और वह अपील  विचाराधीन है तो इस उप धारा के द्वारा दी गई शक्ति का प्रयोग नहीं किया जायेगा।
(3) रिकार्ड की जाँच करने के बाद राज्य सरकार या ऐसा अधिकारी या प्राधिकारी जैसी भी स्थिति हो, पंचायत समिति, जिलाधीश या राजस्व अपीलेट अधिकारी की आज्ञा को उलट, परिवर्तित या रूपान्तरित कर सकेगी।
273, कतिपय आबादी भूमि के बेचान से हुई आय का उपयोग -जहां कोई आबादी भूमि जो पहले राज्य सरकार के राजस्व विभाग के कब्जे में थी और राज्य सरकार की आज्ञा संख्या  एफ 1 (डी) (36) एल. एस. जी / 45 दिनाक 18 फरवरी, 1955 या किसी अधिनियम या नियम  के किसी प्रावधान के अधीन पंचायत को दे दी गई हो, बेची जाय तो उससे मिली आय सार्वजनिक निमाण कार्यों के काम में जाएगी, या सड़कों, बांधों और कुओं  का सुधार, स्थायी सामुदायिक परिसम्पत्तियों के सुधार या निर्माण के काम में ली जाएगी परन्तु उसका प्रयोग दिन- प्रतिदिन के खर्चों के लिए नहीं किया जायेगा और ऐसी आय  में से किए गये खर्चे का हिसाब भी पंचायत द्वारा रखा जायेगा।

अन्य अचल सम्पत्तियों का अन्यक्रामण 

274, पंचायत में निहित अचल सम्पत्ति व उन बँधेजों  का उल्लेख करते हुए जिनकेअधीन न ऐसी जायदाद पंचायत में निहित की गई थी, हस्तान्तरित नही की जायेगी न किसी प्रभार के अधीन रखी जायेगी। 

275. जिलाधीश की स्वीकृति के बिना कोई हस्तान्तरण नहीं होगा– पंचायत, जिलाधीश की पूर्व स्वीकृति के बिना उसमें निहित किसी भी अचल सम्पत्ति को पट्टे (Leuse) पर देने अलावा हस्तान्तरण नहीं करेगी अथवा  उस पर कोई भार नही लगायेगी यदि ऐसी सम्पत्ति का मूल्य 1000 रुपये से अधिक हो ।

276 पंचायत की सम्पत्ति को किराये पर देना – (1) पंचायत उसमें निहित किसी अचल जायदाद को किसी अवधि के लिए जो तीन वर्ष से अधिक न हो, किराये पर दे सकती है।
(2) ऐसे किसी जायदाद के किरायेदार को, क्षेत्राधिकार रखने वाली पंचायत समिति की बिना इजाजत पत्र या इंटों के कोई स्थाई, भवन या ढांचे बनाने की अनुमति नहीं दी जायेगी ।

277. नियम 274 से 276 आबादी भूमि के हस्तान्तरण के लिए लागू नहीं होंगे – नियम 274 से 276 में निहित कोई बात आबादी भूमि के बेचान या आवण्टनों के लिए लागू नहीं होगी।

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