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Leave Rules in Hindi राजस्थान अवकाश नियम

Leave Rules in Hindi राजस्थान अवकाश नियम

आकस्मिक अवकाश

*स्थायी राज्य कर्मचारी एक वर्ष में 15 आकस्मिक अवकाश के हकदार हैं। एक बार में अधिकतम 10 आकस्मिक अवकाश ले सकते हैं।(आदेश दिनांक 26.06.1980)
*राज्य कर्मचारी को आधे दिन का आकस्मिक अवकाश भी दिया जा सकता है। पूर्वान्ह के लिए ये 2 बजे तक जबकि अपरान्ह के लिए 1.30 बजे से प्रारंभ होगा।(आदेश दिनांक 02.07.1974)
*तीन दिन तक लगातार 10 मिनट की देरी से आने वाले कर्मचारी का एक आकस्मिक अवकाश काटा जाएगा।
*अवकाश कालीन विभाग जैसे राजकीय महाविद्यालय एवं शिल्प (पॉलीटेक्निक) एवं अन्य शिक्षण संस्थानों के मामले में वर्ष 01 जुलाई से प्रारम्भ होकर 30 जून को समाप्त माना जायेगा। शिक्षकों के लिए आकस्मिक अवकाश की गणना 1 जुलाई से 30 जून तक और मंत्रालयिक कर्मचारियों के लिए 1 जनवरी से 31 दिसंबर तक की जाती है।(शिविरा 15.04.1996)
*पुलिस आरक्षकों, प्रधान आरक्षकों, सहायक उपनिरीक्षकों एवं उपनिरीक्षकों को वर्ष में 25 दिन के आकस्मिक अवकाश की पात्रता होगी। अधिकतम की सीमा 10 ही होगी।(आदेश दिनांक 20.04.1979)
*गढ़वाली, नेपाली, गोरखे जो आरएससी में भारतीय सीमाओं पदस्थापित हैं उन्हें 5 दिन का विशेष रियायती अवकाश दिया जाएगा लेकिन एक समय में अधिकतम सीमा 15 ही होगी। (आदेश दिनांक 21.05.1964)
*आरएसी के जवानों को आकस्मिक अवकाश उपार्जित अवकाश से पहले जोड़ने की अनुमति दी जा सकती है लेकिन अधिकतम सीमा 15 ही होगी। (आदेश दिनांक 11.06.1984)
*राज्य कर्मचारी को बिना अवकाश कालीन  विभाग से अवकाश वाले विभाग में स्थानान्तरण होने पर आकस्मिक अवकाश देय होगा- (i) 3 माह या उससे कम की सेवा पर – 3 दिन (ii) 3 माह से अधिक की सेवा अवधि पर – 7 दिन।(आदेश दिनांक 14.11.1970)
*राजकीय सेवा में नये प्रवेश करने वालों को आकस्मिक अवकाश निम्नानुसार देय होगा- (i) 3 माह या 3 माह से कम सेवा अवधि – 5 दिन (ii) 3 माह से अधिक परन्तु 6 माह से कम सेवा काल – 10 दिन (iii) ) 6 माह से अधिक सेवा – 15 (आदेश दिनांक 11.01.1956)
*सेवानिवृत्ति के वर्ष में, आकस्मिक अवकाश 31.12.2001के बाद निम्नानुसार देय है (i) 3 महीने या 3 महीने से कम सेवा – 5 दिन (ii) 3 महीने से अधिक लेकिन 6 महीने से कम सेवा – 10 दिन (iii) ) सेवा अवधि 6 माह से अधिक – 15(आदेश दिनांक 20.02.2002)
*किसी भी रविवार, राजकीय अवकाश या साप्ताहिक अवकाश को आकस्मिक अवकाश की किसी भी अवधि के ठीक पहले या बाद में आकस्मिक अवकाश का हिस्सा नहीं माना जाएगा।(आदेश दिनांक 01.01.1971)
*अग्निशमन सेवा के अधिकारी 25 दिनों के आकस्मिक अवकाश के हकदार हैं।(आदेश दिनांक 26.06.1980)
*अंशकालिक कर्मचारी भी पूर्णकालिक कर्मचारियों की तरह आकस्मिक अवकाश के हकदार हैं।(आदेश दिनांक 24.11.1964)
* क्षतिपूर्ति अवकाश महीने के दूसरे शनिवार या अन्य राजपत्रित अवकाशों पर मंत्रालयिक कर्मचारी को देय होता है, जब उसे प्रभारी राजपत्रित अधिकारी द्वारा अनिवार्य रूप से लिखित में कार्यालय में उपस्थित होने का आदेश दिया गया हो । उक्त आदेश केवल लिपिक/ चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों पर लागू होगा, यह आदेश निजी सहायक वर्ग के अधिकारियों पर लागू नहीं होगा। जैसे स्टेनोग्राफर, कोर्ट रीडर आदि। उक्त निर्देश अथवा अन्य अवकाशों में भाग लेने हेतु कोई वाहन व्यय अथवा अतिरिक्त वेतन स्वीकार नहीं किया जायेगा।
*यदि राजपत्रित अवकाश के दिन संग्रहालय खोला जाता है तो क्षतिपूर्ति अवकाश देय होता है। आदेश दिनांक 4 मई, 1979 के अनुसार यदि संग्रहालय अवकाश के दिन खुला रहता है तो संग्रहालयों में कार्यरत कर्मचारियों को भी क्षतिपूर्ति अवकाश दिया जायेगा।
*राजपत्रित अवकाश के दिन पुस्तकालय खोले जाने पर क्षतिपूर्ति अवकाश देय होता है। शिक्षा विभाग के आदेश क्रमांक क्र. 11(14) शिक्षा 2/73 दिनांक 16 जून 1977 के अनुसार सभी विद्यालयों के पुस्तकालयाध्यक्षों, अराजपत्रित कर्मचारियों, सार्वजनिक पुस्तकालयों में कार्यरत मंत्रालयिक  एवं चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को द्वितीय शनिवार के बदले एक दिन का क्षतिपूर्ति अवकाश दिया जा सकता है।
*चौकीदार के लिए क्षतिपूर्ति अवकाश – चौकीदार 15 दिन में 24 घंटे के विश्राम के हकदार हैं, यदि उन्हें इस दिन भी बुलाया जाता है तो उसके एवज कार्य पर लगे चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी को क्षतिपूर्ति अवकाश दिया जाएगा।
*राज्य सरकार के आदेश दिनांक 03.08.1977 के अनुसार दो कलैण्डर वर्ष का आकस्मिक अवकाश एक साथ लिया जा सकता है परन्तु अवकाश की सीमा 10 दिन से अधिक नहीं होगी। (आदेश दिनांक 2.4.1991)
*निलंबित कर्मचारी को किसी प्रकार का अवकाश न दिया जाए, मांगे जाने पर मुख्यालय छोड़ने की अनुमति दी जाए।
*विभागाध्यक्षों को आकस्मिक अवकाश उच्च अधिकारी अथवा संबंधित प्रशासनिक विभाग द्वारा स्वीकृत किया जायेगा।
*परिवीक्षाधीन कर्मचारी-नवनियुक्त कर्मचारी को कार्यभार ग्रहण करने की तिथि से पूरे एक वर्ष के लिए केवल 12 आकस्मिक अवकाश दिये जायेंगे। अधूरे कैलेंडर वर्ष के मामले में, वह आनुपातिक आधार पर सेवा के प्रत्येक पूर्ण माह के लिए एक आकस्मिक अवकाश के लाभ का हकदार होगा।
*परिवीक्षा अवधि की समाप्ति पर स्थायी होने पर नियमित राज्य कर्मचारियों को स्थायीकरण की तिथि से अवकाश की सुविधा प्राप्त होगी। आर.एस.आर.1951 के नियम 122 (ए) के अनुसार, वह नियमित सरकारी सेवा में परिवीक्षा अवधि के दौरान किसी अन्य प्रकार का अवकाश अर्जित नहीं करेगा।
*आकस्मिक अवकाश मान्य नहीं है और किसी नियम के अधीन नहीं है, लेकिन आकस्मिक अवकाश इस प्रकार नहीं दिया जाना चाहिए – (i) वेतन और भत्तों की तिथि की गणना (ii) कार्यालय का प्रभार (iii) अवकाश का प्रारंभ और समाप्ति (iv) ) छुट्टी के बाद काम पर लौटना या छुट्टी को इस हद तक बढ़ाना कि उसे नियमानुसार स्वीकार न किया जा सके।
*आकस्मिक अवकाश के आवेदन में अवकाश के दौरान ठहरने का पता अंकित होना चाहिए, राजपत्रित अधिकारी के लिए भी यह नियम समान रहेगा।
*छुट्टी स्वीकृत होने से पहले मुख्यालय नहीं छोड़ा जाना चाहिए। छुट्टी के आवेदन पत्र में छुट्टी का पता और मोबाइल नंबर अवश्य लिखा होना चाहिए। अवकाश के पते में परिवर्तन की सूचना कार्यालय प्रमुख को दी जानी चाहिए।
उस कर्मचारी को छुट्टी नहीं दी जानी चाहिए जिसे असामान्य व्यवहार/ सामान्य अक्षमता के आधार पर समाप्त किया जाना है।
*राज्य कर्मचारी बिना अनुमति के मुख्यालय या जिला नहीं छोड़ सकते।

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विशेष आकस्मिक अवकाश 

*नसबंदी के लिए पुरुषों को 6 दिन और महिलाओं को 14 दिन का विशेष अवकाश दिया जाता है। यह अवकाश सेवा पुस्तिका में लाल स्याही से लिखा जाएगा।
*उस पुरुष कर्मचारी को 7 दिन का विशिष्ट अवकाश देय होगा जिसकी पत्नी नसबंदी कराती है। नसबंदी असफल होने की स्थिति में डॉक्टर की राय के आधार पर दोबारा वेसेक्टोमी ऑपरेशन किया जाता है तो 6 दिन का अवकाश देय होगा। उक्त आपरेशन बिगड़ जाने पर 14 दिन एवम् आपरेशन के कारण हुई जटिलता के लिए पुरुष को 6 दिन और महिला को 14 दिन का अवकाश देय होगा।
*खेल कूद प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए एक अवसर पर 10 दिन तथा एक वर्ष में 30 दिन का अवकाश देय होगा।
 *निरोधावकाश – परिवार में संक्रमण की स्थिति में विशेष चिकित्सा अवकाश के आधार पर 21 से 30 दिन का अवकाश देय है। स्वाइन फ्लू की स्थिति में 7 दिन का विशेष आकस्मिक अवकाश देय है।
*चिकित्सा, खनिज एवम् भूगर्भ विभाग के कार्मिकों को एक सत्र में 15 दिन बाहर व 6 दिन तक का विशेष अवकाश दिया जा सकेगा।
*शिक्षकों को एक सत्र में 4 एवम् एक बार में अधिकतम 2 दिन का विशेष अवकाश देय होगा।
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अवकाश की सामान्य शर्तें 

(नियम 57 से 86)

नियम 57 :- कर्तव्य पालन करने पर ही अवकाश अर्जित होता है :-  इस नियम के अन्तर्गत किसी भी कर्मचारी को प्रत्येक विभाग में उसकी ड्यूटी के अनुसार अवकाश देय है।

नियम 57 (ए):- पिछले विभागों में की गई सेवा जहां राजस्थान सेवा नियम लागू नहीं थे , राजस्थान सेवा नियम  के तहत अवकाश के संबंध में पिछली सेवा का लाभ लागू नहीं   होगा।

नियम 58:- क्षतिपूर्ति/ निःशक्तता पेंशन के मामले में अवकाश अवधि की गणना:- इस नियम के अन्तर्गत यदि कर्मचारी अपनी सेवा के दौरान किसी अनुशासनिक कार्यवाही के दौरान अयोग्यता अर्जित करता है तो उसकी पिछली सेवा को अवकाश अवधि माना जायेगा।

नियम 59:- अवकाश हक़  नहीं है :- कर्मचारी को लिए गए अवकाश की प्रकृति बदलने की सुविधा – कर्मचारी द्वारा 90 दिनों के भीतर ऐसा आवेदन दिया जा सकता है, यदि अवकाश की प्रकृति में परिवर्तन के कारण वेतन वसूली योग्य हो जाता है, तो वसूली की जायेगी और यदि वेतन बकाया हो जाता है तो उसका भुगतान कर दिया जाएगा।आवेदित अवकाश की प्रकृति केवल अवकाश चाहने वाले द्वारा ही बदली जा सकती है।

नियम 60:- जिस दिन से कर्मचारी अपने पद का कार्य किसी अन्य को सौंपता है उसी दिन से अवकाश प्रारंभ होता है। कर्मचारी के ड्यूटी ज्वाइन करने के 01 दिन पहले अवकाश समाप्त हो जाता है।

नियम 60ए:- अवकाश के स्थान का पता:- इस नियम के तहत अवकाश के लिए आवेदन करते समय, कर्मचारी आवेदन पत्र पर उस पते का विवरण देगा जहां वह अवकाश की अवधि के दौरान रहता है।

नियम 61:अवकाश प्रारंभ से पूर्व  / समाप्ति पर सार्वजनिक  अवकाश :-इस नियम के तहत सार्वजनिक अवकाश के पहले और बाद के सार्वजनिक अवकाशों का उपयोग केवल वही कर्मचारी कर सकते हैं जो अपना कार्यभार किसी अन्य कर्मचारी को हस्तांतरित करते हैं। विकट परिस्थितियों में हस्तांतरित न करने वाले कर्मचारियों को भी इससे छूट दी गई है।

नियम 62:-प्रभार की धनराशि का उत्तरदायी  :- प्रभार की धनराशि का उत्तरदायी होने पर सक्षम अधिकारी नियम 61ए की छूट दे सकता है।

नियम 63:- सार्वजनिक अवकाश को अवकाश के साथ जोड़ने का प्रावधान:- इस नियम के तहत यदि अवकाश पर जाने से पूर्व सार्वजनिक अवकाश होता है तो इससे कर्मचारी के वेतन एवं अवकाश पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। यदि अवकाश से वापस आते समय सार्वजनिक अवकाश हो और कर्मचारी ने कार्यभार हस्तांतरित नहीं किया हो तो उस सार्वजनिक अवकाश से कर्मचारी के वेतन एवं अवकाश वेतन पर प्रभाव पड़ेगा। 15.09.1998 से एक कर्मचारी एक वर्ष में दो वैकल्पिक अवकाश (आरएच) ले सकता है।

नियम 64:- अवकाश पर रोजगार स्वीकार करना:- अवकाश अवधि में व्यापार करना  निषिद्ध है।   अवकाश के दौरान कर्मचारी कोई भी ऐसा कार्य नहीं कर सकता है, जिसके तहत उसे आर्थिक लाभ हो और यदि कर्मचारी अवकाश के दौरान ऐसा करता है तो उसके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। अपवाद :- यदि कोई कर्मचारी साहित्यिक कार्य कर रहा है तो उससे होने वाली आय इस नियम के अन्तर्गत मानी जायेगी। पेशे से संबंधित मामलों में, कर्मचारी को एक समय सीमा के लिए काम पर रखने की अनुमति है। नियम 64 के प्रावधान विदेश सेवा पर लागू नहीं होते।

नियम 65:- सेवानिवृत्ति की तिथि के बाद अवकाश की अस्वीकृति:- इस नियम के तहत यदि कोई कर्मचारी सेवानिवृत्ति की तिथि से पहले अवकाश पर चला जाता है और इस अवकाश के दौरान सरकार द्वारा उसका कार्यकाल बढ़ा दिया जाता है, तो उस कर्मचारी को उसी दिन से ड्यूटी पर माना जाएगा  जिस दिन कार्यकाल के विस्तार के आदेश जारी किए जाते हैं और कर्मचारी की शेष अवकाश को आगे की सेवा के लिए समायोजित किया जाएगा।

नियम 66:- कर्मचारी को अवकाश से वापस बुलाना :- इस नियम के अन्तर्गत यदि कर्मचारी को अवकाश से वापस बुलाया जाता है और वापस बुलाया  में यदि आना अनिवार्य शर्त है तो कर्मचारी पत्र प्राप्त होते ही ड्यूटी पर उपस्थित माना जायेगा और लौटते समय यात्रा और सारी सुविधाएं सरकारी खाते से की जाएंगी। नोट:- लेकिन कर्मचारी को अवकाश वेतन इसी अवधि में ही मिलता है। यदि कर्मचारी अपने विवेक से कार्य पर आता है तो उसे किसी भी प्रकार की यात्रा एवं सुविधाओं का भुगतान नहीं किया जायेगा।

नियम 67:- अवकाश आवेदन का प्रारूप:- जिस सक्षम अधिकारी के पास अवकाश स्वीकृति, कम करने या बढ़ाने का अधिकार है,उसी के पास आवेदन प्रस्तुत किया जाना चाहिए। विद्यालय में कार्यरत कार्मिक अपने अवकाश का आवेदन संस्था प्रधान के समक्ष प्रस्तुत करेंगे। संस्था प्रधान अपना आवेदन उच्च अधिकार (जिला शिक्षा अधिकारी) के समक्ष प्रस्तुत करेंगे।

नियम 68:- विदेश सेवा के अवकाश नियमों की जानकारी:- विदेश सेवा में स्थानान्तरित किसी भी राजकीय कर्मचारी को विदेश सेवा में जाने से पूर्व उन समस्त नियमों की जानकारी प्राप्त कर लेनी चाहिए जिनके द्वारा विदेश सेवा के दौरान उसकी अवकाश आदि नियमित किये जायेंगे।

नियम 69:-  विदेश सेवा में यदि वह 120 दिन तक के उपार्जित अवकाश के अलावा अन्य अवकाश लेना चाहता है तो उसे अपना अवकाश आवेदन पत्र महालेखाकार के कार्यालय में भिजवाना होगा एवं आवेदन पत्र की जांच के बाद ही उसके विदेशी नियोक्ता द्वारा अवकाश दिया जायेगा।

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चिकित्सा अवकाश

*किसी भी चिकित्सा अधिकारी द्वारा बाह्य रोगी को 15 दिनों की अवधि का  चिकित्सा प्रमाण पत्र  दिया जा सकता है।
*वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी 15 से 30 दिन का चिकित्सा प्रमाण पत्र दे सकता है, इसमें मूल अवधि भी शामिल होगी।
*30 से 45 दिनों के लिए वरिष्ठ विशेषज्ञ एवं पीएमओ स्तर के चिकित्सा अधिकारी चिकित्सा प्रमाण पत्र दे सकते हैं। इसमें मूल अवधि भी शामिल होगी।
*मेडिकल बोर्ड द्वारा 45 दिनों से अधिक दिन का चिकित्सा प्रमाण पत्र दिया जा सकता है।
*निजी चिकित्सालय के चिकित्सक भी चिकित्सा प्रमाण पत्र देने हेतु सक्षम हैं।(आदेश दिनांक 07.09.2010)
*अनुमोदित निजी चिकित्सालय के चिकित्सक द्वारा निम्न प्रकार चिकित्सा प्रमाण पत्र जारी किया जा सकता है-
1.चिकित्सा परामर्शदाता -15 दिन
2.वरिष्ठ चिकित्सा परामर्शदाता – 30 दिन
3.वरिष्ठ विषय विशेषज्ञ – 45 दिन
4.मेडिकल बोर्ड – 45 दिन से अधिक (आदेश दिनांक 18.05.2012)
*आयुर्वेद चिकित्सक बहिरंग रोगी को 15 दिनों के लिए और बाद में 7-7 दिनों के लिए, कुल 29 दिनों तक का चिकित्सा प्रमाण पत्र दे सकता है।
*29 से 45 दिनों के लिए ‘ए’ श्रेणी के चिकित्सालय के वरिष्ठ विशेषज्ञ/जिला आयुर्वेद अधिकारी चिकित्सा प्रमाण पत्र प्रदान कर सकते हैं।
*45 दिन से अधिक मेडिकल बोर्ड, आयुर्वेद द्वारा चिकित्सा प्रमाण पत्र दिया जा सकता है।
*जहां आवश्यक हो महिला चिकित्सक की राय आवश्यक सदस्य के रूप में ली जाए।
*30 दिन से अधिक आयुर्वेद के अंतरंग रोगी के लिए प्रभारी के प्रतिहस्ताक्षर होने चाहिए।
*चिकित्सा अवकाश लेने के बाद सेवा में उपस्थिति के समय स्वास्थ्य प्रमाण पत्र दिया जाना चाहिए, जिसके बिना किसी को भी ड्यूटी में शामिल होने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।
*कार्मिक द्वारा बार-बार चिकित्सा अवकाश लेने के मामले में कि वह अनाधिकृत रूप से चिकित्सा अवकाश ले रहा है, चिकित्सा बोर्ड द्वारा जांच की जा सकती है। यह तुरंत किया जाना चाहिए।
*एक राज्य कर्मचारी को कार्यभार ग्रहण करने की तिथि से एक वर्ष में 20 अर्धवेतन अवकाश दिया जायेगा।
*राज्य के बाहर का का मामला होने पर संबंधित चिकित्सालय के चिकित्सक का प्रमाण पत्र मान्य होगा।
*चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के मामले में स्वीकृति अधिकारी चिकित्सा प्रमाण पत्र अथवा वृद्धि के आवेदन को स्वीकार कर सकता है।
*नियम 70:- राजपत्रित अधिकारियों को चिकित्सा प्रमाण पत्र का प्रारूप – इस नियम में राजपत्रित अधिकारियों को चिकित्सा अवकाश हेतु आवेदन का प्रारूप है।(चिकित्सा प्रमाण पत्र का प्रारूप डाउनलोड करें) 
*नियम 71-72:- लोप (05.12.1980 से प्रभावी)
*नियम 73:- संदिग्ध प्रकरणों में 14 दिन की चिकित्सा अभिरक्षा:- दिग्ध परिस्थितियों में कर्मचारी को समिति 14 दिन के लिए चिकित्सीय परीक्षण में रख सकती है।
*नियम 74:-  राजपत्रित अधिकारियों को चिकित्सा प्रमाण पत्र अवकाश:
1. राजपत्रित अधिकारियों से चिकित्सा अवकाश या चिकित्सा अवकाश वृद्धि स्वीकृति हेतु प्राधिकृत चिकित्सा अधिकारी का प्रमाण पत्र लिया जाना चाहिए ।(दिनांक 15.12.1992)
 2. राजपत्रित अधिकारी को 60 दिनों तक का अवकाश स्वीकृत किया जा सकता है। 60 दिनों से अधिक के लिए मुख्य चिकित्सा एवम् स्वास्थ्य अधिकारी या उच्च स्तर के चिकित्सा अधिकारी के प्रमाण पत्र के आधार पर अवकाश स्वीकृत किया जा सकता है ।
3. चिकित्सालय में भर्ती होकर इलाज कराने की स्थिति में प्रभारी चिकित्सा अधिकारी जो मुख्य चिकित्सा एवम्इ स्वास्थ्य अधिकारी से नीचे का नहीं हो, के चिकित्सा प्रमाण पत्र के आधार पर अवकाश स्वीकृत किया जा सकता है।
4. 16.10.1989 के बाद होम्योपैथिक चिकित्सकों द्वारा राजपत्रित अधिकारियों को 15 दिन का अवकाश भी स्वीकृत किया जा सकता है। कुछ निजी अस्पतालों को राज्य सिविल सेवा चिकित्सा परिचर्या नियम, 2008 के तहत राजपत्रित अधिकारियों के इलाज के लिए भी अधिकृत किया गया है।
5. 01.01.2004 के बाद आम तौर पर निजी अस्पतालों को भी आपात स्थिति में राजपत्रित अधिकारियों के  इलाज के लिए अधिकृत किया गया है।
6. भर्ती के मामले में, मुख्य चिकित्सा अधिकारी/यूनिट प्रभारी द्वारा प्रतिहस्ताक्षरित होना चाहिए।
*नियम 75:- मेडिकल सर्टिफिकेट अवकाश  का अधिकार नहीं देता है।
*नियम 76:- अराजपत्रित अधिकारियों को चिकित्सा प्रमाण-पत्र पर अवकाश :- अराजपत्रित अधिकारी  कर्मचारी जहाँ बीमार हुआ हो और यदि वहां कोई अधिकृत राजकीय चिकित्सा अधिकारी नहीं है वहां भारतीय चिकित्सा परिषद में पंजीकृत चिकित्सक के प्रमाण पत्र के आधार पर अवकाश लिया जा सकता है। . (चिकित्सा प्रमाण पत्र का प्रारूप डाउनलोड करें) 
*नियम 77:- चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी को चिकित्सा प्रमाण पत्र पर अवकाश:- इस नियम के अन्तर्गत चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी को किसी भी स्तर का चिकित्सा प्रमाण पत्र प्रस्तुत करने पर अवकाश देय है।
*नियम 78:- अयोग्य होने पर अवकाश नामंजूर करना:- इस नियम के तहत अगर डॉक्टर को लगता है कि जिस कर्मचारी को अवकाश मंजूर किया जा रहा  है वह इसके लिए अयोग्य है, तो वह उसकी अवकाश की सिफारिश नहीं करता है।
*नियम 79:- इस नियम के तहत डॉक्टर कर्मचारी के आवेदन पत्र पर स्पष्ट रूप से कहता है कि उसके द्वारा छुट्टी पर की गई सिफारिश कर्मचारी का अधिकार नहीं है।
*नियम 80:- अवकाश के दावों के निपटारे में प्राथमिकता:
1. अवकाश के दावों के निस्तारण में जनहित को ध्यान में रखा जाता है।
2. कर्मचारी के अवकाश खाते की प्रवृत्ति को ध्यान में रखते हुए अवकाश स्वीकृत किया जाता है।
3. अपने अर्जित अवकाश का लेखा-जोखा रखना कर्मचारी की व्यक्तिगत जिम्मेदारी है।
4. कर्मचारियों की आकस्मिक परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए सक्षम प्राधिकारी के पास अपने विवेकानुसार अवकाश स्वीकृत करने का अधिकार सुरक्षित है।
5. कर्मचारी द्वारा अवकाश दिये जाने के कारण की समीक्षा विभागाध्यक्ष अपने स्तर पर कर सकता है।
*नियम 81:-  चिकित्सकीय रूप से अयोग्य कर्मचारी के अवकाश की स्वीकृति प्रथम दृष्टया:- (अवकाश के खाते में अवकाश होने पर) इस नियम के अन्तर्गत यदि चिकित्सक को लगता है कि अवकाश पर जाने वाला कर्मचारी चिकित्सकीय रूप से अयोग्य है, तो वह अपने अवकाश लेखा की समीक्षा के आधार पर अधिकतम 12 माह का अवकाश स्वीकृत कर सकता है तथा 06 माह पश्चात उस कर्मचारी का पुनः चिकित्सा परीक्षण कराकर आगे के अवकाश की अनुमति जारी कर सकता है।(दिनांक 28.09.1957 से)

नियम 82:- बर्खास्तगी/ निलंबन की स्थिति में अवकाश की अस्वीकृति :- सक्षम प्राधिकारी का दायित्व है कि कर्मचारी के निलंबन की अवधि में किसी प्रकार का अवकाश स्वीकृत न किया जाये ।

नियम 83:- स्वस्थता प्रमाण पत्र :-  इस नियम के अन्तर्गत चिकित्सा अवकाश पर गये कर्मचारी के वापस आने पर स्वस्थता प्रमाण पत्र प्राप्त करना सक्षम प्राधिकारी का दायित्व है। (दिनांक 05.12.1980 से). (स्वस्थ होने का प्रमाण पत्र का प्रारूप डाउनलोड करें) 

नियम 84:- विलोपित

नियम 85:-  नियत तिथि के पूर्व अवकाश से वापस आना:- इस नियम के अन्तर्गत कर्मचारी अवकाश स्वीकृत करने वाले प्राधिकारी की अनुमति के बिना अवकाश समाप्त होने से पूर्व पुनः विभाग में वापस नहीं आ सकता है।

नियम 86:- अवकाश की समाप्ति के बाद अनुपस्थिति या दुर्व्यवहार:- (दिनांक 12.01.1976 से)

1. इस नियम के तहत यदि कर्मचारी देय तिथि के बाद भी अवकाश से वापस नहीं आता है तो सक्षम प्राधिकारी उसकी पिछली सेवा को समाप्त कर सकता है ,ऐसी अनुपस्थिति को वार्षिक वेतन वृद्धि, छुट्टी द्वारा सभी प्रयोजनों के लिए  सेवा की अवधि शून्य मानी जाएगी।

2. कर्मचारी जो अवकाशकी समाप्ति के बाद या अवकाश के विस्तार से इनकार करने के बाद अपने कर्तव्य पर अनुपस्थित रहता है, उसे अनुपस्थित माना जाएगा और इस अवधि के लिए कोई वेतन नहीं लिया जाएगा,। इस नियम के तहत यदि कर्मचारी देय तिथि के बाद समय के लिए कोई उचित कारण बताता है तो  ऐसी अवधि को असाधारण छुट्टी में परिवर्तित कर दिया जाएगा

3. वनियम 86(1) एवं नियम 86(2) के अधीन अनुशासनिक प्राधिकारी ऐसे राज्य कर्मचारी के विरुद्ध वर्गीकरण नियंत्रण एवं अपील नियमावली के अनुसार विभागीय कार्यवाही प्रारम्भ कर सकता है, जो स्वेच्छा से एक माह से अधिक समय से अनुपस्थित हैं। अगर ऐसा आरोप साबित होता है तो  उसके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी और इसके तहत सेवा से निलंबन या बर्खास्तगी भी की जा सकती है। (दिनांक 22.02 .1979  से)

4.  यदि वह 5 वर्ष से अधिक समय तक बिना अवकाश के लगातार अनुपस्थित रहता है, तो उसे विदेश सेवा को छोड़कर अन्य सेवा से त्यागपत्र दे दिया गया माना जाएगा। इस नियम को लागू करने से पहले, कर्मचारी को अनुपस्थिति का कारण स्पष्ट करने का उचित अवसर दिया जाना चाहिए।(दिनांक 12.01 .2017 से)

Leave Rules in Hindi राजस्थान अवकाश नियम

अवकाश की  प्राथमिकतायें
 (नियम 87 से 126)

नियम 87:- इस नियम के तहत केवल स्थायी कर्मचारियों को ही अवकाश दिया जाता  है। नोट:- अस्थायी कर्मचारियों को अवकाश शासन की अधिसूचना के आधार पर दिया जाता है। अस्थाई कर्मचारियों के सभी अवकाश सरकारी अधिसूचना एवं नियमानुसार हैं।

नियम 87(ए):-अवकाश  खाता:- राज्य कर्मचारी का अवकाश खाता परिशिष्ट 2(1) में दिये गये प्रपत्र संख्या 1 में रखा जायेगा।

नियम 87(ख):- इस नियम के अधीन राजपत्रित अधिकारियों के अवकाश का लेखा-जोखा नियम 160(2) के अंतर्गत आने वाले अधिकारियों द्वारा रखा जाता है। एक अराजपत्रित अधिकारी का अवकाश रिकॉर्ड उस विभाग के कार्यालय या विभाग के अध्यक्ष  द्वारा रखा जाता है।

नियम 88:- अवकाश के क्रम में अन्य अवकाश का संयोजन:- इस नियम के अन्तर्गत कर्मचारी उचित प्रमाण-पत्र देकर अन्य अवकाश को अवकाश के क्रम में समायोजित कर सकते हैं।

नियम 89:- सेवानिवृत्त के आदेश के बाद  किसी प्रकार का अवकाश नहीं दिए जायेंगे ।

नियम 90:- विलोपित

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उपार्जित अवकाश

नियम 91:- उपार्जित अवकाश (पीएल):- स्थाई / अस्थाई कर्मचारी को एक वर्ष में 30 दिन का उपार्जित अवकाश देय होगा। (22.02.1983 से)

*उपार्जित अवकाश हमेशा निश्चित कैलेंडर वर्ष के हिसाब से ही दिए जाते हैं ।

*उपार्जित अवकाश हमेशा एक कैलेंडर वर्ष में केवल 02 बार दिया जाता है। अग्रिम रूप में 1 जनवरी को 15 व 01 जुलाई को 15 = कुल 30 उपार्जित अवकाश।

*दिनांक 01.01.1998, के बाद एक कर्मचारी को अधिकतम 300 उपार्जित अवकाश जमा रखने का अधिकार है।

*आरएसी बटालियनों में कर्मचारियों को एक कैलेंडर वर्ष में 42 उपार्जित अवकाश दिए जाते हैं ।

*यदि किसी कर्मचारी को माह के मध्य में नियुक्त किया जाता है. 2.50 उपार्जित अवकाश प्रतिमाह  दिए जाते  हैं ।आरएसी बटालियनों में कर्मचारियों को 3.50  एवं कोर्ट के स्टाफ को 1 उपार्जित अवकाश प्रतिमाह दिए जाते  हैं ।

*एक कर्मचारी एक बार में अधिकतम 120 उपार्जित अवकाश ले सकता है.

*विशेष स्थिति (टीबी, लाइलाज बीमारी) के कर्मचारी अपने सभी उपार्जित अवकाश एक साथ इस्तेमाल कर सकते हैं।

नियम 91 (ए):- सेवा में बने रहने वाले उपार्जित अवकाश – सेवारत कर्मचारियों को एक वर्ष में अधिकतम 15 उपार्जित अवकाश का नकद भुगतान (01.01.1983 से) किया जाता है और शेष उपार्जित अवकाश खाते में जमा किये जाते हैं। दिनांक 18.06.2010 के बाद किसी अस्थायी कर्मचारी को उसके विभाग में न्यूनतम एक वर्ष की सेवा पूर्ण करने पर ही इस नियम का लाभ दिया जायेगा।

नियम 91(बी):- सेवानिवृत्ति पर उपार्जित अवकाश का भुगतान:- इस नियम के तहत कर्मचारी के सेवानिवृत होने पर तत्काल प्रभाव उसे उसके उपार्जित अवकाश  खाते का पूरा भुगतान एकमुश्त  किया जाता है।उपार्जित अवकाश का भुगतान करते समय आवास भत्ता को छोड़कर सभी प्रकार के भत्ते देय होते हैं।

नियम 91(c):- कर्मचारियों की मृत्यु परउपार्जित अवकाश का भुगतान:- (दिनांक 01.10.1996) इस नियम के तहत यदि किसी कर्मचारी की सेवा के दौरान मृत्यु हो जाती है तो शेष उपार्जित अवकाश उन्हें उनके परिवार के सदस्यों को भुगतान किया जाता है। नोट:- 20.08.2001 के बाद यदि कोई कर्मचारी सीसीए नियम 1958 के तहत कार्रवाई प्रस्तावित करता है और वह कर्मचारी सेवानिवृत्त हो जाता है तो भुगतान तत्काल प्रभाव से रोक दिया जाएगा।

नियम 92:- अवकाश कालीन विभागों के लिए उपार्जित अवकाश की देनदारी:- (01.10.1994 से) अवकाश पर गए अवकाश कालीन न्यायिक कर्मचारियों को एक कैलेंडर वर्ष में 12 उपार्जित अवकाश देय है।  उपार्जित अवकाश का उपयोग  नहीं होने पर 18 उपार्जित अवकाश देय होते हैं।   अवकाश कालीन शिक्षा विभाग के कर्मचारियों को 15 उपार्जित अवकाश देय होते हैं।

Leave Rules in Hindi राजस्थान अवकाश नियम

अर्द्धवेतन अवकाश (HPL) / परिवर्तित अवकाश 

*नियम 93:- अर्द्धवेतन अवकाश (HPL) / परिवर्तित अवकाश की व्यवस्था:

1. चिकित्सा कारणों के आधार पर एक वित्तीय वर्ष में एक कर्मचारी के लाभ में 20 अर्द्धवेतन अवकाश (HPL) दिए जाते  हैं।

2. कर्मचारी अपनी सुविधा के अनुसार इन अर्द्धवेतन अवकाश (HPL) को पूर्ण अवकाश में बदल सकते हैं।

3. एक कर्मचारी अपनी सेवा के दौरान अधिकतम 480 अर्द्धवेतन अवकाश (HPL) को परिवर्तित अवकाश में बदल सकता है।

4. विशेष मामलों में यदि कर्मचारियों के खाते में कोई अर्द्धवेतन अवकाश (HPL) नहीं है तो कर्मचारियों को अवैतनिक अवकाश का लाभ दिया जा सकता है। अवैतनिक अवकाश  :- ऐसी छुट्टी सक्षम प्राधिकारी द्वारा तभी स्वीकृत की जाती है जब कर्मचारी की स्थिति चिकित्सा की दृष्टि से ठीक नहीं होती है। अवैतनिक अवकाश अधिकतम 360 अर्द्धवेतन अवकाश (HPL) तक स्वीकार्य  है।

*नियम 93(ए):-  यदि कर्मचारियों (टी.बी.मामलों में पुलिस सेवा ) के खातें में कोई अर्द्धवेतन अवकाश (HPL) शेष नहीं है, तो  उनके खाते में अग्रिम के रूप में 360 अर्द्धवेतन अवकाश (HPL) जमा कर दिए जाते हैं ।

नोट:- यदि कर्मचारी जनहित में अध्ययन कर रहा है तो उसके  अर्द्धवेतन अवकाश (HPL)  खाते के बकाया की स्थिति को ध्यान में रखते हुए 180 दिन का अर्द्धवेतन अवकाश (HPL) मिलेगा।

नियम 94:- सेवा समाप्ति अवकाश :- ऐसी अवकाश सामान्यत: अस्थायी कर्मचारियों को ही दी जाती है। अधिकारी अपने विवेक से ऐसे अवकाश बढ़ा सकते हैं।

नियम 95:- अवकाश अवधि सेवा व्यवधान नहीं है :- सामान्यत: यदि कोई अस्थाई कर्मचारी अपने पद के समान संवर्ग में स्थायी रूप से कार्यरत है तो उसकी पिछली सेवा अवकाश अवधि के अन्तर्गत मानी जायेगी।

नियम 96:- असाधारण अवकाश:- आम तौर पर कर्मचारी असाधारण अवकाश तभी स्वीकृत करता है जब  उसके खाते में कोई और अवकाश बकाया नहीं हो। 26.02.2002 से अस्थायी कर्मचारियों को  03 वर्ष की सेवा पूरी करने के बाद असाधारण अवकाश मिलता है ।

अस्थायी कर्मचारियों को अधिकतम 18 माह का अवकाश दिया जाता है। दिनांक 01.01.2007 के बाद परिवीक्षाधीन अवधि के दौरान अधिकतम 03 माह का असाधारण अवकाश दिया जा सकता है ।

विपरीत स्थितियों में परिवीक्षाधीन कर्मचारियों को 03 माह से अधिक का असाधारण अवकाश दिया जा सकता है । यदि कोई कर्मचारी 03 माह से अधिक का आकस्मिक अवकाश लेता है तो अधिक ली गई अवधि उसकी परिवीक्षा अवधि को बढ़ा देगी ।

नियम 97:- अवकाश वेतन की राशि :- सामान्यतः अवकाश वेतन की राशि अवकाश की प्रकृति के अन्तर्गत निर्धारित की जाती है।

नियम 98:- हटाया गया

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 विशेष नि:शक्तता अवकाश

*नियम 99:- विशेष नि:शक्तता अवकाश:- ड्यूटी करते समय लगी चोट के कारण असमर्थ होने पर स्वीकृत किया जाता है। घर से कार्यालय और कार्यालय से घर जाना ड्यूटी  नहीं  है। (14.12.12 के बाद)

18.05.2010 के बाद घर से निकलते ही चुनाव ड्यूटी मानी जाती है। इस नियम के तहत यदि सरकारी कर्मचारी को कार्यस्थल पर कोई क्षति होती है तो वह क्षति के तीन माह के भीतर आवेदन देकर विशेष निःशक्तता अवकाश का लाभ ले सकता है। सामान्यत: विशेष अक्षमता अवकाश अधिकतम 24 माह की अवधि के लिए देय होता है। यदि 24 महीने के बाद भी कर्मचारी की स्थिति में कोई सुधार नहीं होता है तो चिकित्सा रिपोर्ट के आधार पर अवधि को और बढ़ाया जा सकता है।

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विशेष अक्षमता अवकाश के दौरान वेतन

अवकाश दिन                                वेतन
उच्च सेवा में 120 दिन                 पूर्ण वेतन
का अवकाश
उच्चतर सेवा में 120 दिनों          आधे वेतन
से अधिक के अवकाश
चतुर्थ श्रेणी सेवा में 60 दिन      पूर्ण वेतन
का अवकाश
चतुर्थ श्रेणी सेवा में 60 दिनों    आधे वेतन
से अधिक के लिए अवकाश

*नियम 100 : निःशक्तता अवकाश के दौरान सरकार द्वारा कोई प्रतिपूरक भत्ता स्वीकृत किये जाने पर वेतन में कटौती:- इस नियम के अन्तर्गत यदि निःशक्तता अवकाश के दौरान प्रतिपूरक भत्ता प्राप्त होता है तो भत्ते के बराबर राशि कर्मचारी के वेतन से काट ली जाती है। कर्मचारी के व्यक्तिगत बीमा दावों पर इस नियम का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।

*नियम 101:- सैनिकों/ भूतपूर्व सैनिकों के कर्मचारियों को विशेष नि:शक्तता अवकाश का लाभ: सैनिकों/ भूतपूर्व सैनिकों,जो ड्यूटी पर रहते हुए सैनिक कार्य के लिए अयोग्य हो गए किन्तु असैनिक कार्य के लिए योग्य हैं।

*नियम 102:- नियम 101 के समान लेकिन दुर्घटना सैन्य सेवा के अतिरिक्त हुई: सरकार नियम 101 के प्रावधान उन कर्मचारियों के लिए लागु कर सकती है जो ड्यूटी पर रहते हुए  कार्य के लिए अयोग्य हो गए हैं।

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 प्रसूति अवकाश

*नियम 103:- प्रसूति अवकाश:-  महिला कर्मचारियों को संपूर्ण सेवा अवधि में 02 बार अधिकतम 180 दिन का प्रसूति अवकाश मिलता है। यदि 02 बार के बाद भी कोई बच्चा जीवित न हो तो एक बार और मिल सकता है।(06.12.2004 से प्रभावी)

*11.10.2008 के बाद मातृत्व अवकाश की अवधि 135 दिन से बढ़ाकर 180 दिन कर दी गई है।

*यह अवकाश अस्थाई महिला कर्मचारियों को भी दिया जाता है। किसी भी कर्मचारी को पूरा वेतन और भत्ते देय हैं।

*सामान्यतः यह अवकाश गर्भपात पर स्वीकृत नहीं किया जा सकता है।

*चिकित्सा रिपोर्ट के आधार पर प्रतिकूल परिस्थितियों में 06 सप्ताह तक का अवकाश स्वीकृत किया जा सकता है। (14.07.2006 के बाद में )

*संविदा कार्मिक को वित्त विभाग की अनुमति से 180 दिन का अवकाश देय है।

*103(A):- पितृत्व अवकाश:-  पुरूष की प्रथम दो सन्तानों पर उसे सन्तान के जन्म से पूर्व 15 दिवस एवं 03 माह के अन्दर 15 दिवस का अवकाश मिलता है।(06.12.2004 से)

*नियम 103(बी):- दत्तक ग्रहण अवकाश:- सेवा में केवल दो बार महिला कर्मचारी को 180 दिन का अवकाश 1 वर्ष से कम आयु के बच्चे को गोद लेने पर देय  है । (07.12.2011 से)

*नियम 103(बी):-बालक देखभाल अवकाश :- अलग से चैप्टर है।  पढ़ें बालक देखभाल अवकाश (CCL)

*नियम 104:- प्रसूति अवकाश  के क्रम में अन्य अवकाशों का संयोजन: प्रसूति अवकाश का अन्य अवकाशों के साथ संयोजन किया जा सकता है।

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चिकित्सालय अवकाश

*नियम 105:- पृथक श्रेणी अवकाश/ अस्पताल अवकाश की सीमा- सामान्यतः यह अवकाश उन्हीं कर्मचारियों को स्वीकृत किया जाता है जो सरकार के लिए किसी भी खतरनाक संयंत्र या खतरनाक प्रयोगशाला में कार्यरत हों ।अवकाश उन्हीं कर्मचारियों को स्वीकृत है जिनका वेतनमान 31000 रुपये तक देय है। (01.01.2017 से लागू) सभी वेतनवृद्धियां 12.09.2008 के आधार पर मान्य हैं।

*नियम 106:- अवधि :- जैसा स्वीकृत कर्ता आवश्यक समझे, स्वीकृत कर सकता है।

*नियम 107:- विलोपित

*नियम 108 :- अवकाश के क्रम में अन्य अवकाशों का संयोजन : चिकित्सालय का अवकाश का अन्य अवकाशों के साथ संयोजन किया जा सकता है।

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अध्ययन अवकाश

*नियम 109:- अध्ययन अवकाश:-ये नियम उन कर्मचारियों के लिए नहीं हैं जिन्हे सरकार द्वारा विभागीय कार्यों से संबंधित अध्ययन कराया जाता है।

*नियम 110:- अध्ययन अवकाश का दायित्व:-  अध्ययन अवकाश  सभी राज्य सरकार के कर्मचारियों को स्वीकार्य है .20 वर्ष या अधिक सेवा पूर्ण होने के बाद अध्ययन अवकाश स्वीकार नहीं किया जाएगा। पद की नियुक्ति स्थिति के आधार तीन वर्ष राजकीय सेवा पूर्ण करने वाले अस्थाई कर्मचारी को भी 2/ 3 वर्ष का अध्ययन  स्वीकृत किया जा सकता है। किसी भी कर्मचारी को उसकी संपूर्ण सेवा अवधि में अधिकतम 02 वर्ष की अवधि के लिए अध्ययन अवकाश स्वीकृत किया जा सकता है।  एक बार में अधिकतम 12 माह का अध्ययन अवकाश स्वीकृत किया जा सकता है। अध्ययन अवकाश के बाद भी यदि अध्ययन जारी रहे तो पहले सक्षम अधिकारी से असाधारण अवकाश स्वीकार कराना अनुमोदित किया जा सकता है। विशेष परिस्थितियों में राज्य सरकार जनहित में इसे 3 वर्ष तक बढ़ा सकती है। अध्ययन अवकाश के दौरान हमेशा आधा वेतन मिलता है।

*नियम 111:- विलोपितः

*नियम 112:- अध्ययन अवकाश स्वीकृत करने की शर्तें:- पूरे सेवाकाल में 2 वर्ष की अवधि के लिए ही अध्ययन अवकाश स्वीकृत किया जा सकता है। एक बार में अवकाश की अधिकतम सीमा 1 वर्ष होगी। चिकित्सा अधिकारियों हेतु पूरे सेवाकाल में 3  वर्ष की अवधि के लिए ही अध्ययन अवकाश स्वीकृत किया जा सकता है।

अध्ययन अवकाश के दौरान विभाग से अनुपस्थिति :

1. 24 महीने + 04 महीने (लेखा अवकाश) : 28 महीने

2. 24 महीने + 06 महीने (असाधारण अवकाश) 30 महीने

*नियम 113:- अध्ययन अवकाश के क्रम में अन्य अवकाशों का समायोजनः- अध्ययन अवकाश का  अन्य अवकाशों के साथ संयोजन किया जा सकता है।

*नियम 114:- अध्ययन अवधि अध्ययन अवकाश से अधिक होने पर प्रक्रिया:- कर्मचारी अपने खाते से अवकाश अथवा असाधारण अवकाश ले सकता है।

*नियम 115:- अध्ययन अवकाश हेतु आवेदन पत्र:- अध्ययन अवकाश हेतु आवेदन पत्र सक्षम अधिकारी के प्रमाण के साथ मुख्य लेखा अधिकारी / वरिष्ठ लेखा अधिकारी अथवा  लेखाधिकारी को दिया जाता है।(24.02.1984 से)

*नियम 116:- अन्य अवकाश के साथ अध्ययन अवकाश का समायोजनः अध्ययनअवकाश का पाठ्य क्रम के आधार पर अन्य अवकाशों में परावर्तन किया जा सकता है।

*नियम 117:- अध्ययन भत्ता :- यदि कर्मचारी द्वारा किया जा रहा अध्ययन सरकार की दृष्टि से महत्वपूर्ण है तो सरकार अध्ययन अवधि के दौरान कर्मचारी को अलग से अध्ययन भत्ता स्वीकृत कर सकती है।

*नियम 118:- अध्ययन अवकाश के दौरान विश्राम की अवधि:- इस नियम के तहत अध्ययन अवधि के दौरान कर्मचारी को सरकार द्वारा 14 दिन की विश्राम अवधि देय है।

*नियम 119:- अध्ययन शुल्क:- कर्मचारी जिस अध्ययन के लिए अवकाश पर जाता है उसकी किश्त कर्मचारी द्वारा देय होती है।

*नियम 120:- पाठ्यक्रम समापन प्रमाण पत्र :- जिस अध्ययन के लिए कर्मचारी अवकाश पर है, उस अध्ययन के पूर्ण होने पर विभाग को पाठ्यक्रम पूर्णता प्रमाण पत्र जमा  करने के लिए कर्मचारी  नैतिक दायित्व से बाध्य है।

*नियम 121:- अध्ययन अवकाश एवं पेंशन योग्य सेवा की गणना की जाती है।

*नियम 121(ए):-अध्ययन अवकाश के एवज में सेवा का बांड पत्र:- इस नियम के तहत परिशिष्ट 18 के तहत शर्तों को पूरा न करने पर परिशिष्ट 18में एक बांड पत्र भरा जाता है। वह संबंधित विभाग में जमा करना होगा। (दिनांक 3105.2012 से लागू)

अध्ययन अवकाश       बंध पत्र
की अवधि                   की अवधि

3 माह                         1 वर्ष

6 माह                        2 वर्ष

1 वर्ष                           3 वर्ष

2 वर्ष  या                    5 वर्ष
और अधिक

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अन्य अवकाश 

नियम 122:- परिवीक्षाधीन को अवकाश :- सम्पूर्ण परिवीक्षाकल में  3 माह का असाधारण अवकाश स्वीकृत किया जा सकता है। 3 माह से अधिक एवं 1 वर्ष से प्रशासनिक विभाग के अनुमोदन से दिया जा सकता है। प्रसूति एवं पितृत्व अवकाश नियम 103 व 104 के अनुसार देय होगा।

नियम 123:- शिक्षार्थी को अध्ययन अवकाश :- इस नियम के अन्तर्गत शिक्षार्थी को अवकाश उसी प्रकार से देय है, जैसे विभाग में अस्थाई कर्मचारियों देय है।

नियम 124:- प्राध्यापकों के लिए अवकाश:- प्राथमिक विधि अधिकारी/प्राध्यापकों के लिए अवकाश:- सामान्यतः अंशकालिक आधार पर नियुक्त प्राध्यापकों एवं विधि अधिकारियों को 6 वर्ष की सेवा पूर्ण करने पर 03 माह का अर्द्धवेतन अवकाश देय है, एक बार में अधिकतम 2  माह का अवकाश होता है।

नियम 125 :- अवकाश के क्रम में अन्य अवकाशों का संयोजन :नियम 124 के अंतर्गत लिया गया अवकाश किसी दूसरे अवकाश के साथ मिलाया जा सकता है।

नियम 126:- दैनिक मानदेय एवं पारिश्रमिक के आधार पर कार्यरत कर्मचारियों को अवकाश:  यह अवकाश तभी माना जाता है जब कर्मचारी अपने स्थान पर काम करने के लिए किसी अन्य कामगार को नियुक्त करते हैं।

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