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Gram Panchayat Patta Niyam | ग्राम पंचायत पट्टा नियम राजस्थान(1996)

Gram Panchayat  Patta Niyam

ग्राम पंचायत पट्टा नियम(1996)

आबादी भूमि की परिभाषा

Gram Panchayat Patta Niyam: ग्राम पंचायत पट्टा नियम (1996):-राजस्थान पंचायत राज नियम 1996 के नियम 140 में आबादी भूमि की परिभाषा दी गई है । आबादी भूमि से तात्पर्य ऐसी नजूल भूमि से है जो पंचायत में निवास के क्षेत्र में स्थित है तथा राज्य सरकार के किसी आदेश द्वारा ग्राम पंचायत के अधीन रखी गई है ।  राजस्थान भू-राजस्व अधिनियम 1956 की धारा 3.1.1ब में नजूल भूमि ऐसी भूमि के रूप मे परिभाषित की गई जो किसी नगर पालिका / पंचायत क्षेत्र में आबादी भूमि के रूप मे स्थित है एवं राज्य सरकार में निहित है। राजस्थान भू राजस्व अधिनियम 1956 की धारा 103ब में भी आबादी,आबादी क्षेत्र एवं आबादी भूमि का अर्थ गाँव / शहर में जनसंख्या क्षेत्र और उसके लिए अलग से रखी गई भूमि से है। (पढ़ें भू-राजस्व अधिनियम 1956 की धारा 3.1.1ब)

Gram Panchayat  Patta Niyam | ग्राम पंचायत पट्टा नियम(1996)

पंचायत किस भूमि पर पट्टा दे सकती है ?

किसी भूमि की किस्म आबादी होने अथवा आबादी भूमि के नाम से आरक्षित किए जाने मात्र से ही ग्राम पंचायत को उस भूमि का पट्टा जारी करने की अधिकारिता प्राप्त नहीं हो जाती है। ग्राम पंचायत तब तक आबादी भूमि का पट्टा नहीं दे सकती जब तक कि भूमि उसके नाम दर्ज नहीं हो जाए (पढ़ें राजस्व विभाग का पत्र संख्या 126/ 31.10.2019)। ग्राम पंचायत दुकानों के नाम से पट्टा जारी नहीं कर सकती है  (पढ़ें पंचायत राज विभाग का पत्र संख्या 368/02.06.2016 एवम् 413/13.04.2022) । किंतु डीएलसी दर की दुगुनी राशि लेकर दुकानों का पट्टा जारी किया जा सकता है (पढ़ें पत्र संख्या 11186/07.11.2012)

{टिप्पणी : ग्राम पंचायत गैर मुमकिन ढाणी के नाम से दर्ज  भूमि का पट्टा नहीं दे सकती है, किसी खातेदार के नाम आबादी या गैर मुमकिन आबादी के रूप में  दर्ज भूमि का पट्टा नहीं दे सकती है, आबादी के रूप में किसी खातेदार के नाम रूपांतरित (converted) भूमि का पट्टा भी ग्राम पंचायत नहीं दे सकती है (पढ़ें कन्वर्ट आबादी भूमि का पट्टा नहीं देने संबंधी पत्र संख्या 368/02.06.2016 एवम् 413/13.04.2022)। नहीं देने का कारण यही है  कि  ग्राम पंचायत उन्हीं आबादी भूमि का पट्टा दे सकती है जो उसके नाम दर्ज हैं। सिवाय चक, गौचर, बाड़ा आदि के नाम से राजस्व रिकार्ड में दर्ज भूमि का पट्टा भी ग्राम पंचायत नहीं दे सकती है। पेराफेरी क्षेत्र में सरकारी या सिवायचक भूमि का 25% या 15000 वर्गमीटर (जो भी काम हो) का आवंटन मास्टर प्लान के तहत किया जा सकेगा एवम् राजस्व रिकार्ड में दर्ज आबादी भूमि के पट्टे ग्राम पंचायत जारी करेगी(पढ़ें शहरी निकाय  विभाग का पत्र दिनांक 13. 04 .17 ) ।

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नीलामी, विक्रय एवं आवंटन की प्रक्रिया 

1. ग्राम पंचायत द्वारा अपनी आबादी भूमि को नीलामी के माध्यम से ही विक्रय किया जाना चाहिए जब तक कि ऐसा न करने का कोई विशेष कारण न हो। (नियम 141) 

2. ग्राम पंचायत को जब कभी आबादी के लिए भूमि आवंटित की जाए तो ग्राम पंचायत द्वारा  विभाग मे पदस्थापित सहायक नगर आयोजनकार (नीचे की रैंक का न हो) से  एक विकास योजना तैयार कराई जाएगी। इस विकास योजना को वरिष्ठ नगर आयोजनाकार द्वारा अनुमोदित किया जाएगा । आवासन, वाणिज्यिक एवं अन्य परियोजनाओं  के लिए भी  योजनाएं अनुमोदित प्लान के अनुसार ही क्रियान्वित की जाएंगी। (नियम 142)
3. सार्वजनिक रास्ते, सड़क, नाली, अन्य सार्वजनिक उपयोग की भूमि एवं बिल्डिंग लाइन को ध्यान में रखते हुए आबादी क्षेत्र में इधर उधर स्थित भूखंडों की एक सूची तैयार कर नीलामी की जाएगी।  वाणिज्यिक उपयोग के लिए 200 वर्गफुट तक एवं निवासीय उपयोग के लिए 100 वर्गगज या अधिक के  भूखंड की नीलामी की जा सकेगी । (नियम 143)
4. जिनके मकान / दुकान से भूमि पट्टी लगी हुई है और कोई अन्य आवेदक नहीं है तो  वाणिज्यिक उपयोग के लिए 200 वर्गफुट तक एवं निवासीय उपयोग के लिए 100 वर्गगज तक का भूखंड आवंटित किया जा सकेगा । (नियम 144)
{टिप्पणी : आबादी भूमि के नक़्शे में रास्ता अलग से दर्ज नहीं होता है इसलिए बिल्डिंग लाइन को ध्यान को रखते हुए रास्ता की चौड़ाई ग्राम पंचायत द्वारा निर्धारित की जानी चाहिए।
नियम 143 एवं 144 का अंतर समझें । नियम 143 नीलामी के लिए है जबकि नियम 144 आवंटन के लिए ।}
5. पंचायत  से कोई भी  भूखंड / भू-पट्टी खरीदने के लिए आवेदक लिखित में ग्राम पंचायत को आवेदन पत्र देगा एवं साथ में भूमि की पहचान से संबंधित विवरण देगा । आवेदक आवेदन के साथ स्थल निरीक्षण के शुल्क के 25/- रुपये एवं साथ में नक्शा नहीं दिए जाने की स्थिति मे नक्शा शुल्क की राशि 25/- रुपये भी जमा कराएगा । पंचायत का सचिव आवेदक की उपस्थिति में स्थल निरीक्षण के पश्चात नक्शा तैयार करेगा। (नियम 145)
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{टिप्पणी : आवेदन पत्र के साथ शुल्क लेने का नियमों में कोई प्रावधान नहीं है । यदि पंचायत द्वारा  नियम 68 के प्रावधान लागू किए गए हैं तो आवेदन शुल्क लिया जाना चाहिए । 1961 के नियमों में निरीक्षण शुल्क का भुगतान निरीक्षण समिति  के सदस्यों एवं नक्शा शुल्क की राशि का भुगतान नक्शा नवीस / सचिव को दिए जाने के प्रावधान थे। किन्तु अब ऐसा नहीं है।}
6. पंचायत सचिव ऐसे सभी आवेदन पत्रों को प्रारूप संख्या 21 के रजिस्टर मे दर्ज करेगा, एक पत्रावली खोलेगा और  ऐसी  सभी पत्रावलियों के लिए 3 पंचों की  स्थल निरीक्षण समिति की प्रतिनियुक्ति हेतु आगामी पंचायत बैठक में रखेगा। पंच 15 दिन के भीतर स्थल निरीक्षण कर निम्न बिंदुओं पर विचार कर विक्रय की वांछनीयता के संबंध मे अपनी राय पंचायत को देंगे:-
(क) क्या आवेदित स्थल के विक्रय से ग्रामीणों के आने जाने की सुविधा पर प्रभाव पड़ेगा ?
(ख)  क्या आवेदित स्थल का विक्रय किसी के सुखाचारों को प्रभावित करेगा ?
(ग) क्या आवेदित स्थल का विक्रय आस पास के क्षेत्र की सुंदरता एवं सफाई को प्रभावित करेगा ?
(घ) क्या आवेदित स्थल का विक्रय किसी अन्य सुसंगत विषय को प्रभावित करेगा ?
(ङ) आवेदित स्थल को खरीदने के इच्छुक अगल बगल के निवासियों के नाम । (नियम 146)
7. तब आवेदित स्थल के विक्रय किए जाने अथवा न किए जाने के बारे में पंचायत किसी बैठक में अस्थाई निर्णय करेगी। यदि पंचायत विक्रय न करने का निर्णय करे तो आवेदक को सूचित कर दिया जाएगा। इस प्रकार के मामलों में आवेदक फीस की  किसी भी वापसी का हकदार नहीं होगा। (नियम 147)
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8. पंचायत यदि अस्थाई रूप से विक्रय का निर्णय करती है तो प्रस्तावित विक्रय के संबंध में प्रकाशन की तारीख से  एक माह के भीतर आक्षेप आमंत्रित  करने का नोटिस  प्रारूप 22 में जारी करेगी। राज्य सरकार द्वारा आयोजित अभियान के समय यह अवधि 7 दिन होगी। (पढ़ें अधिसूचना क्रमांक 289/12-04-2017)
उक्त नोटिस दो प्रतियों में तैयार किया जाएगा। एक प्रति प्रस्तावित विक्रय स्थल  पर किसी ऐसे स्थान पर जो सहज रूप से दिखाई दे,लगाई जाएगी और दूसरी प्रति आस पास के क्षेत्र के कम से कम दो  प्रतिष्ठित व्यक्तियों के हस्ताक्षर करवा कर, लगाने के साक्ष्य के रूप में  पंचायत को लौटा  दी जाएगी। (नियम 148)
9. उक्त जारी नोटिस के प्रत्युत्तर में यदि कोई आक्षेप प्राप्त होते हैं तो संबंधित पक्षों  को सुनवाई का उचित अवसर देने के पश्चात आक्षेप का निपटारा किया जाएगा। (नियम 149)
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{टिप्पणी-1 : नियम 146,148 एवं 149 में भूमि शब्द का उल्लेख है, मकान / गृह का उल्लेख नहीं है। किन्तु परिपत्र क्रमांक 23/10-01-2013 के अनुसार  इन नियमों की पालना कर ही भवन / मकान का पट्टा जारी किया जाए।} (पढ़ें परिपत्र क्रमांक 23/10-01-2013)}
{टिप्पणी-2 : यद्यपि नियमों में यह नहीं लिखा गया है कि कितने दिन बाद आक्षेप का निपटारा किया जाना चाहिए। किन्तु युक्तियुक्त सुनवाई का अवसर देने के पश्चात निपटारा किए जाने का प्रावधान किया गया है। अतः आपत्ति में प्राप्त तथ्यों / साक्ष्यों के आधार पर आक्षेप का निपटारा कर दिया जाना  चाहिए। आपत्ति के कारण दीर्घकाल तक  पत्रावली  को लंबित नहीं रखा जाना चाहिए।}
 

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विक्रय की पुष्टि  

10. पंचायत को 50,000 रुपये तक की भूमि विक्रय की पुष्टि की आवश्यकता नहीं है। 
50,000 रुपये से अधिक किन्तु 2,00,000 रुपये तक के विक्रय की पुष्टि का अधिकार पंचायत समिति को है। 2,00,000 रुपये से अधिक किन्तु 5,00,000 रुपये तक के विक्रय की पुष्टि का अधिकार जिला परिषद को है। 5,00,000 रुपये से अधिक किन्तु 10,00,000 रुपये तक के विक्रय की पुष्टि का अधिकार सम्भागीय आयुक्त को है ।
उक्त प्राधिकारियों की राय में यदि भूमि की कीमत पूरी नहीं आई है या निर्धारित प्रक्रिया का अनुसरण नहीं किया गया है तो पुष्टि से मना भी किया जा सकेगा। (नियम 154)
 
11.ग्राम पंचायत विक्रय की गई संपत्ति का भौतिक कब्जा पुष्टि किए जाने से पूर्व  नहीं सोपेगी । (नियम 155)
{टिप्पणी : आवासीय मकान / भूखंड  का भौतिक रूप से कब्जा आवेदक के पास पहले से ही रहता  है, इसलिए पुष्टि के पश्चात ही पट्टा जारी किया जाना चाहिए।}
12.यदि किसी भूमि / भूखंड  पर किसी का स्वत्व  दावा न्यायसंगत हो और नीलामी द्वारा उचित कीमत प्राप्त नहीं हो सकती हो / अतिचार हो और लेखबद्ध किए गए किसी अन्य कारणों से पंचायत यह समझती हो कि नीलामी उस भूमि के निपटारे का सुविधाजनक ढंग नहीं है / भूमि की पट्टी का एक ही खरीददार हो तो पंचायत प्राइवेट बातचीत द्वारा स्थानांतरित (विक्रय) कर सकेगी। किसी भी मामले में ऐसी भूमि उपरजिस्ट्रार द्वारा निश्चित की गई एवं विकास अधिकारी द्वारा अवगत कराई गई गाँव की प्रचलित बाजार दर से कम पर स्थानांतरित (विक्रय) नहीं की जाएगी। किसी वाणिज्यिक या बाजार क्षेत्र में ऐसी बाजार कीमत आवासीय कीमत की दुगुनी से कम नहीं होगी। (नियम 156)
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13.जिन व्यक्तियों के पास आबादी भूमि में 31 दिसंबर 2016 तक निर्मित पुराने मकान हैं और वे पट्टा जारी कराए जाने के इच्छुक हैं तो उनको प्रारूप 23क में पट्टा जारी किया जाएगा। इसमें 30 दिसंबर 1946 से पूर्व बने हुए मकानों का शुल्क 100 रुपए एवं  30 दिसंबर 1946 से 31 दिसंबर 2016 तक बने हुए मकानों का शुल्क 200 रुपए होगा। यदि गरीबी रेखा से नीचे के परिवार हैं तो 30 दिसंबर 1946 से पूर्व के बने मकानों का कोई शुल्क देय नहीं होगा जबकि 30 दिसंबर 1946 से 31 दिसंबर 2016 तक बने मकानों का शुल्क 20 रुपए देय होगा
उक्त मकान के निर्मित क्षेत्र में 25 प्रतिशत निर्मित क्षेत्र को सम्मिलित करते हुए अधिकतम 300 वर्ग गज तक का पट्टा जारी किया जा सकेगा। यदि मकान के परिसर का क्षेत्रफल 300 वर्ग गज से अधिक है तो ऐसे अधिक क्षेत्रफल  का डीएलसी दर का 25 प्रतिशत शुल्क देय होगा। प्रशासन गांव के संग अभियान 2021 के दौरान डीएलसी 25 प्रतिशत के स्थान पर 12.5 प्रतिशत देय होगी। (नियम 157.1)
[टिप्पणी : नियम 157 में  Where the persons are in possession of the old houses in Abadi land and desire to get a patta issued, patta may be issued by the Panchayat in Form XXIII-A after depositing the charges as under-
 
 

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नियम 157.1 का उदाहरण 

डीएलसी दर 100 रुपए प्रति वर्ग गज मानने पर  DLC दर का 25%= 25/-रूपये होगा . इसे निम्न उदाहरणों से समझा जा सकता है।
 
1.(अ) कुल क्षेत्रफल –   350 वर्ग गज
(i) निर्मित क्षेत्रफल –     200 वर्ग गज 
(ii) खाली क्षेत्रफल –    50 वर्ग गज (कुल क्षेत्रफल का 25 प्रतिशत )
2.योग {(i)+(ii)} –      250 वर्ग गज  
3.शेष क्षेत्रफल (1-2) – 100 वर्ग गज       
4.राशि {100 वर्ग गज (क्षेत्रफल)*25 (दर)}=2500/- रुपए
 
1.(ब) कुल क्षेत्रफल –    350 वर्ग गज
(i) निर्मित क्षेत्रफल –     240 वर्ग गज 
(ii) खाली क्षेत्रफल –    60 वर्ग गज (कुल क्षेत्रफल का 25 प्रतिशत)
2.योग {(i)+(ii)} –      300 वर्ग गज  
3.शेष क्षेत्रफल (1-2) – 50 वर्ग गज 
4.राशि  {50 (क्षेत्रफल)*25 (दर)} =1250/- रुपए
 
1.(स) कुल क्षेत्रफल –    350 वर्ग गज
(i) निर्मित क्षेत्रफल –     280 वर्ग गज 
(ii) खाली क्षेत्रफल –    20 वर्ग गज (कुल क्षेत्रफल का 25 प्रतिशत की पूरी छूट नहीं मिलेगी )
2.योग {(i)+(ii)} –      300 वर्ग गज  
3.शेष क्षेत्रफल  (1-2) – 50 वर्ग गज 
4..राशि – {50 (क्षेत्रफल) *25 (दर)} =1250/- रुपए
 
1.(द) कुल क्षेत्रफल –    350 वर्ग गज
(i) निर्मित क्षेत्रफल –     300 वर्ग गज 
(ii) खाली क्षेत्रफल    0 वर्ग गज (कुल क्षेत्रफल का 25 प्रतिशत की छूट नहीं मिलेगी )
2.योग{(i)+(ii)} –        300 वर्ग गज  
3.शेष क्षेत्रफल  (1-2) – 50 वर्ग गज 
4..राशि – {50 (क्षेत्रफल)*25 (दर)} =1250/- रुपए
 
1.(य) कुल क्षेत्रफल –     350 वर्ग गज
(i)निर्मित क्षेत्रफल –       350 वर्ग गज 
                                  -50 वर्ग गज (300 वर्ग गज से 
अधिक होने पर कम किया गया )
(ii) खाली क्षेत्रफल –    0 वर्ग गज (कुल क्षेत्रफल का 25 प्रतिशत की छूट नहीं मिलेगी )
2.योग {(i)+(ii)} –       300 वर्ग गज  
3.शेष क्षेत्रफल  (1-2) – 50 वर्ग गज 
4..राशि – {50 (क्षेत्रफल)*25 (दर)} =1250/- रुपए
 
14.ऐसे परिवार जिनके पास कहीं भी कोई गृह या या गृह स्थल नहीं और जिनका 2003 तक आबादी भूमि पर झुग्गी झोपड़ी या / कच्चे घर घर के रूप में कब्जा है उन परिवारों की महिला मुखिया के पक्ष में  300 वर्ग गज तक नि;शुल्क विनियिमतीकरण कर प्ररूप 23ख में पट्टा जारी किया जाएगा। (नियम 157.2)

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