Rajasthan Civil Services (Conduct) Rules,1971
राजस्थान सिविल सेवायें (आचरण) नियम 1971
(01. Notification No. F. 4(3)Apptt. (A-III)/65 dated 4-8-1972 w.e.f. 18- 8-1972)
जी.एस.आर. 29-भारतीय संविधान के अनुच्छेद 309 के परन्तुक द्वारा प्रदत्त अधिकारों का प्रयोग करते हुए राजस्थान राज्य के राज्यपाल महोदय प्रसन्न होकर एतद्द्वारा, राजस्थान राज्य के कार्यकलापों से सम्बद्ध सरकारी कर्मचारियों के आचरण के नियमन हेतु निम्नांकित नियम बनाते हैं, अर्थात्
Conduct rules Rajasthan
- संक्षिप्त नाम, विस्तार एवं प्रयोग–
(1) ये नियम “राजस्थान सिविल सेवायें (आचरण) नियम 1971 ” कहलायेंगे।
(2) ये तुरन्त प्रभावशील (लागू) होंगें।
(3) इन नियमों में या इनके द्वारा अन्यथा उपबन्धित को छोड़कर, ये राज्य के कार्यकलापों के संबंध में सिविल सेवाओं और पदों पर नियुक्त सभी व्यक्तियों पर लागू होंगें।
परन्तु यह है कि जब कोई सरकारी कर्मचारी किसी अन्य राज्य सरकार या केन्द्रीय सरकार की प्रतिनियुक्ति पर होगा, तो वह उस प्रतिनियुक्ति की अवधि में (उस) उधारगृहीता सरकार के आचरण नियमों से शासित होगा और उस सीमा तक (उस पर) ये नियम लागू नहीं होंगें।
परन्तु यह भी है कि राज्यपाल किसी सामान्य या विशेष आज्ञा द्वारा किसी विशेष वर्गीकरण के सरकारी कर्मचारियों को इन सम्पूर्ण नियमों या उनके किसी भाग के प्रयोग से मुक्त कर सकेंगे।
परन्तु आगे यह भी है कि जो सरकारी कर्मचारी अखिल भारतीय सेवाओं के सदस्य है, और अखिल भारतीय सेवायें (आचरण) नियम 1968 के अधीन है, उन पर ये नियम प्रभावशील नहीं होंगे। - (राजस्थान सिविल सेवायें (आचरण ) नियम 1971) परिभाषायें-
इन नियमों में, जब तक कि प्रसंग से अन्यथा न चाहा गया हो-
(क) “नियुक्ति प्राधिकारी” का वही अर्थ होगा, जो इस राजस्थान सिविल सेवायें (वर्गीकरण, नियन्त्रण और अपील) नियम, 1958 में दिया गया है।
(ख) “सरकार” से राजस्थान सरकार’ अभिप्रेत है ।
(ग) सरकारी कर्मचारी” से सरकार द्वारा राज्य के कार्यकलापों से संबद्ध सिविल सेवाओं या पदों पर नियुक्त किसी व्यक्ति से अभिप्रेत है और इसमें वह व्यक्ति भी सम्मिलित है, जिसकी सेवायें किसी अन्य राज्य या केन्द्रीय सरकार से प्रतिनियुक्ति पर उधार ली गई हैं।
(घ) “परिवार के सदस्य” में सरकारी कर्मचारी के संबंध में (निम्न) सम्मिलित है-
(I) सरकारी कर्मचारी की पत्नी या पति, जैसा भी हो चाहे वे उस सरकारी कर्मचारी के साथ रहते हों या नहीं परन्तु किसी सक्षम न्यायालय की डिक्री या आज्ञा द्वारा सरकारी कर्मचारी से अलग किए गए पत्नी या पति, जैसा भी हो, इसमें सम्मिलित नहीं होंगे।
(II) राज्य कर्मचारी के पुत्र या पुत्री या सौतेला पुत्र या पुत्री, जो पूरी तरह उस पर आश्रित हो, परन्तु इसमें वह संतान या सौतेली संतान सम्मिलित नहीं होती, जो राज्य कर्मचारी पर किसी भी प्रकार से आश्रित न हो या, जिसकी सुरक्षा करने से राज्य कर्मचारी को किसी कानून के अन्तर्गत वंचित कर दिया गया हो।
(III) सरकारी कर्मचारी या उसकी पत्नी या पति से सम्बन्धित, चाहे रक्त से या विवाह से; कोई अन्य व्यक्ति जो पूर्णतः उस सरकारी कर्मचारी पर आश्रित हो। - (राजस्थान सिविल सेवायें (आचरण ) नियम 1971) सामान्य-
- प्रत्येक सरकारी कर्मचारी हर समय- (1) पूर्ण सत्यनिष्ठा (ईमानदारी) रखेगा और (II) कर्तव्यनिष्ठा तथा कार्यालय की गरिमा बनाये रखेगा।
- (i) प्रत्येक सरकारी कर्मचारी जो पर्यवेक्षीय पद धारण करता है, उस समय अपने नियन्त्रण व अधिकारी के अधीन समस्त सरकारी कर्मचारियों की ईमानदारी व कर्तव्यनिष्ठा की सुनिश्चिता के लिए हर सम्भव कदम उठायेगा।
(ii) अपने कार्यालय के कर्तव्यों के पालन में या उसमें निहित शक्तियों के प्रयोग में कोई सरकारी कर्मचारी अपने श्रेष्ठ निर्णय के विपरीत कोई कार्य नहीं करेगा, सिवाय जबकि वह किसी निर्देश के अधीन कार्य कर रहा हो, तो जहां कहीं व्यवहार्य (संभव) हो, तो वह उस निर्देश को लिखित में प्राप्त करेगा और जहां लिखित में निर्देश प्राप्त करना व्यवहार्य नहीं हो, तो वह उसके तुरन्त बाद यथासम्भव उस निर्देश की लिखित पुष्टि प्राप्त करेगा।
{नियम 3क-नियमों का अतिक्रमण कोई सरकारी कर्मचारी, जो इन नियमों का अतिक्रमण करता है, अनुशासनिक कार्यवाही का दायी होगा।}
(02. जी.एस.आर. 102, अधिसूचना सं. एफ. (5 ) (30 ) कार्मिक / क- 3/2004 दिनांक 03-03-2008 द्वारा जोड़ा गया।)
4.(राजस्थान सिविल सेवायें (आचरण ) नियम 1971) अनुचित एवं अशोभनीय आचरण कोई सरकारी कर्मचारी, जो- - किसी नैतिक पतन से सम्बन्धित अपराध के लिए सजा प्राप्त करता है चाहे ऐसा उसके कर्तव्य पालन के दोहरान हुआ हो या नही,
- जनता में अव्यवस्थित तरीके से व्यवहार करे, (जो कि) एक सरकारी कर्मचारी के रूप में उसके स्तर के लिए अशोभनीय हो,
- किसी प्राधिकारयुक्त व्यक्ति को बिना नाम के या छद्म नाम से कोई याचिका (प्रार्थना-पत्र) भेजता है, ऐसा सिद्ध हो जावे,
- अनैतिक जीवन व्यतीत करता है,
*5. वरिष्ठ अधिकारी के विधिपूर्ण आदेशों या अनुदेशों की अवज्ञा करता है या वरिष्ठ अधिकारी की अवज्ञा करता है, *(03. GSR 82 dated 17-8-2001)
*6. बिना किसी पर्याप्त और युक्तियुक्त कारण के अपने पति या पत्नी, माता-पिता, अवयस्क या निःशक्त संतान का, जो अपना भरण पोषण स्वयं करने में असमर्थ है, भरण-पोषण में उपेक्षा करता / करती है या इससे इंकार करता/करती है या उनमें से किसी की भी देखभाल जिम्मेदारी पूर्वक नहीं करता/ करती है, या *(04. No. F. 9(5)(89) DOP/A-III/2000, G.S.R. 11, dated 23-4-2002 )
*7. लोकापयोग जैसे बिजली और जल की व्यवस्था करने वाले किन्हीं विभागों/कम्पनियों को वित्तीय नुकसान कारित करने की दृष्टि से जान बूझकर मीटर या किसी भी अन्य उपस्कर या बिजली /जल की लाइन में गडबड करता है। तो वह अनुशासनिक कार्यवाही का दायी होगा। *(05. No.F.9(5)(42)DOP/A-11/2001 dated 9-10-2002)
*4क-सरकारी आवास का अनधिकृत अधिभोग-
कोई सरकारी कर्मचारी जो-
(i) सामान्य प्रशासन विभाग या अन्य सक्षम प्राधिकारी द्वारा किये गये प्राधिकरण से अधिक समय तक सरकारी आवास को अधिभोग में रखता हो, या
(ii) सरकारी आवास को अधिभोग में रखता हो, जबकि पदस्थापन के स्थान पर, निर्धारित आवास के सिवाय, उसका स्वयं का भवन हो, या
(iii) डाक बंगला, विश्राम गृह, ट्रांजिट होस्टल, पर्यटन गृह आदि सहित सरकारी आवास के अधिभोग से सम्बन्धित नियमों /अनुदेशों का उल्लंघन करता हो अनुशासनिक कार्यवाही का भागी होगा। *(Notification No. F.4(1)Karmik/A-III/82 dated 4-9-82)
‘*[4ख-14 वर्ष से कम आयु के बच्चों के नियोजन के संबंध में प्रतिषेध-कोई सरकारी कर्मचारी 14 वर्ष से कम आयु के किसी बच्चे को कार्य करने के लिए नियोजित नहीं करेगा] *( G.S.R. 59, No.F. 9(2)(61)Karmik/A-Ill dated 4-7-2001)
*[4ग-सरकारी भूमि पर अधिक्रमणः- ऐसा कोई सरकारी कर्मचारी, जो 15.8. 98 को या इसके पश्चात् सरकारी भूमि या स्थानीय निकायों / नगर विकास न्यासों/जयपुर विकास प्राधिकरण/ राजस्थान आवासन मण्डल / पंचायती राज संस्थाओं या किसी भी अन्य सरकारी उपक्रम की किसी भी भूमि पर किसी भी रीति से, किसी भी अधिक्रमण में अतंर्वलित होता है या अधिक्रमण करता है, अनुशासनिक कार्यवाही के लिए उत्तरदायी होगा।] *(No.F.9(5)(25)Karmik/ka-3/2001 dated 27-5-2002)
*[4घ-तात्विक जानकारी छिपानाः-प्रत्येक सरकारी कर्मचारी अपने नियंत्रक प्राधिकारी को, अपने बारे में, प्रथम सूचना रिपोर्ट (प्र.सू.रि.) दर्ज किये जाने, पुलिस या अन्य अधिकारी द्वारा निरोध/ गिरफ्तारी या किसी भी न्यायालय द्वारा किसी दोषसिद्धी के संबंध में तात्विक जानकारी की रिपोर्ट देगा।
*[4ङ-तत्परता और शिष्टताः- कोई भी सरकारी कर्मचारी,
(i) अपने कर्तव्यों के अनुपालन में, अशिष्ट रीति से व्यवहार नहीं करेगा,
(ii)जनता के साथ अपने पदीय व्यवहार में या अन्यथा उसे समनुदेशित कार्य के निपटारे में विलम्बकारी युक्ति नहीं अपनायेगा या जानबूझकर विलम्ब नहीं करेगा।
*4च-सरकारी नीतियों का पालन:-प्रत्येक कर्मचारी, हर अवसर पर-
(i) विवाह की आयु, पर्यावरण के परीरक्षण, वन्य जीव और सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण के संबंध में सरकारी नीतियों के अनुसार कार्य करेगा,
(ii) महिलाओं के विरूद्ध अपराध के निवारण के संबंध में सरकारी नीतियों का पालन करेगा।]
*( जी.एस.आर. 102, अधिसूचना सं. एफ. 9(5 ) 30 ) कार्मिक / क 3 /2004 दिनांक 3-3-2008 द्वारा जोड़ा गया।) - संरक्षण प्राप्त फर्मों में निकट सम्बन्धियों का नियोजन-
सरकार की पूर्व अनुमति के बिना, कोई सरकारी कर्मचारी अपने पुत्र, पुत्री या आश्रित को उन निजी संस्थानों (फर्मो) में नौकरी स्वीकार करने की अनुमति नहीं देगा, जिनके साथ उनका कार्यालय-संव्यवहार हो या अन्य फर्मों में जो सरकार से संव्यवहार करती हों।
परन्तु यह है कि जहां नौकरी की अभिस्वीकृति सरकार की पूर्व अनुमति की प्रतिक्षा नहीं कर सकती हो या अन्यथा ऐसा करना आवश्यक हो, तो मामले की वह सरकार को सूचना देगा और नौकरी अस्थाई रूप से सरकार की अनुमति की अपेक्षा में स्वीकार की जा सकेगी ।
परन्तु आगे यह भी है कि यदि सरकारी कर्मचारी का पुत्र/पुत्री या कोई अन्य आश्रित ऊपर वर्णित निजी संस्थान में कोई नौकरी उस सरकारी कर्मचारी की अनुमति और सहमति के बिना स्वीकार कर लेता है. तो वह (सरकारी कर्मचारी) ऐसे मामले की सूचना सरकार को देगा ।
*[5क-संविदा आदि की मंजूरी:-कोई भी सरकारी कर्मचारी अपने पदीय कर्तव्यों के निर्वहन में किसी ऐसे मामले में व्यवहार नहीं करेगा या किसी भी कम्पनी या फर्म या किसी भी अन्य व्यक्ति से कोई संविदा, पट्टा, आवंटन पत्र या प्राधिकार नहीं देगा या मंजूर नहीं करेगा, यदि उसके कुटुम्ब का कोई सदस्य उस कम्पनी या फर्म में या उस व्यक्ति के अधीन नियोजित है या यदि वह या उसके कुटुम्ब का कोई सदस्य ऐसे मामले में किसी भी अन्य रीति से हितबद्ध है सरकारी कर्मचारी प्रत्येक ऐसे मामले को अपने वरिष्ठ पदधारी को निर्दिष्ट करेगा और इसके पश्चात् मामले या संविदा का निपटारा ऐसे प्राधिकारी के अनुदेशों के अनुसार किया जायेगा जिसको निर्देश किया जाता है ।]
*(जी.एस.आर. 102, अधिसूचना सं. एफ. 9(5 ) (30) कार्मिक / क- 3 /2004 दिनांक 3-3-2008 द्वारा जोड़ा गया।) - अवकाश में नियोजन (नौकरी) स्वीकार करना:-एक सरकारी कर्मचारी जो अवकाश पर है (निम्न की) पूर्व अनुमति के बिना कोई सेवा या नियोजन स्वीकार नहीं करेगा-
(क) राज्यपाल से-यदि प्रस्तावित सेवा या नियोजन भारत से बाहर कहीं है, और
(ख) अपने नियुक्ति प्राधिकारी से यदि प्रस्तावित सेवा या नियोजन भारत में ही है:-
परन्तु यह है कि सरकारी कर्मचारी जिसे इस नियम के अधीन किसी निवृतिपूर्व के अवकाश के दौरान कोई सेवा या नौकरी करने की अनुमति प्रदान की गई है, सिवाय राज्यपाल या नियुक्ति प्राधिकारी, यथास्थिति, कि विशेष सहमति के, अपने सेवानिवृत्त होने की प्रार्थना को वापस लेने और सेवा पर वापस आने से वंचित कर दिया जावेगा।
- राजनीति तथा चुनाव में भाग लेना-
(1) कोई सरकारी कर्मचारी किसी राजनैतिक दल या किसी (ऐसे) संगठन का सदस्य नहीं बनेगा या अन्य प्रकार से उससे सम्बद्ध नहीं होगा, जो राजनीति में भाग लेता है और न वह किसी राजनैतिक आन्दोलन या गतिविधि में भाग लेगा, न उसकी सहायता के लिए चन्दा देगा और न अन्य किसी प्रकार से मदद करेगा।
(2) प्रत्येक सरकारी कर्मचारी का यह कर्तव्य होगा कि किसी ऐसे आन्दोलन या गतिविधि में जो प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से विधि द्वारा स्थापित सरकार को उलटने (ध्वंस करने) में लगी हो, उसमें अपने परिवार के किसी सदस्य को भाग लेने, चन्दा देने या अन्य प्रकार से मदद करने से रोकने का भरसक प्रयास करेगा और जहां वह सरकारी कर्मचारी अपने परिवार के किसी सदस्य को ऐसे आन्दोलन या गतिविधि में भाग लेने, चन्दा देने या अन्य प्रकार से मदद करने में असमर्थ हो, तो वह इस प्रकार की सूचना राज्य सरकार को देगा।
(3) यदि कोई ऐसा प्रश्न उठता है कि कोई दल राजनैतिक दल या कोई संगठन राजनीति में भाग लेता है या कोई आन्दोलन या गतिविधि उपनियम (2) के क्षेत्र में आती है या नहीं, तो उस पर सरकार का निर्णय अन्तिम होगा।
(4) किसी विधायिका या स्थानीय प्राधिकारी के चुनाव में एक सरकारी कर्मचारी कोई प्रचार नहीं करेगा और इस संबंध में कोई हस्तक्षेप या अपने प्रभाव का उपयोग नहीं करेगा परन्तु यह है कि-
(i) एक सरकारी कर्मचारी जो ऐसे चुनाव में मत देने के योग्य है अपना मत दे सकेगा, परन्तु जहां वह ऐसा करें वह बात का संकेत नहीं देगा कि वह किसे मत देना चाहता है या मत दिया है।
(ii) एक सरकारी कर्मचारी द्वारा केवल इसलिए इस नियम के प्रावधानों को भंग करना नहीं माना जावेगा कि-उसने तत्समय प्रवृत्त किसी विधि के अधीन या उसके द्वारा विनिर्दिष्ट कर्तव्य पालन में किसी चुनाव के सम्पादन में सहयोग दिया। - सरकारी कर्मचारियों द्वारा संघो की सदस्यता स्वीकार करना:-
कोई सरकारी कर्मचारी किसी ऐसे संघ (एसोसिएशन) में भाग नहीं लेगा और न उसका सदस्य बना रहेगा जिस (संघ) के उद्देश्य या गतिविधियां भारत की सार्वभौमिकता एवं एकता के हित के या लोक व्यवस्था या नैतिकता के प्रतिकूल (हानिकारक) हों। - (राजस्थान सिविल सेवायें (आचरण ) नियम 1971) प्रदर्शन एवं हड़ताले:-
कोई सरकारी कर्मचारी-
(i) किसी ऐसे प्रदर्शन में नहीं जुटेगा और न (उसमें) भाग लेगा जो भारत की सार्वभौमिकता और एकता के हितों, अन्य राज्यों से मैत्रीपूर्ण सम्बन्धों, लोक व्यवस्था, शालीनता या नैतिकता के विपरीत हो या जिसमें न्यायालयों का अपमान, मानहानि या किसी अपराध को प्रोत्साहन देना अन्तर्हित हो या
(ii) अपनी सेवा या किसी भी राज्य सरकारी कर्मचारी की सेवा से सम्बन्धित किसी मामले के बारे में किसी प्रकार की हड़ताल का सहारा नहीं लेगा और न उसके लिए (किसी को) उकसाएगा। - प्रेस या रेडियो से संबंध–
(1) सरकार की पूर्व अनुमति के बिना, कोई सरकारी कर्मचारी किसी समाचार पत्र या किसी सावधिक प्रकाशन के पूर्ण या आंशिक स्वामित्व या संचालन या उसके सम्पादन या व्यवस्था में भाग नहीं लेगा ।
(2) कोई सरकारी कर्मचारी-
(क) सरकार की पूर्व अनुमति के बिना किसी रेडियो प्रसारण [या दूरदर्शन कार्यक्रम में भाग नहीं लेगा, या
(ख) अपने नियुक्ति प्राधिकारी की पूर्व अनुमति प्राप्त किये बिना किसी समाचार पत्र या सावधिक पत्रिका में कोई लेख या पत्र बिना नाम के या अपने स्वयं के नाम से या किसी अन्य व्यक्ति के नाम से (प्रकाशनार्थ) प्रेषित नहीं करेगा।
परन्तु यह है कि-ऐसी अनुमति की आवश्यकता नहीं होगी, यदि ऐसा प्रसारण “[या दूरदर्शन कार्यक्रम] या ऐसा योगदान शुद्ध साहित्यिक, कलात्मक या वैज्ञानिक प्रकार का हो और उसमें ऐसी कोई सामग्री न हो, जिसे प्रकट करने के लिए उस कर्मचारी को किसी विधि, नियम या विनियम द्वारा मनाकर दिया गया हो।
परन्तु आगे वह भी है कि यदि ऐसा प्रसारण *[या दूरदर्शन कार्यक्रम] या योगदान **[इस तथ्य का ध्यान दिये बिना कि वह सामग्री सरकारी स्त्रोतों की सहायता से तैयार की गयी है या अन्यथा] अन्य से सम्बन्धित सामग्री पर आधारित हुए हो तो उस पर कर्मचारियों द्वारा प्राप्त की जा सकने वाली शुल्क ही प्राप्त करेगा और वह अन्य असरकारी व्यक्ति को ऐसे प्रकरण या योगदान के लिए मिलने वाली अधिक राशि शुल्क के रूप में प्राप्त नहीं करेगा ।
**(Inserted by G.S.R. 82 dated 17-8-2001)
*(जी.एस.आर. 102, अधिसूचना सं. एफ. 9(5 )(30)कार्मिक / क- 3 /2004 दिनांक 3-3-2008 द्वारा जोड़ा गया।) - (राजस्थान सिविल सेवायें (आचरण ) नियम 1971) सरकार की आलोचना –
कोई सरकारी कर्मचारी, किसी आकाशवाणी प्रसारण में, या अपने स्वयं के नाम से या बिना नाम दिये या उपनाम से या किसी अन्य व्यक्ति के नाम से प्रकाशित किसी प्रलेख में, या किसी अन्य संवाद में किसी प्रेस को या किसी सार्वजनिक भाषण में, तथ्य या अभिमत का ऐसा कोई कथन (बयान) नहीं देगा-
(i) जिसका केन्द्रीय सरकार या किसी राज्य सरकार की किसी वर्तमान या नवीन नीति या कार्यवाही पर प्रतिकूल आलोचना का प्रभाव पड़ता हो ।
(ii) जो केन्द्रीय सरकार और राज्यों की किसी सरकार के बीच सम्बन्धों में उलझन उत्पन्न करने वाले हों।
(iii) जो केन्द्रीय सरकार और किसी मित्र – विदेश के बीच सम्बन्धों में उलझन उत्पन्न करने वाले हों।
परन्तु यह है कि किसी सरकारी कर्मचारी द्वारा अपने कार्यालय की क्षमता (पदीय स्तर से) या उसे प्रदत कर्तव्य के समुचित पालन में दिये गये कथन या प्रकट किये गये विचारों पर इस नियम में से कुछ भी लागू नहीं होगा। - किसी समिति (कमेटी) या अन्य प्राधिकारी के समक्ष ( गवाही) देना –
(1) कोई सरकारी कर्मचारी, उप नियम ( 3 ) में वर्णित की सीमा में रहते हुए, अपने नियुक्ति प्राधिकारी की पूर्व अनुमति के बिना किसी व्यक्ति, समिति या प्राधिकारी द्वारा की जा रही जांच में साक्ष्य नहीं देगा ।
(2) जहां उपनियम (1) के अधीन कोई अनुमति (स्वीकृति) दी गई हो, तो कोई सरकारी कर्मचारी ऐसा साक्ष्य देते समय सरकार या केन्द्रीय सरकार या किसी अन्य राज्य की सरकार की नीति या किसी अनुमति या किसी अनुमति (स्वीकृति) की आलोचना नहीं करेगा।
(3) इस नियम में से कुछ भी निम्न पर लागू नहीं होगा-
(क) सरकार, संसद या राज्य विधानसभा द्वारा नियुक्त किसी प्राधिकारी के समक्ष किसी जांच में दिये गये साक्ष्य,
(ख) किसी न्यायिक जांच में दिए गए साक्ष्य, या
(ग) सरकार के अधीनस्थ किसी प्राधिकारी के आदेश द्वारा की जा रही विभागीय जांच में दिये गये साक्ष्य ।
*13. अनाधिकृत रूप से संसूचना देना-
कोई सरकारी कर्मचारी, सरकार के किसी सामान्य या विशेष आदेश के अनुसरण में, सिवाय या उसे सौंपे गये कर्तव्यों के सद्भावनापूर्ण अनुपालन में के सिवाय, किसी ऐसे कर्मचारी या किसी अन्य व्यक्ति को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से कोई शासकीय दस्तावेज या उसका कोई भाग अथवा सूचना नहीं देगा, जिसे वह ऐसा दस्तावेज या सूचना देने के लिए प्राधिकृत नहीं है । *(12. GSR 55 and 82 dated 17-8-2001)
- चन्दा प्राप्त करना-
कोई सरकारी कर्मचारी, सरकार या उसके द्वारा विनिर्दिष्ट प्राधिकारी की पूर्व अनुमति (स्वीकृति) या आज्ञा के अतिरिक्त, न तो किसी प्रकार के चन्दे की मांग करेगा, न उसे स्वीकार करेगा या किसी भी उद्देश्य की पूर्ति में रोकड में या वस्तु के रूप में किसी चन्दे ( निधि) या अन्य प्रकार के धनसंग्रह में स्वयं को किसी अन्य प्रकार से सम्बद्ध नहीं करेगा । - उपहार (भेंट)-
(1) इन नियमों में वर्णित प्रावधानों के अतिरिक्त कोई सरकारी कर्मचारी कोई उपहार स्वीकार नहीं करेगा या अपने परिवार के किसी सदस्य को या उसकी ओर से किसी व्यक्ति को कोई उपहार स्वीकार करने की अनुमति नहीं देगा।
(2) ऐसे अवसरों पर, जैसे-विवाह, वर्षगांठ, दाह संस्कार या धार्मिक उत्सवों पर, जब उपहार देना प्रचलित धार्मिक या सामाजिक प्रथा के अनुसार हो, तो एक सरकारी कर्मचारी अपने निकट संबंधियों से उपहार स्वीकार कर सकेगा और यदि उस उपहार का मूल्य (निम्न से) अधिक हो, तो सरकार को इसकी सूचना देगा-
*[(i) किसी राज्य सेवा के पद को धारण करने वाले किसी सरकारी कर्मचारी की दशा में एक हजार रूपये, *( GSR 82 and 55 dated 17-8-2001.)
(ii) किसी अधीनस्थ सेवा के पद या लिपिकवर्गीय सेवा के पद को धारण करने वाले किसी सरकारी कर्मचारी की दशा में पांच सौ रूपये, और
(iii) किसी चतुर्थ श्रेणी सेवा के पद को धारण करने वाले किसी सरकारी कर्मचारी की दशा में दो सौ रूपये।]
(3) ऐसे अवसरो परः जिनका वर्णन (उपरोक्त) उपनियम ( 2) में किया गया है, एक सरकारी कर्मचारी अपने निजी मित्रों से, जो उसके राजकाज से सम्बद्ध नहीं हो, कोई उपहार स्वीकार कर सकेगा, परन्तु (निम्न) मूल्य से अधिक उपहार की सूचना सरकार को भेजेगा।
*(i) किसी राज्य सेवा के पद को धारण करने वाले किसी सरकारी कर्मचारी की दशा में चार सौ रूपये, *(परिपत्र सं. प. 9(50 ) कार्मिक / क- 1 /98 दिनांक 7 जून 2006.)
(ii) किसी अधीनस्थ सेवा के पद या लिपिकवर्गीय सेवा के पद को धारण करने वाले किसी सरकारी कर्मचारी की दशा में दो सौ रूपये, और
(iii) किसी चतुर्थ श्रेणी सेवा के पद को धारण करने वाले किसी सरकारी कर्मचारी की दशा में एक सौ रूपये।
(4)अन्य किसी प्रकरण में कोई सरकारी कर्मचारी उपहार सरकार की अनुमति के बिना स्वीकार नहीं करेगा, यदि उसका मूल्य (निम्न से) अधिक हो:
*[(i) किसी राज्य सेवा के पद को धारण करने वाले किसी सरकारी कर्मचारी की दशा में एक सौ पचास रूपये, *(15. GSR 82 and 55 dated 17-8-2001.)
(ii) किसी अधीनस्थ या लिपिकवर्गीय या चतुर्थ श्रेणी सेवा के पद को धारण करने वाले किसी सरकारी कर्मचारी की दशा में पचास रूपये ] - सरकारी कर्मचारियों के सम्मान में सार्वजनिक प्रदर्शन-
नियुक्ति प्राधिकारी की पूर्व अनुमति के बिना, कोई सरकारी कर्मचारी कोई प्रशंसा पत्र या अभिनन्दन पत्र प्राप्त नहीं करेगा या कोई प्रमाण पत्र स्वीकार नहीं करेगा या अपने सम्मान में या किसी अन्य सरकारी कर्मचारी के सम्मान में आयोजित किसी सभा या मनोरंजन में भाग नहीं लेगा।
परन्तु यह है कि इस नियम में से कुछ भी (निम्न पर) लागू नहीं होगा-
(i) किसी सरकारी कर्मचारी के स्वयं के या किसी अन्य सरकारी कर्मचारी के सेवानिवृत या स्थानान्तरित होने या किसी व्यक्ति के द्वारा सरकारी सेवा छोड़ने पर उसके सम्मान में आयोजित कोई विदाई समारोह; या
(ii) सार्वजनिक संस्थाओं द्वारा आयोजित ऐसे साधारण तथा मितव्ययी आयोजनों को स्वीकार कराना। - शिक्षण संस्थाओं में प्रवेश लेने एवं उपस्थित होने पर प्रतिबन्ध-
कोई सरकारी कर्मचारी जो सेवा में हो, सम्बन्धित विभागाध्यक्ष की पूर्व अनुमति के बिना, किसी शिक्षण संस्थान में किसी मान्यता प्राप्त बोर्ड या विश्वविद्यालय की किसी परीक्षा की तैयारी के उद्देश्य से प्रवेश नहीं लेगा, न उपस्थित होगा और न ऐसी परीक्षा में सम्मिलित होगा.
परन्तु यह है कि-
(i) इस नियम का कोई प्रावधान तब लागू नहीं होगा, जब कि कोई सरकारी कर्मचारी राजस्थान सेवा निमयों के अधीन, विद्यालय या कॉलेज के पूरे सत्र के लिए, जिसमें वह ऐसी तैयारी करता है, अपनी बकाया छुट्टी के लिए आवेदन करता है और उसे (ऐसी) छुट्टी स्वीकार कर दी गई हो।
(ii)कोई सरकारी कर्मचारी जो ( 1955 में या इसके पहले) कोई प्रथम खण्ड परीक्षा उत्तीर्ण हो, उसे नियुक्ति प्राधिकारी द्वारा उसके कार्यालय के समय के बाद किसी शिक्षण संस्थान में ऐसी प्रथम खण्ड परीक्षा के बाद की द्वितीय खण्ड (फाइनल) की अन्तिम परीक्षा की तैयारी व प्रवेश लेने व उपस्थित होने की अनुमति दी जा सकेगी ।
(iii) किसी सरकारी कर्मचारी को नियुक्ति प्राधिकारी द्वारा किसी मान्यता प्राप्त बोर्ड या विश्वविद्यालय की मैट्रिक परीक्षा या किसी मान्यता प्राप्त बोर्ड या विश्वविद्यालय की किसी अन्य परीक्षा की तैयारी के उद्देश्य से किसी शिक्षण संस्थान में कार्यालय समय के बाद उपस्थित होने या परीक्षा में बैठने की अनुमति दी जा सकेगी ।
(iv) एक अध्यापक या पुस्तकालयध्यक्ष, शिक्षा विभाग के नियमों एवं विनियमों की सीमा में रहते हुए और राजस्थान प्राच्य विद्या प्रतिष्ठान, पुरातत्व विभाग की सेवा के सदस्यों को नियुक्ति प्राधिकारी द्वारा उच्चतर मान्यता प्राप्त बोर्ड या विश्वविद्यालय की मैट्रिक परीक्षा में किसी उच्चतर परीक्षा या उसके समकक्ष घोषित किसी अन्य परीक्षा में बैठने की अनुमति दी जा सकेगी ।
(v) एक तकनीकी अधिकारी को भी, विभागीय नियमों की सीमा में रहते हुए कार्यालय के समय के बाद, किसी उच्च तकनीकी अध्ययन के उद्देश्य से किसी तकनीकी संस्थान में प्रवेश लेने व उपस्थित होने और किसी तकनीकी परीक्षा में बैठने की अनुमति नियुक्ति प्राधिकारी द्वारा दी जा सकेगी। - निजी व्यापार या नियोजन-
कोई सरकारी कर्मचारी, सरकार की पूर्व अनुमति के सिवाय प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप में कोई व्यापार या वाणिज्य या कोई अन्य नियोजन (नौकरी) नहीं करेगाः-
परन्तु यह है कि कोई सरकारी कर्मचारी, बिना स्वीकृति के सामाजिक या धार्मिक प्रकार का कोई अवैतनिक कार्य या साहित्यिक, कलात्मक या वैज्ञानिक प्रकार का सामयिक कार्य कर सकेगा । इस शर्त पर कि- उससे उसके सरकारी कर्तव्य में कोई बाधा न आवे, परन्तु यदि सरकार द्वारा निर्देश दिया जाय तो ऐसा कार्य नहीं करेगा या उसे करना बन्द कर देगा । - विनियोजन और उधार का लेनदेन:–
(1) कोई सरकारी कर्मचारी किसी स्टाक, शेयर या अन्य विनियोग मे सट्टा नहीं करेगा।
(2) कोई सरकारी कर्मचारी न तो स्वंय कोई ऐसा विनियोग करेगा या न अपने परिवार के किसी सदस्य को या अपने ओर से किसी व्यक्ति को ऐसा करने की अनुमति देगा, जिससे उसके शासकीय कर्तव्य के पालन में उसे उलझन या प्रभाव में आना पड़े।
(3) यदि कोई प्रश्न उठे कि- कोई कार्य उपनियम (1) या उप नियम ( 2 ) में वर्णित प्रकार का है या नहीं तो इस पर सरकार का निर्णय अन्तिम होगा।
(4)(i) कोई सरकारी कर्मचारी, साधारण व्यापारिक कार्य के दौरान किसी बैंक या प्रतिष्ठित फर्म जो बैंक का कार्य करने के लिए अधिकृत हो, के अतिरिक्त, स्वयं या अपने परिवार के किसी सदस्य द्वारा या उसकी ओर से कार्य करने वाले किसी (प्रतिनिधि) व्यक्ति के द्वारा निम्न कार्य नहीं करेगा-
(क) स्वामी या प्रतिनिधि के रूप में किसी व्यक्ति को या व्यक्ति से रूपये उधार लेना या देना, जो उस सरकारी कर्मचारी के प्राधिकार की स्थानीय सीमाओं में रहता हो या जिसके साथ उसका शासकीय कार्यकलाप हो या किसी ऐसे व्यक्ति के साथ अन्य किसी प्रकार के वित्तीय-दायित्व के अधीन होना, या
(ख) किसी व्यक्ति को ब्याज पर या किसी प्रकार से रूपयों में या वस्तु के रूप में प्राप्ति के लिए रूपये देनाः
परन्तु यह है कि सरकारी कर्मचारी छोटी राशि का अस्थाई ऋण मय ब्याज के या बिना ब्याज के किसी संबंधी या निजी मित्र को दे सकेगा या उससे प्राप्त कर सकेगा, या किसी सद्भावी व्यापारी के साथ उधार खाता रख सकेगा या अपने निजी नौकरों को अग्रिम वेतन दे सकेगा।
(ii) जब कोई सरकारी कर्मचारी की इस प्रकार के पद पर नियुक्ति या स्थानान्तरण होता हैं, जिससे उपनियम ( 2 ) या उपनियम (4) के किसी उपबन्ध का उल्लंघन होता हो, तो वह तुरन्त निर्दिष्ट प्राधिकारी को उन परिस्थिति की रिपोर्ट देगा और उसके बाद प्राधिकारी द्वारा दी गई ऐसी आज्ञा करेगा।
*(5) प्रत्येक सरकारी कर्मचारी उसके द्वारा दिए गए या लिए गए प्रत्येक ऋण के बारे में चाहे वह अपने नाम से हो या अपने परिवार के किसी सदस्य के नाम से हो, यदि ऐसे ऋण की राशि 5000 रूपये से अधिक हो, तो नियम 21 के अधीन स्पष्टीकरण (2) में विहित प्राधिकारी को इसकी एक माह के भीतर सूचना देगा। *(16. No. F. 4(Karmik)A-Ili/78 dated 22-3-80.)
- दिवालियापन एवं अभ्यस्त ऋणग्रस्तता ( कर्जदारी) –
- प्रत्येक सरकारी कर्मचारी अभ्यस्त कर्जदार बनने की स्थिति को रोकेगा।
- जब किसी सरकारी कर्मचारी को दिवालिया घोषित कर दिया जाता है अथवा न्यायालय ऐसा फैसला दे देता है और जब ऐसे सरकारी कर्मचारी के वेतन का यथेष्ट भाग लगातार दो वर्ष से अधिक की अवधि तक कुर्क रहता है अथवा जब उसका वेतन एक ऐसी रकम के लिए कुर्क किया जाता है जो सामान्य परिस्थितियों में दो वर्ष की अवधि में नहीं चुकाया जा सके तो उसको निष्कासित (बर्खास्त) करने के योग्य माना जावेगा।
- जब ऐसा सरकारी कर्मचारी, सरकार की स्वीकृति से या उसके द्वारा ही निष्कासित किये जाने योग्य और अन्य प्रकार से नहीं, यदि वह दिवालिया घोषित कर दिया गया है, तो ऐसा मामला सरकार को भेजा जाना चाहिये और यदि केवल वेतन का भाग ही कुर्क किया गया है तो उस मामले पर सरकार को प्रतिवेदन (रिपोर्ट) की जावेगी।
- किसी अन्य सरकारी कर्मचारी के संबंध में ऐसा मामला उसके कार्यालय या विभाग के अध्यक्ष, जिसमें वह नियोजित है, को भेजी जानी चाहिए ।
- जब किसी अधिकारी के वेतन का कुछ भाग कुर्क कर लिया गया है, तो प्रतिवेदन में यह वर्णित होना चाहिए कि कर्ज का वेतन से क्या अनुपात हैं, उससे सरकारी कर्मचारी की कार्य कुशलता पर क्या प्रभाव पडता हैं, क्या कर्जदार की स्थिति असाध्य हैं, और क्या उस मामले की परिस्थितियों में उसे उसके स्वंय के अथवा किसी अन्य पद पर रखना वांछनीय हैं, जबकि यह मामला प्रकाश में आ गया है।
- इस नियम के अन्तर्गत प्रत्येक मामले में यह बात सिद्ध करने का भार उस कर्जदार पर होगा कि दिवालियापन अथवा कर्जदारी ऐसी परिस्थितियों का परिणाम हैं, जो कि साधारण चतुरता दिखाने के बाद भी कर्जदार पहले से उन्हें नहीं आंक सका अथवा जिन पर उसका कोई नियन्त्रण नहीं था और यह कर्जदारी उसकी फिजूल खर्ची या अन्य आदतों के कारण नहीं हुई।
- चल, अचल और बहुमूल्य सम्पति-
(1) प्रत्येक सरकारी कर्मचारी किसी सेवा या पद पर उसकी नियुक्ति या उसके बाद ऐसे अन्तराल से जो सरकार विनिर्दिष्ट करें, अपनी सम्पति एवं दायित्वों का (निम्न के बारे में) पूरा विवरण सरकार द्वारा प्रपत्र *[क एवं ख] में प्रस्तुत करेगाः
*(17. जी.एस.आर. 102, अधिसूचना सं. एफ. 9(5 )(30) कार्मिक / क- 3 /2004 दिनांक 3-3-2008 द्वारा जोड़ा गया।)
(क) उसके द्वारा उत्तराधिकार में प्राप्त या उसके स्वयं द्वारा अर्जित या उसके द्वारा पट्टे या बन्धक पर धारित अचल सम्पति, चाहे स्वयं के नाम पर हो या उसके परिवार के किसी सदस्य के नाम पर या किसी अन्य व्यक्ति के नाम पर,
(ख) उसके द्वारा उत्तराधिकार में प्राप्त या इसी प्रकार से उसके द्वारा अर्जित, प्राप्त या धारित शेयर, डिबेन्चर या रोकड मय बैंक डिपोजिट्रस के
(ग) अन्य चल सम्पति जो उसके द्वारा उत्तराधिकार में प्राप्त, या उसके द्वारा अर्जित, प्राप्त या धारित हो।
(घ) उसके द्वारा प्रत्यक्ष में या परोक्ष मे लिए गए ऋण और अन्य देनदारियाँ।
(2) प्रत्येक सरकारी कर्मचारी, निर्दिष्ट प्राधिकारी के ध्यान में लाए बिना अपने स्वयं के नाम से या अपने परिवार के किसी सदस्य के नाम से कोई अचल सम्पति, पट्टे, बन्धक, खरीद, विक्रय, उपहार या अन्य प्रकार से प्राप्त या विसर्जित नहीं करेगा:
परन्तु यह है कि यदि ऐसा कार्य निम्न प्रकार का हो, तो निर्दिष्ट प्राधिकारी की पूर्व स्वीकृति प्राप्त की जावेगी।
(i)सरकारी कर्मचारी के साथ शासकीय कार्यकलाप से सम्बद्ध व्यक्ति के साथ, या
(ii) किसी नियमित या प्रतिष्ठित व्यवहारी (डीलर) के द्वारा नहीं हो।
*(3) प्रत्येक सरकारी कर्मचारी अपने स्वामित्वाधीन या उसके द्वारा स्वंय अपने नामों या अपने कुटुम्ब के किसी सदस्य के नाम में धारित जंगम संपति से सम्बन्धित प्रत्येक लेन-देन की रिपोर्ट विहित प्राधिकारी को करेगा यदि ऐसी सम्पति का मूल्य ऐसे सरकारी कर्मचारी की दशा में **[दो माह की बेसिक वेतन से अधिक है]
परन्तु विहित प्राधिकारी की पूर्व मंजूरी प्राप्त की जायेगी यदि ऐसा कोई लेन-देन
(i) ऐस व्यक्ति के साथ है जिसका सरकारी कर्मचारी के साथ शासकीय व्यवहार है, या
(ii) किसी नियमित या प्रतिष्ठित व्यवहारी की मार्फत न होकर अन्यथा किया गया है।
*(G.S.R. 82 & 55, dated 17-8-2001.)
**(Noti. No. F.9(5)(30)DOP(A-3)/2004 dated 5-4-2012.)
(4) सरकारी का निर्दिष्ट प्राधिकारी द्वारा किसी भी समय किसी सामान्य या विशेष आदेश द्वारा किसी सरकारी कर्मचारी से, ऐसे आदेश में वर्णित अवधि के भीतर, उसके द्वारा या उसकी ओर से या उसके परिवार के किसी सदस्य द्वारा जैसा कि उस आदेश में वर्णित हो, धारित या प्राप्त ऐसी चल या अचल सम्पति की पूर्ण एवं सम्पूर्ण स्थिति का विवरण मांगा जा सकता है। ऐसे विवरण में यदि सरकार या निर्दिष्ट प्राधिकारी द्वारा चाहा जावे तो, उन साधनों या स्त्रोंतों का विवरण सम्मिलित होगा, जिनसे ऐसे सम्पति प्राप्त की गई।
(5) उपनियम (4) के अतिरिक्त इस नियम के किसी प्रावधान से सरकार, अधीनस्थ, लिपिक और चतुर्थ श्रेणी सेवाओं के सरकारी कर्मचारियों की किसी श्रेणी को इस प्रावधान से मुक्त कर सकती है। ऐसी छूट, येनकेन कार्मिक (क-3) विभाग की सहमति के बिना नहीं दी जावेगी। - सरकारी कर्मचारी द्वारा अभ्यावेदन-
कोई सरकारी कर्मचारी सरकार को या किसी अधीनस्थ प्राधिकारी को, समय-समय, पर इस संबंध में सरकार द्वारा विनिर्दिष्ट ऐसे नियमों, आज्ञाओं या विनियमों के अनुसार के अलावा, कोई अभ्यावेदन प्रस्तुत नहीं करेगा। - सरकारी कर्मचारी के कार्य और चरित्र का प्रतिशोध (निराकरण)-
कोई सरकारी कर्मचारी, सरकार की पूर्व अनुमति के अतिरिक्त, किसी शासकीय कार्य जो कि प्रतिकूल आलोचना की विषय सामग्री रहा हो या अपमानजनक प्रकार का आक्रमण हो, के प्रतिशोध (स्पष्टीकरण या निराकरण) के लिए किसी न्यायालय या प्रेस (समाचार-पत्रों) का सहारा नहीं लेगा । - गैर सरकारी या अन्य प्रभाव का प्रयोग-
कोई सरकारी कर्मचारी सरकार के अधीन अपनी सेवा के संबंधी मामलों के बारे में अपने हितों को बढ़ावा देने के लिए किसी उच्च प्राधिकारी पर दबाव डालने के लिए कोई राजनैतिक या अन्य प्रभाव नहीं लायेगा, न लाने की (ऐसी) कोशिश करेगा।
*25. विवाहन के संबंध में निबंधन-(1) कोई सरकारी कर्मचारी किसी ऐसे व्यक्ति से विवाह नहीं करेगा जिसका कोई पति या पत्नी जीवित है।
(2) कोई सरकारी कर्मचारी, जिसका कोई पति या पत्नी जीवित है, किसी व्यक्ति से विवाह नहीं करेगा।
परन्तु यह कि सरकार किसी सरकारी कर्मचारी को ऐसे किसी विवाह की, जैसा कि उप नियम (1) या उप-नियम (2) में निर्दिष्ट है, अनुज्ञा दे सकेगी, यदि उसका इस बात से समाधान हो जाय कि-
(क) ऐसा विवाह ऐसे सरकारी कर्मचारी और विवाह के अन्य पक्षकार के लिए लागू व्यक्तिगत विधि के अधीन अनुज्ञेय है, और
(ख) ऐसा करने के लिए अन्य आधार है।
(3) कोई सरकारी कर्मचारी जिसका भारतीय राष्ट्रीयता वाले से भिन्न किसी व्यक्ति से विवाह हुआ है या जो उससे विवाह करता है, इस तथ्य को तुरन्त सरकार को संसूचित करेगा।”
*(20. No.F.4(1)DOP/A-III/94 dated 17-8-2001)
[25. (1) कोई सरकारी कर्मचारी:- (i) न कोई दहेज देगा या लेगा, न दहेज देने या लेने के लिए किसी को उकसाएगा, या (ii) किसी वर या वधू के माता-पिता या संरक्षक से, यथास्थिति, प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप में कोई दहेज की मांग नहीं करेगा । (21. Notification No. E.4(2)Karmik/A-III/76 dated 5-1-77)
*[(2) प्रत्येक सरकारी कर्मचारी किसी पद पर अपनी नियुक्ति होने पर ग्रहण के समय या, यथास्थिति, अपने विवाह के एक मास के भीतर-भीतर अपने नियंत्रक प्राधिकारी को, अपने पिता, पत्नी और श्वसुर द्वारा हस्ताक्षरित इस प्रभाव की घोषणा प्रस्तुत करेगा कि उसने प्रत्यक्षतः या अप्रत्यक्षतः और किसी भी रूप में दहेज नहीं लिया है। *(22. जी.एस.आर. 102, अधिसूचना सं. एफ. 9 (5 ) (30 ) कार्मिक / क- 3 / 2004 दिनांक 3-3-2008 द्वारा जोड़ा गया ।)
*[25कक-कार्यरत महिलाओं के प्रति लैंगिक- उत्पीड़न का निषेध-
(1)कोई सरकारी कर्मचारी किसी महिला के प्रति उसके कार्यस्थान पर लैंगिक उत्पीड़न के किसी कृत्य में लीन नहीं होगा।
(2)प्रत्येक सरकारी कर्मचारी जो किसी कार्यस्थान का प्रभारी है, उसके ध्यान में लाये जाने पर ऐसे कार्य स्थान पर किसी महिला के लैंगिक उत्पीड़न को रोकने के लिए उचित कदम उठायेगा। *(G.S.R. 24; No. F.2(59)Karmik/Ka-3/97 dated 14-6-2000.)-
[25ग-लघु कुटुम्ब मानक-Deleted by Notification (24. F.9(5)(30)DOP/A-III/2004/Part dated 11-5-2016)]
*[25घ-बाल विवाह-ऐसा कोई भी सरकारी कर्मचारी, जो किसी भी प्रकार से बाल विवाह में भाग लेता है, उसकी संविदा करता है या बाल विवाह करता है, अनुशासनिक कार्यवाही के लिए दायी होगा। *(25. G.S.R. 38 and 58 No. F.9(5)(25)Karmik/Ka-3/ dated 26-6-2001)
- उत्तेजनात्मक (नशीले) पेयों और पदार्थों का उपभोग-
कोई सरकारी कर्मचारी-
(क) तत्समय उस क्षेत्र में प्रवृत (लागू) नशीले पदार्थों से संबंधी किसी विधि (कानून) का कठोरता के साथ पालन करेगा;
(ख) अपने कर्तव्य पालन के दौरान किसी मादक पेय (शराब) या औषध के प्रभाव में नहीं रहेगा। उचित ध्यान रखेगा कि किसी समय उसका कर्तव्य पालन किसी भी प्रकार से ऐसे पेय (शराब) या औषध के प्रभाव से प्रभावित न हो, न ऐसे समय के निकट ऐसा पेय या औषध लेगा जब कि उसे अपने कार्य पर जाना हो और उसके मुंह की दुर्गन्ध से या उसके व्यवहार से साधारणतया दूसरों को ऐसा प्रतीत न हो कि उसने कोई पेय या पदार्थ लिया है।
(ग) किसी शराब या मादक पदार्थ के प्रभाव से वह किसी सार्वजनिक स्थान पर नहीं जावेगा।
(घ) कोई मादक पेय या पदार्थ अधिक मात्रा में उपयोग नहीं करेगा ।
[परिपत्र क्र: प. 9(5)(30) कार्मिक/क- 3/ जाँच / 2004 पार्ट दिनांक 20.09.2013] - अधिकारियों द्वारा विदेशी संविदा करने वाली फर्मों से मार्ग व्यय और आतिथ्य स्वीकार करना-
कोई अधिकारी विदेश (यात्रा) के लिए मार्ग व्यय और निःशुल्क आवास भोजन व्यवस्था के रूप में आतिथ्य के किसी प्रस्ताव को न तो स्वीकार करेगा और न उसे ऐसी स्वीकृति की अनुमति ही दी जावेगी यदि ऐसा प्रस्ताव किन्हीं विदेशी फर्मों द्वारा किया गया हो, जो सरकार के साथ प्रत्यक्ष रूप में या (उनके) भारत स्थित प्रतिनिधियों के द्वारा संविदा (ठेका) करती है। इसका एकमात्र अपवाद विदेशी फर्म *[जो अपनी सरकार से प्रतिपूर्ति राशि प्राप्त करती है] द्वारा सहायता कार्यक्रम के अन्तर्गत विदेशी प्रशिक्षण की सुविधायें प्रदान करने के बारे में होगा। *(जी.एस.आर. 102, अधिसूचना सं. एफ. 9(5 ) (30 ) कार्मिक / क- 3 /2004 दिनांक 3-3-2008 द्वारा जोड़ा गया।) - (राजस्थान सिविल सेवायें (आचरण ) नियम 1971) भ्रमण (दौरे) के समय अधीनस्थ स्थापन (स्टाफ) का आतिथ्य ग्रहण करना-
जब कोई सरकारी कर्मचारी भ्रमण (दौरे) पर जावे, तो वह विश्राम के स्थानों पर निवास एवं भोजन का अपना स्वयं का प्रबन्ध करेगा और अधीनस्थ कर्मचारियों से न तो आतिथ्य स्वीकार करेगा, न अधीनस्थ कर्मचारी अपने उच्चाधिकारियों को ऐसे आतिथ्य का प्रस्ताव ही करेंगे। - (राजस्थान सिविल सेवायें (आचरण ) नियम 1971) सेवा के मामलों में न्यायालय की शरण-
कोई सरकारी कर्मचारी पहले साधारण शासकीय मार्ग या उपाय का सहारा लिये बिना अपने नियोजन से या सेवा की शर्तों से उत्पन्न किसी व्यथा के लिए किसी न्यायालय से निर्णय प्राप्त करने की कोशिश नहीं करेगा, ऐसे मामलों में भी जहां विधिक रूप से ऐसा उपाय (उपचार) ग्राह्य है। - निर्वचन यदि इन नियमों की व्याख्या ( अर्थ) के बारे में कोई प्रश्न उठता है (तो) वह (प्रश्न) सरकार के कार्मिक विभाग को संप्रेषित किया जावेगा, जिसका उस प्रश्न पर निर्णय अन्तिम होगा।
- (राजस्थान सिविल सेवायें (आचरण ) नियम 1971) शक्तियों का प्रत्यायोजन-
सरकार, (किसी) सामान्य या विशेष आज्ञा द्वारा यह निर्देश दे सकेगी कि कोई शक्ति इन नियमों के अधीन (सिवाय इस नियम व नियम 30 के) उस (सरकार) के द्वारा या विभागाध्यक्ष द्वारा प्रयोग की जाने योग्य है, ऐसी शर्तों के अधीन रहते हुए जो उस आज्ञा में वर्णित है, किसी ऐसे अधिकारी या प्राधिकारी द्वारा भी प्रयोग में लाई जा सकेगी, जिससे उस आज्ञा में वर्णित किया गया है। - निरसन और व्यावृति-
(1) राजस्थान सरकार कर्मचारी एवं सेवानिवृत कर्मचारी आचरण नियम, 1950, जहां तक प्रवृत है और विज्ञप्ति और आज्ञायें जो इन नियमों के अधीन प्रसारित एवं लागू की गई हो, ऐसी सीमा तक, जहां वे उन व्यक्तियों पर लागू होती है, जिन पर कि ये नियम लागू होते हैं, एतद्द्वारा निरसित की जाती है।
परन्तु यह है कि-(i) उपरोक्त नियमों विज्ञप्तियों और आज्ञाओं या उनके अध्यधीन की गई किसी बात या किसी कार्यवाही के पूर्व प्रवर्तन को ऐसे निरसन प्रभावित नहीं करेगा।
(ii) इन नियमों के पूर्व प्रभावशाली होने के समय इन नियमों, विज्ञप्तियों या आज्ञाओं के अधीन विचारधीन किन्हीं कार्यवाहियों या इन नियमों के प्रवृत होने के बाद आरम्भ की गई ऐसी कार्यवाहियां चालू रहेंगी और यथासंभव इन नियमों के प्रावधानों के अनुसार निष्पादित की (निपटायी) जावेगी।
(2) इन नियमों में से कुछ भी किसी व्यक्ति को, जिस पर ये नियम लागू होते हैं, किसी ऐसे अधिकार से वंचित नहीं करेगा, जो उसे उप नियम ( 1 ) द्वारा निरसित नियमों, विज्ञप्तियों या आज्ञाओं के अधीन इन नियमों के लागू होने से पहले पारित की गई किसी आज्ञा से प्राप्त हुआ हो।